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Friday, 18 February 2022

मोदी सरकार में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को सशक्त किया गया : डॉ. भारतीबेन शियाल

 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर विशेष साक्षात्कार

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लोकसभा सांसद डॉ. भारतीबेन शियाल से नई दिल्ली स्थित उनके निवास पर कमल संदेश के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा और कमल संदेश डिजिटल टीम के सदस्य विपुल शर्मा ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी, महिला कार्यकर्ता को लेकर भाजपा का संगठनात्मक दृष्टिकोण एवं महिला सशक्तिकरण हेतु मोदी सरकार के असाधारण प्रयासों को लेकर चर्चा की। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश :

सबसे पहले हमें यह बताइए कि आप भाजपा से कब और कैसे जुड़ीं? अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में बताएं।

देखा जाए तो मेरी राजनीतिक यात्रा वर्ष 2000 में शुरू हुई। मैं जिला पंचायत का चुनाव लड़ी और अच्छे वोटों से जीती। यह वह दौर था, जब जिला पंचायत पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा था। लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते भाजपा को जिला पंचायत पर शासन करने का अवसर मिला और मैं जिला पंचायत की अध्यक्ष बनी। इसके बाद भाजपा संगठन के साथ जुड़कर भी विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। जिला स्तर पर मुझे तीन बार उपाध्यक्ष पद पर कार्य करने का मौका मिला। इसके अलावा मंडलों और बहुत सारे प्रकोष्ठों की प्रभारी रही। इसके उपरांत प्रदेश स्तर पर ओबीसी मोर्चा की कार्यकारिणी में रहने का अवसर मिला। ऐसे ही प्रदेश कार्यकारिणी में भी रहने का अवसर मिला। इसके बाद वर्ष 2012 में तलाजा विधानसभा से चुनाव लड़ी और अच्छे अंतर से जीत हासिल की। वर्ष 2014 में मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर मिला और यह पहली बार था जब किसी महिला को भावनगर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया था। जब चुनाव परिणाम आए तो पूरे सौराष्ट्र क्षेत्र में मेरी जीत का अंतर सबसे अधिक था। ऐसे ही 2019 के लोकसभा चुनाव में मुझे एक बार फिर भावनगर से चुनाव लड़ने का अवसर मिला और इस बार मेरी जीत का अंतर पिछली बार की तुलना में और बेहतर हो गया। संगठन स्तर पर भी मेरा निरंतर योगदान रहा। इसके बाद मुझे भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व दिया गया।

भाजपा संगठन में महिला भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाते हैं?

स्थापना काल से ही भाजपा में महिलाओं को उचित स्थान मिलता आया है। संगठनात्मक स्तर पर कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। मेरे अनुभव में पार्टी के भीतर बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक महिलाओं की सशक्त भागीदारी सुनिश्चित होती है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पांच उपाध्यक्ष, एक महामंत्री एवं चार मंत्री महिला कार्यकर्ता हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर महिला मोर्चा है, जिनके माध्यम से महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।

संगठन में महिला कार्यकताओं के राजनीतिक प्रशिक्षण के लिए किस तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?

हमारी पार्टी में मंडल स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं। देखा जाए तो जब किसी महिला को संगठन में कोई दायित्व मिलता है या वह जनप्रतिनिधि बनती है, तो उन सभी को पार्टी प्रशिक्षण विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। जब मैं विधानसभा में चुनकर पहुंची थी, तो उस दौरान भी हमारे लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया था। जिसमें हमें बताया गया कि कैसे विधानसभा में कार्य करना है और कैसे आम जनता के लिए कार्य करना है। इसके अतिरिक्त किस प्रकार से अधिकारियों के साथ काम करना है और किस प्रकार सरकार के साथ समन्वय स्थापित करना है, यह भी बताया गया।

मोदी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं?

