Saturday, 16 June 2007
साम्यवाद (Communism) पर जवाहर लाल नेहरु के विचार
दुनिया भर के प्रमुख विचारकों ने भारतीय जीवन-दर्शन एवं जीवन-मूल्य, धर्म, साहित्य, संस्कृति एवं आध्यात्मिकता को मनुष्य के उत्कर्ष के लिए सर्वोत्कृष्ट बताया है, लेकिन इसे भारत का दुर्भाग्य कहेंगे कि यहां की माटी पर मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं, जो पाश्चात्य विचारधारा का अनुगामी बनते हुए यहां की परंपरा और प्रतीकों का जमकर माखौल उड़ाने में अपने को धन्य समझते है। इस विचारधारा के अनुयायी 'कम्युनिस्ट' कहलाते है। विदेशी चंदे पर पलने वाले और कांग्रेस की जूठन पर अपनी विचारधारा को पोषित करने वाले 'कम्युनिस्टों' की कारस्तानी भारत के लिए चिंता का विषय है। हमारे राष्ट्रीय नायकों ने बहुत पहले कम्युनिस्टों की विचारधारा के प्रति चिंता प्रकट की थी और देशवासियों को सावधान किया था। आज उनकी बात सच साबित होती दिखाई दे रही है। सच में, माक्र्सवाद की सड़ांध से भारत प्रदूषित हो रहा है। आइए, इसे सदा के लिए भारत की माटी में दफन कर दें।
कम्युनिस्टों के ऐतिहासिक अपराधों की लम्बी दास्तां है-
• सोवियत संघ और चीन को अपना पितृभूमि और पुण्यभूमि मानने की मानसिकता उन्हें कभी भारत को अपना न बना सकी।
• कम्युनिस्टों ने 1942 के 'भारत-छोड़ो आंदोलन के समय अंग्रेजों का साथ देते हुए देशवासियों के साथ विश्वासघात किया।
• 1962 में चीन के भारत पर आक्रमण के समय चीन की तरफदारी की। वे शीघ्र ही चीनी कम्युनिस्टों के स्वागत के लिए कलकत्ता में लाल सलाम देने को आतुर हो गए। चीन को उन्होंने हमलावर घोषित न किया तथा इसे सीमा विवाद कहकर टालने का प्रयास किया। चीन का चेयरमैन-हमारा चेयरमैन का नारा लगाया।
• इतना ही नहीं, श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने शासन को बनाए रखने के लिए 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी और अपने विरोधियों को कुचलने के पूरे प्रयास किए तथा झूठे आरोप लगातार अनेक राष्ट्रभक्तों को जेल में डाल दिया। उस समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी श्रीमती इंदिरा गांधी की पिछलग्गू बन गई। डांगे ने आपातकाल का समर्थन किया तथा सोवियत संघ ने आपातकाल को 'अवसर तथा समय अनुकूल' बताया।
• भारत के विभाजन के लिए कम्युनिस्टों ने मुस्लिम लीग का समर्थन किया।
• कम्युनिस्टों ने सुभाषचन्द्र बोस को 'तोजो का कुत्ता', जवाहर लाल नेहरू को 'साम्राज्यवाद का दौड़ता कुत्ता' तथा सरदार पटेल को 'फासिस्ट' कहकर गालियां दी।
ये कुछ बानगी भर है। आगे हम और विस्तार से बताएंगे।
साम्यवाद (Communism) पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के विचार-
''मैं कोई साम्यवादी नहीं हूं, क्योंकि मैं उनके साम्यवाद को एक पवित्र धर्म मानने की प्रवृत्ति का विरोधी हूं। मैं यह पसंद नहीं करता कि मुझे कोई इसका आदेश दे कि मुझे क्या सोचना और क्या करना चाहिए। मैं यह भी आभास करता हूं कि साम्यवादी कार्यप्रणाली में अत्यधिक हिंसा का महत्व है। मेरा विश्वास है कि साधनों को साध्यों से अलग नहीं किया जा सकता है।''
- पं. नेहरू का जान गुंथर से वार्तालाप
"The Indian Communists are certainly not patriots. They are not interested in the well-being of Indian people, whatever other cause they may be seeking to serve. They speak about the country in a derogatory manner abroad. They preach violence which can only lead to a disastrous civil war."
"Now the problem of the Communist party is that all though it is functioning in the present day, its conditioning sometimes prevents it and often it isolates it from the rest of Indian humanity... if the majority of people in India... became communists. I am quite convinced that it would not be India; then it would be something else.
And I do not want that to happen... I do rule out being uprooted from India and may be made into some kind of a hot house plant which may be beautiful to look at but has in roots anywhere in the country."
(Speech in Rajya Sabha on 25 August, 1959)
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