अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर विशेष साक्षात्कार
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लोकसभा सांसद डॉ. भारतीबेन शियाल से नई दिल्ली स्थित उनके निवास पर कमल संदेश के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा और कमल संदेश डिजिटल टीम के सदस्य विपुल शर्मा ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी, महिला कार्यकर्ता को लेकर भाजपा का संगठनात्मक दृष्टिकोण एवं महिला सशक्तिकरण हेतु मोदी सरकार के असाधारण प्रयासों को लेकर चर्चा की। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश :
सबसे पहले हमें यह बताइए कि आप भाजपा से कब और कैसे जुड़ीं? अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में बताएं।
देखा जाए तो मेरी राजनीतिक यात्रा वर्ष 2000 में शुरू हुई। मैं जिला पंचायत का चुनाव लड़ी और अच्छे वोटों से जीती। यह वह दौर था, जब जिला पंचायत पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा था। लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते भाजपा को जिला पंचायत पर शासन करने का अवसर मिला और मैं जिला पंचायत की अध्यक्ष बनी। इसके बाद भाजपा संगठन के साथ जुड़कर भी विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। जिला स्तर पर मुझे तीन बार उपाध्यक्ष पद पर कार्य करने का मौका मिला। इसके अलावा मंडलों और बहुत सारे प्रकोष्ठों की प्रभारी रही। इसके उपरांत प्रदेश स्तर पर ओबीसी मोर्चा की कार्यकारिणी में रहने का अवसर मिला। ऐसे ही प्रदेश कार्यकारिणी में भी रहने का अवसर मिला। इसके बाद वर्ष 2012 में तलाजा विधानसभा से चुनाव लड़ी और अच्छे अंतर से जीत हासिल की। वर्ष 2014 में मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर मिला और यह पहली बार था जब किसी महिला को भावनगर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया था। जब चुनाव परिणाम आए तो पूरे सौराष्ट्र क्षेत्र में मेरी जीत का अंतर सबसे अधिक था। ऐसे ही 2019 के लोकसभा चुनाव में मुझे एक बार फिर भावनगर से चुनाव लड़ने का अवसर मिला और इस बार मेरी जीत का अंतर पिछली बार की तुलना में और बेहतर हो गया। संगठन स्तर पर भी मेरा निरंतर योगदान रहा। इसके बाद मुझे भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व दिया गया।
भाजपा संगठन में महिला भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाते हैं?
स्थापना काल से ही भाजपा में महिलाओं को उचित स्थान मिलता आया है। संगठनात्मक स्तर पर कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। मेरे अनुभव में पार्टी के भीतर बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक महिलाओं की सशक्त भागीदारी सुनिश्चित होती है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पांच उपाध्यक्ष, एक महामंत्री एवं चार मंत्री महिला कार्यकर्ता हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर महिला मोर्चा है, जिनके माध्यम से महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
संगठन में महिला कार्यकताओं के राजनीतिक प्रशिक्षण के लिए किस तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?
हमारी पार्टी में मंडल स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं। देखा जाए तो जब किसी महिला को संगठन में कोई दायित्व मिलता है या वह जनप्रतिनिधि बनती है, तो उन सभी को पार्टी प्रशिक्षण विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। जब मैं विधानसभा में चुनकर पहुंची थी, तो उस दौरान भी हमारे लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया था। जिसमें हमें बताया गया कि कैसे विधानसभा में कार्य करना है और कैसे आम जनता के लिए कार्य करना है। इसके अतिरिक्त किस प्रकार से अधिकारियों के साथ काम करना है और किस प्रकार सरकार के साथ समन्वय स्थापित करना है, यह भी बताया गया।
मोदी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं?
मैं लंबे समय से श्री नरेन्द्र मोदी के साथ काम कर रही हूं। वह जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तो मैं विधायक थी। गुजरात और केंद्र की मोदी सरकार में महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा चिंता की गई है। सालों से देखा गया है कि भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त नहीं थे। ऐसे में यदि इस मामले को लेकर सबसे ज्यादा चिंता किसी ने की है तो वह मोदी सरकार ने की है। देश में जबसे मोदी सरकार आई है तबसे महिलाओं के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। मोदी सरकार ने देश भर में महिलाओं के लिए शौचालयों का निर्माण करवाया और उनको उचित सम्मान दिया। महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना लेकर आए। ऐसे ही सुकन्या समृद्धि योजना है, मुद्रा योजना है, जिसके तहत कर्ज लेनेवाले में से 76 प्रतिशत महिलाएं हैं। मोदी सरकार की ‘मातृत्व योजना’ के तहत बच्चे के जन्म के समय महिलाओं के खाते में 6000 रुपए जमा किए जाते हैं, जिससे महिला अपनी और अपने बच्चे की देखभाल कर सकती है। इसके अतिरिक्त मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।
देश की ग्रामीण महिलाओं को ध्यान में रखते हुए स्वयं सहायता समूहों को मजबूती दी जा रही है। इसके अलावा तीन तलाक की कुप्रथा को मोदी सरकार ने समाप्त किया है। वहीं महिलाओं से संबंधित विभिन्न कानूनों में सुधार कर उनको सख्त बनाया गया है। यह मोदी सरकार के प्रयास ही हैं जिनके कारण हरियाणा से आरंभ हुए ‘बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओ अभियान’ का असर अब पूरे देश में दिखने लगा है।
देश में जबसे मोदी सरकार आई है तबसे महिलाओं के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
देखिए, दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है। परिणामस्वरूप, राजनीति में महिलाओं की समान भागीदारी अपेक्षित है, जैसा अन्य किसी भी क्षेत्र में होता है। हाल के दिनों में भारत में इस स्थिति में कुछ सुधार हुआ है और भारतीय जनता पार्टी इस संबंध में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। संगठन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ भाजपा ने सरकार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया है। मोदी सरकार में वर्तमान में 11 महिला मंत्री हैं। इसी तरह, पिछली सरकार में लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री के पद पर लोकप्रिय नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज थीं।
भारतीय संस्कृति में महिलाओं का क्या स्थान है?
