हितचिन्‍तक- लोकतंत्र एवं राष्‍ट्रवाद की रक्षा में। आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

Monday 24 September, 2007

कम्युनिस्टों का असली चरित्र उजागर


कॉमरेडों, भारत की जनता मूर्ख नहीं है

पिछले लगभग दो साल से वामपंथी दल भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर यूपीए सरकार को बंदर घुड़की दे रहे है, परमाणु समझौते के विरोध में रैली निकाल रहे हैं, बंद का आयोजन कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं, सेमिनार कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुध्ददेव भट्टाचार्य एवं पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु भारत-अमेरिका परमाणु समझौता को जरूरी बता रहे है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के मानसिक दिवालिएपन का एक नायाब उदाहरण नीचे प्रस्तुत है। निम्न समाचार दैनिक समाचार पत्र 'हिन्दुस्तान' और कार्टून 'नवभारत टाइम्स' से साभार के साथ प्रस्तुत है।

अब बसु बोले- डील जरूरी
एटमी डील परमाणु ऊर्जा के लिए की जा रही है। परमाणु ऊर्जा जरूरी है और न्यूक्लियर प्लांट्स भी। जिस तरह से नए उद्योग पनप रहे हैं, उसे देखते हुए ऊर्जा की मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद है। उम्मीद है करार पर यूपीए-लेफ्ट की तकरार जल्द खत्म होगी।
-ज्योति बसु, पूर्व मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
(21 सितंबर, 2007 को दिया गया बयान)

हम परमाणु ऊर्जा की उपेक्षा नहीं कर सकते। हमें इस दिशा में आगे बढना होगा।
-बुध्ददेव भट्टाचार्य, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
(17 सितंबर, 2007 को दिया गया बयान)

एटमी करार पर कम्युनिस्टों के पिघलने के संकेत मिलने लगे हैं। क्योंकि 21 सितंबर, 2007 को परमाणु करार पर खुद वाम दलों में नजर आने लगी तकरार का पलड़ा अब सरकार के पक्ष में साफ झुकता नजर आया, जब वाम राजनीति के 'भीष्म पितामह' माने जाने वाले माकपा नेता ज्योति बसु ने खुलकर इसको जरूरी करार दे दिया।

हालांकि हाल ही में करार की अप्रत्यक्ष तरफदारी करने वाले पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुध्ददेव भट्टाचार्य की ही तर्ज पर उन्होंने भी इसे जरूरी बताने के लिए परमाणु ऊर्जा को ही सहारा बनाया। फर्क बस इतना ही था कि भट्टाचार्य ने डील का जिक्र किए बगैर परमाणु ऊर्जा को जरूरी बताया था तो बसु ने डील को परमाणु ऊर्जा के लिए हुई बताकर जरूरी बताया। बसु ने कहा- अमेरिका से हुई परमाणु डील परमाणु ऊर्जा के लिए हुई है और परमाणु ऊर्जा जरूरी है। हमें न्यूक्लियर प्लांट की भी जरूरत है। जिस तरह से नए उद्योग पनप रहे हैं, ऊर्जा की मांग में भी इजाफा होना ही है। बसु ने यह उम्मीद भी जताई कि करार पर चल रही यूपीए-लेफ्ट की तकरार भी जल्द ही खत्म हो जाएगी।

No comments: