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Thursday, 7 November 2019

दक्षिण कोरिया से हम कई विषयों पर सीख सकते हैं : मुरलीधर राव

 भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री मुरलीधर राव के नेतृत्व में पार्टी के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण कोरिया का प्रवास किया। यह यात्रा 14 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच संपन्न हुई। इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. विजय सोनकर शास्त्री, सांसद श्री उमेश जी. जाधव, भाजपा विदेश मामले विभाग के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. विजय चौथाइवाले, डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी शोध अधिष्ठान के निदेशक डॉ. अनिर्बान गांगुली एवं भाजपा विदेश मामले विभाग से जुड़े डॉ. आश्विन जोहर भी शामिल थे।

गत 22 अक्टूबर को भाजपा राष्ट्रीय महासचिव श्री मुरलीधर राव से कमल संदेश के सहायक संपादक संजीव कुमार सिन्हा ने उनके नई दिल्ली स्थित निवास पर दक्षिण कोरिया प्रवास को लेकर बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-

आपके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कोरिया के प्रवास पर रहा। इस यात्रा का उद्देश्य क्या था?

इस यात्रा का उद्देश्य भारत और दक्षिण कोरिया के बीच पार्टी के स्तर पर बेहतर संबंधों को बढ़ावा देना था।

देखिए, पूर्वी एशिया में गत पांच दशकों में औद्योगिक विस्तार कर एक महत्त्वपूर्ण सफल अर्थव्यवस्था का संचालन करते हुए जो तीन-चार देश गतिशील हैं उसमें दक्षिण कोरिया आता है। दक्षिण कोरिया गत कुछ वर्षों से एक ट्रेड सरप्लस कंट्री के नाते स्थापित हुआ है। निर्यात करते हुए, अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए, लगातार ग्रोथ रेट बढ़ाते हुए, वहां की गरीबी को समाप्त किया, शिक्षा के स्तर को बहुत ऊंचा किया और अपने प्रति व्यक्ति आय भी 30-35 हजार डॉलर तक बढ़ाया तो इस प्रकार के एक सफल-विकसित देश के नाते दक्षिण कोरिया स्थापित हुआ है।

गत कुछ वर्षों में वहां शुरुआत के दिनों में कुछ दिक्कतें आईं, लोकतांत्रिक व्यवस्था पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाई, लेकिन गत दो दशकों में एक सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के नाते भी उसने अपनी राजनीतिक व्यवस्था को स्थिर किया। हमारी जैसी आबादी नहीं है लेकिन एक महत्वपूर्ण देश है, तो इस दृष्टि से भारत और चीन के साथ-साथ जब दो सौ वर्षों के बाद एशिया जो महाखंड है ये एक बार फिर से विश्व के अंदर महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के नाते उभर रहा है, फिर से आर्थिक मजबूती को स्थापित कर रहा है। दो सौ साल उपनिवेशवाद के कारण बहुत कुछ खोया था तो ऐसे में भारत से आने वाले दिनों में रिश्ते, राजनीतिक दृष्टि और आर्थिक दृष्टि से बढ़ना चाहिए, ऐसा वहां की पार्टी और सरकार भी सोच रही है। हमारी लुकईस्ट पॉलिसी जिसे हमारी सरकार ने भी मोदीजी के नेतृत्व में इसको और सक्रिय किया तो ऐसे में उस देश को समझना, संवाद को बढ़ाना, रिश्तों के लिए भविष्य की संभावनाओं को तलाशना और रिश्तों के लिए एक प्रकार से नींव डालने का काम, इस दृष्टि से हमारे सात दिन की छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा हुई और यह सचमुच बहुत सफल यात्रा संपन्न हुई।

इस प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण कोरिया में सात दिनों तक किस तरह से प्रवास किए। किस प्रकार के कार्यक्रम रहे?

