कॉमरेडो की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क होता है। अमेरिका और बहुराष्टीय कंपनियों को पानी पी-पीकर गाली देना और अमेरिका में अपने बच्चों को पढने भेजना, अमेरिकी संस्थानों की मलाई चाटना इनकी पुरानी शगल है। कोकाकोला के खिलाफ आंदोलन करना और बाद में कोक से अपनी प्यास बुझाना यही इनकी क्रांति का मर्म है।
4 comments:
परदे में रहने दो...परदा ना...
अब इनको सुधरने भी दीजिये! आज इन्हें अमेरिकी चीजें पसन्द आ रहीं हैं तो कल भारतीय चीजें भी पसन्द आयेंगी। कब तक 'वोडका' से ही काम चालाते रहेंगे?
कॉमरेडो की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क होता है। अमेरिका और बहुराष्टीय कंपनियों को पानी पी-पीकर गाली देना और अमेरिका में अपने बच्चों को पढने भेजना, अमेरिकी संस्थानों की मलाई चाटना इनकी पुरानी शगल है। कोकाकोला के खिलाफ आंदोलन करना और बाद में कोक से अपनी प्यास बुझाना यही इनकी क्रांति का मर्म है।
ये तो सभी नेताओं का काम है की -- बोलो कुछ और रहो कुछ और
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