माकपा काडर के द्वारा आग में जलाये गये बच्चे
पश्चिम बंगाल के एक कोर्ट ने तापसी मलिक हत्याकांड में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) के दो नेताओं को हत्या का दोषी पाया है। याद रहे कि तापसी मलिक सिंगुर में ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रही थी। बीबीसी हिंदी के सौजन्य से यह खबर यह यहां प्रस्तुत है-
सिंगुर हत्याकांड: दो सीपीएम नेता दोषी
सुबीर भौमिक
बीबीसी संवाददाता, कोलकाता
तापसी मलिक सिंगुर में ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रही थी।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार महाश्वेता देवी ने जब निम्न पंक्तियां लिखी थी तो कॉमरेडों ने उनका उपहास उडाया था। सिंगूर में माकपा के रोंगटे खडे कर देने वाले आतंक के बारे में महाश्वेता ने लिखा था कि ''सिंगूर की जमीन जबरन अधिग्रहीत करने के विरोध में उस इलाके में जो लोग आंदोलनरत थे, उनमें एक प्रमुख नाम तापसी मालिक का भी था। उसने अनशन भी किया था। दिन भर भूखे रहने के बाद रात को खाना खाया और सो गई, किन्तु सूर्योदय नहीं देख पाई। वह जब तड़के नित्य कर्म करने मैदान गई, तो उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके बाद उसके शरीर पर कैरोसिन तेल छिड़ककर उसे जला कर मार डाला गया। लगातार 30 वर्षों तक शासन में रहने के बाद वाममोर्चा के अधोपतन का ये हाल है। कहना न होना कि ये कम्युनिस्ट फासिस्ट हो गए हैं। जब कम्युनिस्ट फासिस्ट होते है, तो उनका फासिज्म देखकर पुराने जमाने के फासिस्ट भी लजा जाते हैं।''(वर्तिका से साभार, हिन्दी रूपान्तर:रंजू सिंह)
पश्चिम बंगाल के एक कोर्ट ने तापसी मलिक हत्याकांड में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) के दो नेताओं को हत्या का दोषी पाया है।
बुधवार को इस मामले में सज़ा सुनाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि तापसी मलिक सिंगुर में ज़मीन का अधिग्रहण का विरोध करने वालों में ख़ासी सक्रिय थीं।
सिंगुर के एक खेत में 18 दिसंबर 2006 को तापसी मलिक की लाश बुरी तरह से जली हुई हालत में मिली थी।
पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले के चंदन नगर के अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश अमर कांति आचार्य ने सुहरिद दत्ता और देबू मलिक को तापसी मलिक की हत्या और षडयंत्र रचने का दोषी पाया है। सुहरिद दत्ता पश्चिमी बंगाल में सीपीएम के ज़िला स्तर के जाने-माने नेता हैं और देबू मलिक पार्टी के कार्यकर्ता हैं।
उनके वकील का कहना है कि वे इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय में ज़ल्दी ही अपील करेंगे।
तृणमूल का विरोध
ग़ौरतलब है कि सिंगुर इलाक़े में दिसंबर 2006 में जब 18 वर्षीय ग्रामीण महिला तापसी मलिक की कोलकाता के नज़दीक सिंगुर में लाश मिली, उस समय टाटा उद्योग समूह अपनी प्रस्तावित कार फ़ैक्टरी के लिए ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया में जुटा हुआ था।
सिंगुर में किसानों और तृणमूल कार्यकर्ताओं ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था।
हालाँकि कई प्रभावित किसानों ने वहाँ भूमि अधिग्रहण का विरोध नहीं किया था, लेकिन कई किसानों ने तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के समर्थन के साथ इस प्रक्रिया का विरोध किया था।
तापसी मलिक भी विरोध करने वाले लोगों में आगे थीं।
इस घटना के एक महीने बाद हत्या की जाँच को केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था। इसके बाद सीबीआई ने सत्तारूढ़ सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुहरिद दत्ता और देबू मलिक को गिरफ़्तार किया था।
सीबीआई ने उनके ख़िलाफ़ एक विस्तृत चार्जशीट भी दाख़िल की थी।
जानकारों के मुताबिक सीपीएम ने सिंगुर में विपक्षी पार्टियों के विरोध को कुचलने की ज़िम्मेदारी सुहरिद दत्ता और उनके सहयोगी देबू मलिक को सौंपा था लेकिन उनकी गिरफ़्तारी के बाद मार्क्सवादी पार्टी को धक्का लगा।
मई 2008 में पंचायती चुनाव में सिंगुर में तृणमूल कांग्रेस ने सीपीएम को हरा दिया था और तृणमूल कांग्रेस ने अनिच्छुक ग्रामीणों की ज़मीन वापसी के अपने संघर्ष को और तेज़ किया था।
सिंगुर में कड़े विरोध के कारण ही टाटा ने अक्तूबर में नैनो कार बनाने की अपनी फ़ैक्ट्री को पश्चिम बंगाल से बाहर गुजरात ले जाने का निश्चय किया था।
6 comments:
नंदीग्राम और सिंगूर ने कम्युनिस्टों के चेहरे से नकाब हटा दिया है. बर्बरता में यह पिशाचों से भी आगे हैं.
महिलाओं का बलात्कार करना, उसे जलाना, मजदूर-किसानों को छ: इंच छोटा करना, ट्रेन, बस अड्डा उडाना, यही मार्क्सवादियों के मुख्य काम है। भारत की माटी पर मार्क्सवाद वैचारिक तौर पर धराशायी हो चुका है।
ये है असली चेहरा गरीब मजदूरों की हमदर्द मार्क्सवादी पार्टी के केडर का | पूंजीपतियों के हाथों खेलने वाले पूंजीवाद का विरोध करने वाले बर्बर नरपिशाच | मेरी नजर में हिन्दुस्थान की सबसे गन्दी पार्टी |
कम्यूनिस्ट लाओ जनसंख्या घटाओ
मर्क्सिस्ट्स ब्रिंग्स यू द कम्प्लीट एंड प्रोफेशनल सोल्यूशन फॉर एलिमिनेशन ऑफ़ द नेशन्स पुअर एंड अनप्रोडक्टिव पॉपुलेशन
jara is lek ko mohalla blag ke modratoe avinash ko avinshonly@gmail.com par bhej de. unke jaise dohre charitr valon ko bhee jameenee sachchaaii malum hoge.
khud ko kahte hai coomunist aur pet palte hain dainik bhaskar se jiske mailk hee RSS ke svyansewak rahe hain. jahan tak meree jankaree hain rameshjee aur sudhirjee ne bhee do varsh ka prashikshan liya hai.
is article ka copyright ki sthiti kya hai ?
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