वहां की जो कोरिया फाउंडेशन है उन्होंने हमारे सारे कार्यक्रमों की रचना की। वहां की सरकार चलाने वाली लिबरल पार्टी, विपक्ष की कंजरवेटिव पार्टी और उसके महत्त्वपूर्ण नेता, ऐसे सब लोगों से व्यक्तिगत और सामूहिक हमारी बातचीत हुई। उनके साथ देश की राजनैतिक, द्विपक्षीय और अलग-अलग देशों के साथ संबंध, उसमें जो जटिलताएं हैं, इन सब पर चर्चा हुई। यहां के एमपी के समान जो वहां की नेशनल असेंबली के मेंबर्स हैं, ऐसे कई लोगों से हमारा मिलना हुआ। वहां नेशनल असेंबली में भी जाकर सब देखा और वहां के अधिकारियों से बात की। उसके अलावा वहां के जो पॉलिसीज इशूज पर सोचनेवाले महत्वपूर्ण थिंक टैंक्स हैं उन सबसे हम मिले। उनकी टोली के साथ हमारी गहन चर्चा हुई।

वहां बुद्धिज्म के लगभग चौदह सौ साल पुराने मोनास्ट्री है, तुंगडो मोनास्ट्री, वहां 20-22 प्रतिशत से ज्यादा आबादी बुद्धिज्म के लोग हैं, ऐसे रिलीजियस नेताओं के साथ हम उनसे भी मिले, उनके साथ हमारा भोजन का कार्यक्रम भी था, वहां संवाद का कार्यक्रम भी हुआ और इसके अलावा हमारे वहां पर जितने इंडस्ट्रीज हैं जो भारत के लिए भी और वहां भी महत्त्वपूर्ण हैं, ऐसे हुंडई, सैमसंग, पास्को और डंकू और इस प्रकार के जो महत्त्वपूर्ण कंपनीज हैं, उनसे मिले। उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों से भी हम मिले। मीडिया के हाउसेस में भी हम गए तो संपूर्ण समाज के अलग-अलग महत्वपूर्ण लोग हैं, पक्ष हैं, उनसे विभिन्न विषयों पर योजनाबद्ध ढंग से चर्चा हुई।

इसी वर्ष दक्षिण कोरिया ने भारत को अपना ‘विशेष रणनीतिक साझेदार’ घोषित किया। दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध किस तरह से विकसित हो रहे हैं?

देखिए, 1991 के उदारीकरण के बाद उस समय की सरकार ने लुकईस्ट पॉलिसी की घोषणा की थी। हमारे संबंध बढ़ाने का कार्य शुरू किया था। अटलजी की सरकार के समय भी इसकी गति तेज करने का काम किया। अब विशेषकर मोदीजी की सरकार आने के बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति और यहां के प्रधानमंत्री दोनों के बीच गर्मजोशी के रिश्ते हैं। आपसी विश्वास भी है, आपसी केमिस्ट्री बहुत अच्छा है। ऐसी मान्यता वहां के लोगों में है। यहां पर सरकार में स्पेशल डेस्क भी हुआ है, निवेश के बारे में और इससे संबंधित मुद्दों के बारे में समयबद्ध ढंग से इसके फॉलोअप करने की व्यवस्था यहां की सरकार ने किया, जिसका बहुत अच्छा रिस्पांस वहां से है।

वो ट्रेड सरप्लस कंट्री होने के कारण उनके पास निवेश करने के लिए बहुत अच्छी पूंजी हैं, उसका उपयोग करने की मंशा हमारे मन में है और आर्थिक दृष्टि से यहां कई जगह पर वो निवेश कर रहे हैं, निवेश बढ़ा है। हम दोनों के बीच में जो ट्रेड है वो 21 बिलियन डॉलर का अभी हो रहा है। हमारे ट्रेड डेफिसीट ज्यादा हैं। आने वाले दिनों में ये ट्रेड डेफिसीट कम करने के लिए उनके देश में कृषि क्षेत्र, स्पेस रिसर्च, सुरक्षा, कृषि, ऑरगेनिक फूड्स और कल्चर, ऐसे क्षेत्र में भारत आगे बढ़ सकता है, इसकी संभावनाएं हमें चर्चा में मिली। हम केंद्र सरकार को भी रिपोर्ट देंगे, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी देंगे, तो जो भविष्य की संभावनाएं हैं उन संभावनाओं को और मजबूत करने के लिए हम आगे बढ़ेंगे।

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि दक्षिण कोरिया भारत के लिए रोल मॉडल है, ऐसा क्यों?

