tag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post7847890388269931988..comments2024-01-22T02:18:15.581+05:30Comments on हितचिन्तक- लोकतंत्र एवं राष्ट्रवाद की रक्षा में।: भारतीय दर्शन के विपरीत है मार्क्सवाद : महेश नौटियालसंजीव कुमार सिन्हाhttp://www.blogger.com/profile/11879095124650917997noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-83341240364304756962008-11-22T09:35:00.000+05:302008-11-22T09:35:00.000+05:30आपने बहुत सार्थक विश्लषण किया है. आज कल का साम्यवा...आपने बहुत सार्थक विश्लषण किया है. <BR/><BR/>आज कल का साम्यवाद ईश्वर विरोधी है. गीतोक्त साम्यवाद सर्वत्र ईश्वर को देखता है. <BR/><BR/>और भी गहरे अन्तर हैं दोनों में:<BR/>आज कल का साम्यवाद - धर्म का नाशक है, हिंसामय है, स्वार्थमूलक है, इस में अपने दल का अभिमान है और दूसरों का अनादर है, इस में परधन और परमत से असहिस्णुता है. इस में बाहरी व्यवहार की प्रधानता है, यह खान-पान-स्पर्शादि में एकता रख कर आंतरिक भेद-भावः रखता है, इसमें भौतिक सुख मुख्य है, इसमें राग-द्वेष है, इस का लक्ष्य केवल धनोपासना है. <BR/><BR/>गीतोक्त साम्यवाद पद-पद पर धर्म की पुष्टि करता है, अहिंसा का प्रतिपादक है, यह स्वार्थ को समीप भी नहीं आने देता, यह खान-पान-स्पर्शादि में शास्त्र मर्यादानुसार यथायोग्य भेद रख कर भी आंतरिक भेद नहीं रखता और सब में आत्मा को अभिन्न देखने की शिक्षा देता है, इसका लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है, इस में सर्वदा अभिमान्शून्यता है और सारे जगत में परमात्मा को देख कर सब का सम्मान करना है, इसमें अंतःकरण के भाव की प्रधानता है, इसमें आध्यात्मिक सुख मुख्य है, इसमें सब का सम्मान आदर है, इसमें राग-द्वेषरहित व्यवहार है. <BR/><BR/>इन सब पर विचार करके बुद्धिमान व्यक्तियों को गीतोक्त साम्यवाद का ही आदर और व्यवहार करना चाहिए.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-22639711068022142732008-11-21T17:13:00.000+05:302008-11-21T17:13:00.000+05:30कमीनीस्टों की यही पहचान है जब मजबूत होंगे मार-काट...कमीनीस्टों की यही पहचान है जब मजबूत होंगे मार-काट मचायेंगे जब कमजोर होंगे गाली-गलौज करेंगे। सकारात्मक बहस से दूर भागेंगे। खासकर, इन दिनों तो वो पगला गये हैं। देश भर में भाजपा के पक्ष में लहर जो चल रहा हैं। जब बाबरी मस्जिद का ध्वंस हुआ तो बहुत से कम्युनिस्टों ने आत्महत्या कर लिया। अब चारों में भाजपा की वापसी सुनिश्चित हैं यह देखकर तो कमीनीस्टों के होश उडने स्वाभाविक ही हैं।संजीव कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/11879095124650917997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-25258536203966900532008-11-21T16:12:00.000+05:302008-11-21T16:12:00.000+05:30इस anonymous पोस्ट देने वाले की अपनी इतनी फटी पड़ी ...इस anonymous पोस्ट देने वाले की अपनी इतनी फटी पड़ी है कि अपना नाम तक बताने की हिम्मत नही कर पा रहा........ क्यो बे बाप का नाम नही मालूम क्या ??निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-35635489786701524592008-11-21T15:27:00.000+05:302008-11-21T15:27:00.000+05:30केवल भारतीय दर्शन के विरूध ही नहीं, यह पूरी तरह से...केवल भारतीय दर्शन के विरूध ही नहीं, यह पूरी तरह से बुद्धि-विरुद्ध प्रोपेगैण्डा है। इसमें तार्किक त्रुटियों की भरमार है। इसीलिये यह बुल्बुले की तरह पचास-साठ वर्ष के अन्दर ही फूट गया।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7024567440226660873.post-65989725676453175272008-11-21T14:52:00.000+05:302008-11-21T14:52:00.000+05:30तुम्हारे जैसे नेकरिया राष्ट्रवादियों की जब बूढ़े स...तुम्हारे जैसे नेकरिया राष्ट्रवादियों की जब बूढ़े संघी फाड़ते है किशोरावस्था में, तो इसी तरह बुलबुलाते हो.Anonymousnoreply@blogger.com