मैं लंबे समय से श्री नरेन्द्र मोदी के साथ काम कर रही हूं। वह जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तो मैं विधायक थी। गुजरात और केंद्र की मोदी सरकार में महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा चिंता की गई है। सालों से देखा गया है कि भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त नहीं थे। ऐसे में यदि इस मामले को लेकर सबसे ज्यादा चिंता किसी ने की है तो वह मोदी सरकार ने की है। देश में जबसे मोदी सरकार आई है तबसे महिलाओं के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। मोदी सरकार ने देश भर में महिलाओं के लिए शौचालयों का निर्माण करवाया और उनको उचित सम्मान दिया। महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना लेकर आए। ऐसे ही सुकन्या समृद्धि योजना है, मुद्रा योजना है, जिसके तहत कर्ज लेनेवाले में से 76 प्रतिशत महिलाएं हैं। मोदी सरकार की ‘मातृत्व योजना’ के तहत बच्चे के जन्म के समय महिलाओं के खाते में 6000 रुपए जमा किए जाते हैं, जिससे महिला अपनी और अपने बच्चे की देखभाल कर सकती है। इसके अतिरिक्त मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।

देश की ग्रामीण महिलाओं को ध्यान में रखते हुए स्वयं सहायता समूहों को मजबूती दी जा रही है। इसके अलावा तीन तलाक की कुप्रथा को मोदी सरकार ने समाप्त किया है। वहीं महिलाओं से संबंधित विभिन्न कानूनों में सुधार कर उनको सख्त बनाया गया है। यह मोदी सरकार के प्रयास ही हैं जिनके कारण हरियाणा से आरंभ हुए ‘बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओ अभियान’ का असर अब पूरे देश में दिखने लगा है।

देश में जबसे मोदी सरकार आई है तबसे महिलाओं के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं

राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

देखिए, दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है। परिणामस्वरूप, राजनीति में महिलाओं की समान भागीदारी अपेक्षित है, जैसा अन्य किसी भी क्षेत्र में होता है। हाल के दिनों में भारत में इस स्थिति में कुछ सुधार हुआ है और भारतीय जनता पार्टी इस संबंध में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। संगठन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ भाजपा ने सरकार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया है। मोदी सरकार में वर्तमान में 11 महिला मंत्री हैं। इसी तरह, पिछली सरकार में लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री के पद पर लोकप्रिय नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज थीं।

भारतीय संस्कृति में महिलाओं का क्या स्थान है?

भारतीय संस्कृति में वेद, उपनिषद और शास्त्रों में महिलाओं को हमेशा देवी का दर्जा दिया गया है और उनको पूजनीया माना गया है- ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ या ‘नारी तू नारायणी’। हां, मैं यह मानती हूं कि बीच में एक कालखंड ऐसा आया जब इस धारणा में कुछ बदलाव हुआ और महिलाओं का शोषण आरंभ हुआ, महिलाओं को पुरुषों के समान भागीदारी देने से इंकार किया गया।

लेकिन जबसे मोदी सरकार आई है, तबसे महिलाओं को लेकर धारणा में बदलाव आया है। उनकी सुरक्षा, स्वरोजगार और आत्मसम्मान को सुनिश्चित किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, मेरे संसदीय क्षेत्र भावनगर में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां सिर्फ महिला कुली कार्यरत हैं। ऐसे ही देखें तो आज रिक्शा ड्राइवर से लेकर फाइटर प्लेन भी महिलाएं चला रही हैं। खेलकूद में महिलाओं ने देश का नाम ऊंचा किया है। राजनीति में भी महिलाएं आगे आ रही हैं और कहा जा सकता है कि स्थिति में बहुत सुधार हो रहा है।

गुजरात में जब श्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने महिला सशक्तिकरण को लेकर अनेक योजनाएं प्रारंभ की थी। देश भर में इसकी बहुत प्रशंसा हुई थी। कृपया इस संबंध में हमें बताएं।

