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Thursday, 25 October 2007

कम्युनिस्टों का दोहरा चरित्र- प्रो.देवेन्द्र स्वरुप

केरल में कम्युनिस्ट नेतृत्व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा है। उसके कई मंत्री भ्रष्टाचार या यौन-उत्पीड़न के आरोप में त्यागपत्र देने को मजबूर हुए हैं। केरल की 20 प्रतिशत ईसाई जनसंख्या कम्युनिस्टों के विरोध में गोलबंद हो रही है। एक माकपा नेता मथाई चाको की एक वर्ष पूर्व कैंसर से मृत्यु पर कैथोलिक चर्च और माकपा के बीच वाकयुध्द छिड़ गया है। एक प्रतिष्ठित कैथोलिक पादरी का कहना है कि मथाई चाको ने मृत्यु के समय अन्तिम ईसाई उपदेश सुना। माकपा के महामंत्री पिनरई विजयन, जिनके विरुध्द भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उन पादरी को 'महाझूठा' व 'दुष्ट पुरुष' कह डाला। पिनरई का दावा है कि मथाई चाको जैसा सच्चा कम्युनिस्ट कभी भी धार्मिक कर्मकांड नहीं अपना सकता। चर्च ने इसके उत्तर में चाको के विवाह का चर्च में रजिस्ट्रेशन का प्रमाण प्रस्तुत किया है। चर्च का आग्रह है कि पिनरई सार्वजनिक माफी मांगें। चर्च ने बुधवार (17 अक्तूबर) को सभी ईसाई संस्थान बंद करके विरोध प्रदर्शन किया। वैसे भी वामपंथी गठबंधन सरकार की शैक्षणिक नीतियों के विरुध्द भी चर्च आन्दोलन की तैयारी कर रहा है और 1957 की नम्बूदिरीपाद सरकार को गिराने वाले आंदोलन की पुनरावृत्ति करने की धमकी दे रहा है। धर्म से घृणा और नास्तिकता में आस्था के इस दावे को एम.वी. राघवन एवं सी.पी. जोश जैसे पुराने कम्युनिस्ट भी महज ढोंग बता रहे हैं। उन्होंनें ई.एम.एस. नम्बूदिरीपाद और पूर्व मुख्यमंत्री ई.के. नायनार की मृत्यु के पश्चात् धार्मिक कर्मकाण्ड होने का उदाहरण दिया। माकपा की केन्द्रीय समिति के सदस्य एवं गृहमंत्री कोडियारी बालकृष्णन् के लिए उत्तर केरल के मन्दिर में धार्मिक अनुष्ठान कराने का उल्लेख किया। पोलित ब्यूरो सदस्य एस.रामचन्द्रन की पत्नी की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की अनुमति स्वयं पोलित ब्यूरो ने दी थी। अपने पुत्र के विवाह के समय ई.एम.एस. नम्बूदिरीपाद के सपरिवार मीनाक्षी मन्दिर मदुरै जाकर पूजा करने की घटना बहुचर्चित है।

भौतिकवाद और नास्तिकता में आस्था के ढोंग का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि अभी हाल ही में कोच्चि के रीजेंट होटल के हाल में माकपा की बैठक के बीच में मौलवी की अजान की आवाज कान में पड़ने ही बैठक स्थगित कर दी गई। मुस्लिम कार्यकर्ताओं को बैठक छोड़कर बाहर जाने की अनुमति दी गई। वहां उनके रोजा तोड़ने के लिए पार्टी की तरफ से नाश्ते की व्यवस्था की गई। यह है भारतीय कम्युनिस्टों के दोगले चरित्र का कच्चा चिट्ठा। केरल में कोयम्बतूर बम विस्फोट कांड के सूत्रधार नासिर मदनी की पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, इंडियन नेशनल लीग व जमाते इस्लामी आदि मुस्लिम संस्थाओं को रिझाने के लिए कम्युनिस्ट कितने समझौते कर रहे हैं, इसकी पूरी कहानी प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। कितना अच्छा हो कि संप्रग के सभी घटक दल मजहब के प्रति कट्टर मुस्लिम समाज के सामने कम्युनिस्टों की मजहब विरोधी नास्तिकता को नंगा करें। उन्हें बतलायें कि किस प्रकार रूस, चीन और पूर्वी यूरोप में इस्लाम और कम्युनिज्म में टकराव हमेशा से रहा है और आज भी है। भारतीय मुसलमानों को भी हिन्दू विरोधी मानसिकता से ऊपर उठकर नास्तिकता के विरुध्द मोर्चा खोलना चाहिए। इस्लाम के प्रति निष्ठा और नास्तिकता साथ-साथ नहीं चल सकते।

2 comments:

Unknown said...

बहुत सही जा रहे हो भाई,
ऐसे ही लगे रहो नकली कम्युनिस्टों के खिलाफ़..
गालियों की परवाह मत करो... मैंने भी "सोनिया गाँधी" वाली सीरिज लिखी थी तब भी लोग ऐसे ही तिलमिलाये थे... तमाम लेख-आलेख ढूँढ-ढूँढ कर कम्युनिस्टों को बेनकाब किया जाना जरूरी है...
http://sureshchiplunkar.blogspot.com

हरीश ओमप्रकाश शेवकानी said...

बहुत सही लिखा है. ये कम्युनिस्ट लोगो के खाने के दांत और और दिखाने के और होते है.