tag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post2997952300013312001..comments2024-01-22T02:18:15.581+05:30Comments on हितचिन्तक- लोकतंत्र एवं राष्ट्रवाद की रक्षा में।: मार्क्सवादी अमानुषिकतासंजीव कुमार सिन्हाhttp://www.blogger.com/profile/11879095124650917997noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-11935963554483846552007-12-18T23:06:00.000+05:302007-12-18T23:06:00.000+05:30नारायण जी कभी गुजरात के बाहर निकल कर भी सोचो,ये हि...नारायण जी कभी गुजरात के बाहर निकल कर भी सोचो,ये हिंसा पहली बार नहीं हुइ,दंगे पहली बार नहीं हुए.पर शायद यह पहली बार हुआ कि मुसलमानों का नुकसान थोङा ज्यादा था,दंगे होना कहीं भी ठीक नहीं पर इनको देखने के लिये हर बार वही काला चश्मा काम लिया जाये ...हिंदु ...मुसलमान.अलीगढ,मऊ.जयपुर और भी बहुत जगह ऐसा हुआ,कशमीर तो पूरा खाली हो गया ,यहां बात हो रही है राजनैतिक निष्ठुरता और असहिष्णुता की.यदि कोइ भी पीङित हो तो हमें सहानुभुति तो कम से कम दिखानी ही चाहिये.भगवान आपको सद्बुद्धी दे ....शायद आप मानते होंdrdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-77047677571468279412007-12-18T21:45:00.000+05:302007-12-18T21:45:00.000+05:30इससे पहले गुजराती मानवीयता को देश-दुनिया जान चुका ...इससे पहले गुजराती मानवीयता को देश-दुनिया जान चुका है....<BR/>और उससे पहले वाजपेयी का स्वतंत्रता संघर्ष पढ़-सुन चुका है<BR/>और उसके बाद आडवाणी का अयोध्या अट्टहास सुन चुका है<BR/>और उससे पहले........जेपी नारायणhttps://www.blogger.com/profile/05345363717323351232noreply@blogger.com