मोदीजी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने सबसे अधिक महिलाओं की चिंता की। मुख्यमंत्री रहते हुए श्री मोदी जब भी विदेश दौरे पर जाते थे, तो उन्हें विभिन्न उपहार मिला करते थे, जिनको परंपरागत तौर पर तोशाखाना में जमा करवा दिया जाता था, लेकिन माननीय मोदीजी इस संदर्भ में एक प्रस्ताव लेकर आए और उनके कहने पर इन उपहारों की नीलामी प्रक्रिया को आरंभ किया गया और इस प्राप्त राशि से महिलाओं के लिए ‘कन्या केलवणी निधि’ बनाया गया। इसके माध्यम से बेटियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम बनाए गए। गुजरात में जिन स्थानों पर बेटियों में अशिक्षा और ड्रॉपआउट दर अधिक थी, वहां ‘कन्या केलवणी रथ’ के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया गया। इसके अतिरिक्त गुजरात में बेटियों के लिए फ्री एसटी पास, मुफ्त साइकिल, यूनिफॉर्म, पुस्तकें और विभिन्न स्कॉलरशिप कार्यक्रमों को चलाया गया। गुजरात सरकार विद्यालक्ष्मी बॉन्ड भी लेकर आई। गुजरात के ग्रामीण इलाकों में बहुत सारी महिलाएं पशुपालन उद्योग से जुड़ी हुई हैं और हर गांव में एक दूध उत्पादक मंडली है। इनमें से जिन दूध उत्पादक मंडली में केवल महिला सदस्य है, उनके लिए विशेष प्रावधान किए गए। ऐसे ही प्रॉपर्टी लेनेवाली महिलाओं को स्टांप ड्यूटी से छूट दी गई थी। सरकारी भर्ती में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण है। स्थानिक स्वराज की संस्थाओं— ग्राम पंचायत, तहसील पंचायत, जिला पंचायत, नगरपालिका और महानगरपालिका में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। गुजरात में नारी अदालत की शुरुआत मोदीजी ने की, महिला सुरक्षा के लिए गुजरात में 181 नंबर हेल्पलाइन है। गुजरात में महिला पुलिस स्टेशनों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। वहीं, प्रदेश में ‘सुरक्षा सेतु’ योजना के अंतर्गत महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गुजरात सरकार ‘व्हालीदिकरी’ योजना भी चला रही है, जिस घर में बेटी होती है, गांव के सरपंच, जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी बैंड-बाजे लेकर उनके घर जाते हैं और उनके खाते में एक हजार रुपए जमा कर दिया जाता है। ऐसे ही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को सशक्त किया गया।

Friday, 21 January 2022

उत्तराखंड में भाजपा सरकार में सभी मोर्चों पर विकास हुआ है : दुष्यंत गौतम

 

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव-प्रचार जोरों पर है। यहां 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान संपन्न होना है। इसी संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं उत्तराखंड प्रदेश भाजपा प्रभारी श्री दुष्यंत गौतम से कमल संदेश के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा एवं डिजिटल मीडिया सदस्य विपुल शर्मा ने बातचीत की। श्री गौतम का कहना है कि उत्तराखंड में भाजपा सरकार में सभी मोर्चों पर विकास हुआ है। उन्होंने अपने वक्तव्य में राज्य सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यटन, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भाजपा केवल चुनाव के समय में नहीं, अपितु निरंतर कार्य करनेवाला राजनीतिक संगठन है, जबकि कांग्रेस केवल चुनाव के समय दिखती है। उत्तराखंड के अंदर भाजपा भारी बहुमत से विजयी होगी और ‘अबकी बार-साठ पार, फिर भाजपा सरकार’ का हमारा संकल्प साकार होगा। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्यांश :

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की क्या तैयारी है?