भारतीय संस्कृति में वेद, उपनिषद और शास्त्रों में महिलाओं को हमेशा देवी का दर्जा दिया गया है और उनको पूजनीया माना गया है- ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ या ‘नारी तू नारायणी’। हां, मैं यह मानती हूं कि बीच में एक कालखंड ऐसा आया जब इस धारणा में कुछ बदलाव हुआ और महिलाओं का शोषण आरंभ हुआ, महिलाओं को पुरुषों के समान भागीदारी देने से इंकार किया गया।
लेकिन जबसे मोदी सरकार आई है, तबसे महिलाओं को लेकर धारणा में बदलाव आया है। उनकी सुरक्षा, स्वरोजगार और आत्मसम्मान को सुनिश्चित किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, मेरे संसदीय क्षेत्र भावनगर में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां सिर्फ महिला कुली कार्यरत हैं। ऐसे ही देखें तो आज रिक्शा ड्राइवर से लेकर फाइटर प्लेन भी महिलाएं चला रही हैं। खेलकूद में महिलाओं ने देश का नाम ऊंचा किया है। राजनीति में भी महिलाएं आगे आ रही हैं और कहा जा सकता है कि स्थिति में बहुत सुधार हो रहा है।
गुजरात में जब श्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने महिला सशक्तिकरण को लेकर अनेक योजनाएं प्रारंभ की थी। देश भर में इसकी बहुत प्रशंसा हुई थी। कृपया इस संबंध में हमें बताएं।
मोदीजी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने सबसे अधिक महिलाओं की चिंता की। मुख्यमंत्री रहते हुए श्री मोदी जब भी विदेश दौरे पर जाते थे, तो उन्हें विभिन्न उपहार मिला करते थे, जिनको परंपरागत तौर पर तोशाखाना में जमा करवा दिया जाता था, लेकिन माननीय मोदीजी इस संदर्भ में एक प्रस्ताव लेकर आए और उनके कहने पर इन उपहारों की नीलामी प्रक्रिया को आरंभ किया गया और इस प्राप्त राशि से महिलाओं के लिए ‘कन्या केलवणी निधि’ बनाया गया। इसके माध्यम से बेटियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम बनाए गए। गुजरात में जिन स्थानों पर बेटियों में अशिक्षा और ड्रॉपआउट दर अधिक थी, वहां ‘कन्या केलवणी रथ’ के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया गया। इसके अतिरिक्त गुजरात में बेटियों के लिए फ्री एसटी पास, मुफ्त साइकिल, यूनिफॉर्म, पुस्तकें और विभिन्न स्कॉलरशिप कार्यक्रमों को चलाया गया। गुजरात सरकार विद्यालक्ष्मी बॉन्ड भी लेकर आई। गुजरात के ग्रामीण इलाकों में बहुत सारी महिलाएं पशुपालन उद्योग से जुड़ी हुई हैं और हर गांव में एक दूध उत्पादक मंडली है। इनमें से जिन दूध उत्पादक मंडली में केवल महिला सदस्य है, उनके लिए विशेष प्रावधान किए गए। ऐसे ही प्रॉपर्टी लेनेवाली महिलाओं को स्टांप ड्यूटी से छूट दी गई थी। सरकारी भर्ती में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण है। स्थानिक स्वराज की संस्थाओं— ग्राम पंचायत, तहसील पंचायत, जिला पंचायत, नगरपालिका और महानगरपालिका में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। गुजरात में नारी अदालत की शुरुआत मोदीजी ने की, महिला सुरक्षा के लिए गुजरात में 181 नंबर हेल्पलाइन है। गुजरात में महिला पुलिस स्टेशनों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। वहीं, प्रदेश में ‘सुरक्षा सेतु’ योजना के अंतर्गत महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गुजरात सरकार ‘व्हालीदिकरी’ योजना भी चला रही है, जिस घर में बेटी होती है, गांव के सरपंच, जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी बैंड-बाजे लेकर उनके घर जाते हैं और उनके खाते में एक हजार रुपए जमा कर दिया जाता है। ऐसे ही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को सशक्त किया गया।