प्रदेश के अलप्पुझा जिले में एक राजनीतिक विवाद तेजी से सुलग रहा है। यह विवाद उपजा है सरकार द्वारा वर्षों पूर्व खेतिहर मजदूरों को बांटी गई जमीन को लेकर। इस मुद्दे पर माकपा पर विपक्षी दलों के आरोपों की झड़ी लग गई है। भाजपा सहित विभिन्न दलों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। भाजपा ने इस भूमि घोटाले में लिप्त सभी दोषियों के विरुध्द कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह भूमि पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कुछ बड़े लोगों को बेची गई थी जिसके बदले में माकपा के कई नेताओं को घूस के रूप में काफी पैसा प्राप्त हुआ है।
उधर आरोपों में फंसी माकपा ने अपनी मुसीबत टालने की गरज से कूटामंगलम सर्विस कोआपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल को निरस्त कर दिया है। केरल का 'धान का कटोरा' कहे जाने वाले कुट्टनाड के आर ब्लाक की जमीन की खरीद के कारण बैंक इस समय आर्थिक संकट झेल रहा है। बैंक पर जिस निदेशक मंडल का नियंत्रण था, उसके सभी सदस्य माकपा के कार्यकर्ता हैं। निदेशक मंडल के सदस्यों ने ही कूटामंगलम सर्विस कोआपरेटिव बैंक से पार्टी के ही कुछ लोगों को जमीन खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराया था जबकि वही जमीन कुछ खेतिहर मजदूरों को पहले ही दी जा चुकी थी। समस्या तब पैदा हुई जब ऋण धारक पैसा नहीं लौटा पाए और बैंक पर आर्थिक संकट मंडराने लगा, बैंक को बंद करने के हालात पैदा हो गए।
माकपा के खिलाफ सबसे बड़ा आरोप यही है कि सभी सम्बंधित नियमों को ताक पर रखकर ऋण बांटे गए थे। माकपा सूत्रों के अनुसार इस पूरे सौदे में ही घोटाला है। भाजपा का कहना है कि यह भूमि पर्यटन से जुड़े लोगों को बेची गई थी जो अलप्पुझा जिले में काफी प्रभावशाली हैं।
उल्लेखनीय है कि भूमि सुधार आन्दोलन के दौरान यहां के खेतों की जमीन जमींदारों से ले ली गई थी। राजस्व दस्तावेजों के अनुसार यह 170 एकड़ जमीन 217 खेतिहर कृषि मजदूरों को वितरित की गई थी। इसमें से 151.55 एकड़ सन् 2006 में 20 लोगों को बेच दी गई। इस सौदे के लिए बैंक ने 60 लाख रु. के ऋण दिए थे। राजस्व विभाग के आकलन के अनुसार, इस पूरी भूमि का मूल्य 75,34,786 रु. से कम नहीं आंका गया था। इसी आकलन के अनुसार कोआपरेटिव संयुक्त पंजीयक ने बैंक को इस सौदे पर आगे बढ़ने की इजाजत दी थी, मगर बैंक ने सौदे के लिए 60 लाख रुपए तय कर दिये। इस पूरे मामले में स्थानीय माकपा नेता जोसेफ सेबेस्टियन की भूमिका के कारण यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है। अलेप्पी जिला सहकारी बैंक, जिसने कूटामंगलम सर्विस कोआपरेटिव बैंक को वह पैसा दिया था, ने कूटामंगलम बैंक को नोटिस जारी कर दिया है, क्योंकि वह बैंक उसका पैसा वापस नहीं कर पाया था। इस सब घटनाक्रम के बाद बैंक के निदेशक मंडल को हटा दिया गया है। भाजपा ने इसे राज्यव्यापी मुद्दा कहते हुए इसके विरोध में प्रदर्शन किया। उसका कहना है कि इस जमीन की खरीद जब प्रतिबंधित थी तब यह सौदा आखिर कैसे हो गया। प्रदीप कुमार
1 comment:
भाई संजीव जी
नमस्कार,
केरल के माकपा सरकार के राज मे हुए घोटाले को उजागर कर आपने बड़ा ही सराहनीय कार्य किया है. ऐसा लगता है की मार्क्सवाद का मतलब अब घोटाला, हिंसा ,भ्रष्टाचार , जबरदस्ती , और सिर्फ़ और सिर्फ़ जबरदस्ती रह गया है . नंदीग्राम ओइर सिंगुर इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने है. अच होता यदि ये कथित मार्क्सवादी कभी अपने अंतर्मन मे झाँककर जबाब पाने की कोशिश करते. चुनाव जितना और सुशाशन दोनों अलग अलग चीज़ें हैं जो इनकी समझ में कभी नही आएगा.
धन्यवाद
आपका हितैषी ,
धनंजय शुक्ल
Post a Comment