भारतीय जनता पार्टी एक ऐसा राजनीतिक दल है जो चुनावों के लिए विशेष रूप से कभी भी तैयारी नहीं करता है। वो निरंतर सेवाभाव से काम करता है। जनसंघ के समय से लेकर अभी भाजपा तक, देशसेवा और समाजसेवा के लक्ष्य को लेकर हम काम कर रहे हैं। जब भी कोई आपदा आती है, उससे बचाना हमारा संकल्प है। वर्तमान में कोरोना काल में हम ‘सेवा ही संगठन’, ‘सेवा ही समर्पण’ जैसे अभियान के माध्यम से सक्रिय हैं। इसलिए राजनीति में होते हुए भी हमें चुनाव के लिए कोई विशेष तैयारी नहीं करनी होती है। हम उतनी ही तैयारी करते हैं, जैसे परीक्षा के समय बच्चे को ज्यादा काम करना पड़ता है। यह सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जैसा नेतृत्व हमारे पास है, जो अपने अनुभवों, संकल्पों और समर्पण से हमें एक दिशा देते रहते हैं और हमें जागृत करते रहते हैं।

उत्तराखंड में भाजपा सरकार है। इस सरकार की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?

उत्तराखंड में भाजपा सरकार में सभी मोर्चों पर विकास हुआ है। महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। बहनों और महिलाओं को बराबर का अधिकार मिले, इसलिए उनको संपत्ति में हक हो, यह बहुत बड़ा कार्य किया गया है। घास काटने के लिए हमारी माताएं-बहनें बाहर जाया करती थीं, जिसके कारण जानवरों का भी शिकार हो जाया करती थीं। आज हम उन्हें ढाई किलो रुपए के अंदर घास दे रहे हैं। हमने गैस के कनेक्शन देकर उन्हें धुएं से बचाने का काम किया है। शौचालय देकर उनका मान बढ़ाया है।

पूरे देश के अंदर गरीबी रेखा के नीचे आयुष्मान कार्ड बांटा जाता है, लेकिन उत्तराखंड के अंदर सौ प्रतिशत लोगों को आयुष्मान कार्ड देने की बात की गई है। राज्य में सौ प्रतिशत टीकाकरण हुआ है। मुफ्त टीकाकरण के साथ-साथ बजट में हमने इस बार वृद्धि की है। ऑक्सीजन प्लांट हमने हर जगह शत-प्रतिशत स्थापित कर दी है। इसका स्तर बढ़ा है। ऋषिकेश को हम मेडिकल हब की तरह डेवलप कर रहे हैं। राज्य में कोई जिला ऐसा नहीं है जहां अस्प‍ताल न हो। चिकित्सकों की संख्या में हमने वृद्धि की है। मेडिकल इंटर्न सहायता की राशि जो साढ़े सात हजार रुपए हुआ करती थी, उसको बढ़ाकर साढ़े सत्रह हजार रुपए किया है।

उत्तराखंड देवभूमि है। चार धाम ऑल वेदर रोड की व्यवस्था हुई है। उत्तराखंड के लगभग हर परिवार से लोग सेना के अंदर जाते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता से आज वहां पर एक और धाम जुड़ गया है। सैन्यधाम पांचवें धाम के रूप में माना जाएगा। सैनिकों के विश्राम गृहों का हमने निर्माण किया है। एक सैनिक का बेटा आज राज्य का मुख्यमंत्री है।

हमने नई पर्यटन नीति बनाई है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। चंडीदेवी, सुरकंडादेवी मंदिर को भव्यता प्रदान की है। मसूरी रोपवे का निर्माण किया है। फिल्मों के अनुकूल उसको बनाने का काम किया है।

हमने एक रुपया में नल और नल में स्वच्छ जल की व्यवस्था की है। जिनके पास छत नहीं है उनके लिए मकान की व्यवस्था हुई है। कृषि बजट की बात करें तो सबसे ज्या‍दा बजट वहां किसानों के लिए रखा गया है। जंगली जानवरों से सुरक्षा की है। प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना देने की बात हमने कही है।
युवाओं के लिए हमने नई सरकारी नौकरियां खोली हैं। हाल ही में विभिन्न विभागों में 24 हजार नौकरियां निकाली हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से हम बिना गारंटी के ऋण दे रहे हैं। स्वरोजगार के लिए वीर चंद्र गढ़वाली योजना प्रारंभ किया है। नई स्टार्ट अप नीति बनाई है। डबल इंजन की सरकार का क्या फायदा होता है यह इससे पता चलता है कि हम पहाड़ों के अंदर रेल का निर्माण कर रहे हैं। जो पांच-पांच घंटे के रास्ते थे उनको एक-एक घंटे में तब्दील करने का काम कर रहे हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हमने नए कॉलेज खोले हैं। स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा दी है। उदयमान छात्र योजना बनाई है। अटल उत्कर्ष विद्यालय खोले हैं। विश्वविद्यालयों में हम फ्री वाई-फाई की सुविधा हम दे रहे हैं। मिड डे मील योजना को गुणवत्तापूर्ण ढंग से लागू किया है।

इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नमामि गंगे योजना, उड़ान योजना, उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका, वाटर शेड विकास कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आवास योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना, स्वामित्व योजना, पशु नस्ल सुधार, श्रम उद्योग, मत्स्य पालन, गोपालन, पशुपालन, बकरी पालन जैसी अनेक योजनाओं को मूर्त रूप देकर भाजपा सरकार ने उत्तराखंड का चहुंमुखी विकास किया है। इसलिए हम आज दावे से कह सकते हैं कि हमने लोगों के दिलों में जगह बनाई है।

पूर्व की कांग्रेस सरकार और वर्तमान भाजपा सरकार में क्या अंतर है?

सबसे बड़ा अंतर है कि उत्तराखंड राज्य का सपना श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने साकार किया। प्रदेश की भाजपा सरकार ने सबके मन में अपनी जगह बनाई है। आज की तारीख में आप कहीं भी राज्य में जाएंगे तो आपको भाजपा सरकार के विरुद्ध कुछ दिखाई नहीं देगा। वहां पर सारा पॉजिटिव ही दिखाई देता है। कांग्रेस ने स्वीकार किया है कि उसके शासन के अंदर वे जब 100 रुपए भेजते थे तो 15 रुपए ही जाते थे यानी 85 प्रतिशत खा जाया करते थे। जबकि हमने जन-जन के खाते खुलवाए हैं। उनके खाते में सरकार की धनराशि सीधे भेज दी जाती है। हम सरकार के पैसे का पारदर्शिता के साथ उपयोग करते हैं।

पहले जो भी सरकारें हुआ करती थीं उसमें ये होता था कि इस जाति को ये दे दो, इस धर्म के लोगों को ये दे दो। लेकिन हमने इस दृष्टि से काम किया है कि प्रत्येक व्यक्ति को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले। हम ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ इस ध्येय से काम कर रहे हैं।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश की जनता को विकास के नाम पर छला है।

कांग्रेस विपक्ष में है। ये सामान्य बातें हैं, जो विपक्ष को कहनी ही कहनी है। यहां भी कहेंगे वो अन्य राज्य में भी यही भाषा बोलेंगे। उनके पास कोई मुद्दा ही नहीं है बोलने के लिए। हम पूछते हैं कि क्योंं विपक्ष साढ़े चार साल के अंदर हमारे विरोध में कभी भी कोई आंदोलन नहीं कर पाया। चुनाव के समय दो-तीन महीने से वो बाहर निकलकर आ रहे हैं, लेकिन जनता ने उनको स्वीकार नहीं किया है। हम ‘एक साल बेमिसाल’, हर साल अपना जो कार्य है उसको जनता के बीच में ले जाते हैं। उनसे मापदंड पूछते हैं। फिर हम लगातार सुधार करते रहते हैं। विपक्ष राज्य में बिखरा-बिखरा दिखाई देता है। उत्तराखंड के अंदर भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से विजयी हो रही है। अबकी बार-साठ पार, फिर भाजपा सरकार।

Thursday, 20 January 2022

यह छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति के पोस्ट मैट्रिक छात्रों के लिए सुरक्षा कवच है

 भारतीय जनता पार्टी, अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लाल सिंह आर्य से ‘अनुसूचित जाति के पोस्ट मैट्रिक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति’ मुद्दे पर कमल संदेश के सह संपादक संजीव सिन्हा ने बातचीत की, जिसके प्रमुख अंश यहां प्रस्तुत हैं :      

देश में 1944 से अनुसूचित जाति के पोस्ट मैट्रिक बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना चालू थी। आजादी के बाद से अभी तक आवश्यक रुपए की व्यवस्था नहीं थी। इस छात्रवृत्ति में कुछ अनियमितताएं भी थीं। कम राशि होने के कारण छात्रों को यदि कुछ नए इंस्ट्रूमेंट लेना है, कुछ टेक्नाॅलोजी से जुड़ना है तो नहीं जुड़ पाते थे। राज्य सरकार समय पर पैसा नहीं भेजती थी इन छात्रों को, तो उनको जो भी साधन पढ़ने के लिए खरीदने थे तो वो उससे वंचित रहते थे। इस कारण से बच्चे कहीं न कहीं विद्यालय छोड़ते थे। ऐसी संख्या करोड़ों में है।

पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत एवं उनकी टीम ने एक अध्ययन किया कि आखिर अनुसूचित जाति के पोस्ट मैट्रिक बच्चे जो विद्यालय छोड़ रहे हैं, वो विद्यालय कैसे आएं, उनको पढ़ाई के साधन कैसे मिले, पारदर्शी व्यवस्था कैसे हो, इस संबंध में कैबिनेट की बैठक में निर्णय हुआ कि आनेवाले पांच वर्षों की योजना बनाई जाए और उन योजनाओं के तहत इस राशि को कई गुना बढ़ाकर 59 हजार करोड़ रुपए पांच साल में केंद्र सरकार खर्च करेगी। छात्रों का रजिस्ट्रेशन होगा, राज्य में उनके बैंक में खाते खुलेंगे और एक क्लिक से उन छात्रों के खाते में केंद्र सरकार पैसे डालेगी, तो एक पारदर्शी व्यवस्था हो गई।
इस छात्रवृत्ति में छात्रों को लैपटाॅप लेना है, रहने की, खाने की ये सारी व्यवस्थाएं कहीं न कहीं हैं। एक बड़ी चीज इसमें और की गई है कि पहले 60 लाख बच्चे ही लाभान्वित हो रहे थे, अब इससे प्रतिवर्ष चार करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे। एक करोड़ 36 लाख ऐसे बच्चे जो विद्यालय छोड़ गए हैं, उनके लिए सरकार घर-घर चलने का अभियान चलाएगी। उन बच्चों के परिवार और उनके बीच में जाना और उनसे आग्रह करना कि चलिए, आप दोबारा नामांकन करा लीजिए। तो सरकार का ऐसा अनुमान है कि कुल 36 लाख बच्चे पांच साल में पुनः विद्यालय में लौटेंगे। यह कहा जा सकता है कि बाबा साहेब अंबेडकर और दीनदयाल उपाध्याय जी के सपनों को अगर ईमानदारी से कोई पूरा कर रहा है तो नरेन्द्र मोदी जी की सरकार कर रही है।

कांग्रेस 57 वर्ष हिंदुस्तान में सत्ता में रही, उसके कई प्रधानमंत्री रहे, राज्यों में अनेक वर्षों तक उसके कई मुख्यमंत्री रहे, जो नरेन्द्र मोदी जी ने सोचा है, वो कांग्रेस ने क्यों नहीं सोचा? अगर कांग्रेस ने ईमानदारी से पोस्ट मैट्रिक छात्रों के लिए सोच लिया होता तो ड्राॅपआउट होता ही नहीं, बच्चे विद्यालय छोड़ते ही नहीं, नए बच्चे और आते। नरेन्द्र मोदी जी का जो ये निर्णय है, वह बहुत ऐतिहासिक है, बहुत पारदर्शी है और अनुसूचित जाति के पाेस्ट मैट्रिक छात्रों के लिए सुरक्षा कवच है।