ऐसा इसलिए कहा कि हम लगभग एक ही समय में गुलामी से मुक्त हुए। हम हुए 1947 में और वे 1945 में। उनका पार्टिशन हुआ। हमारा भी पार्टिशन हुआ। दक्षिणी कोरिया-उत्तरी कोरिया करके पार्टिशन हुआ। हमारा भारत और पाकिस्तान के नाते। इतने नीचे से गरीबी से, पिछड़ेपन से, निरक्षरता से, सारी समस्याओं से जूझनेवाला दक्षिणी कोरिया इन सब चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आज एक औद्योगिक और प्रौद्योगिक संपन्न देश बन गया है। विपुल मात्रा में पूंजी अर्जित कर प्रति व्यक्ति आय बढ़ाते हुए आधारभूत ढांचे को पूरे देश में गांव-गांव में फैलाया। पांच दशकों के अंदर वह दुनिया के अग्रिम देशों की पंक्ति में आ गया। प्रवास के दौरान अध्ययन पश्चात् हमें लगा कि  दक्षिण कोरिया से कई विषयों पर हम सीख सकते हैं, इसलिए भारत के भविष्य के लिए दक्षिण कोरिया रोल मॉडल की तरह है।

वहां के राजनेताओं, बुद्धिजीवियों और आम आदमी में भारत के प्रति किस प्रकार की सोच है?

देखिए, बुद्धिस्ट लोग वहां आबादी में 20-25 प्रतिशत है। किंतु मूलत: सांस्कृतिक दृष्टि से वो बुद्धिस्ट देश है। इसका प्रभाव आज भी उनके ऊपर है। आज मजहब के नाते कुछ लोग बदले होंगे और कुछ लोग नास्तिक होंगे, उसके बाद भी नास्तिकता के नाते एथिइज्म डिक्लेयर्ड उसके नाते सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत वो लोग होंगे, फिर भी वहां बुद्धिज्म की संस्कृति का प्रभाव दिखता है। इसके रहते हुए वहां के आमलोगों में बुद्धिज्म के लिए भारत के प्रति, हालांकि बुद्धिज्म चीन के माध्यम से गया, आदर का भाव है। भारत उनके लिए मातृभूमि है, बुद्ध की जन्मभूमि है, कर्मभूमि है, तपोभूमि है, इसलिए हमारी सांस्कृतिक महत्ता को वो समझते हैं, इसलिए भारत के प्रति उनके मन में खूब सम्मान है।

इसके अलावा भी हमने देखा कि वहां ऐतिहासिक कुछ और चीजें हैं। वहां सरनेम किम रखने वालों की आबादी भी 8 से 10 प्रतिशत है। मान्यता है कि ये किम सरनेम रखनेवाली जो आबादी है, उसका संबंध अयोध्या से है। यहां की राजकुमारी शताब्दियों पहले वहां गईं और वहां के कारक डायनेस्टी स्थापित करने वाले महाराज के साथ उनकी शादी हुई और सुरीरत्ना नाम से वह इतिहास में अंकित है। आज उसको वहां हियो के नाम से जानते हैं। उनके वंशजों का ही सरनेम किम है। तो इसके आज भी भावनात्मक और सांस्कृतिक रिश्ते हैं। इसलिए भारत के प्रति आदर है। यही नहीं, जब दक्षिणी कोरिया के ऊपर जापान का राज चलाता था तो उसे लेकर रवींद्रनाथ टैगोरजी ने कविता लिखी कि पूरे विश्व में दक्षिणी कोरिया फिर से लैंप ऑफ द ईस्ट के रूप में पुनर्जाग्रत होगा और विश्व के अंदर एक अच्छी भूमिका निभाएगा। यह लोगों के मन में है। वे लोग इसे भूल नहीं पा रहे हैं और इतना ही नहीं, हमारी भारतीय सेना की भी यशस्वी भूमिका है।

उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच में जब युद्ध हुआ, सिविल वार हुआ, 1950 से 53 के दौरान, तो इस दौरान मेडिकल मिशन के रूप में आर्मी के लोगों ने जो सेवा की, उसके कारण लोगों में आज भी बड़ी श्रद्धा है। इसलिए हमारे लोगों के प्रति, हमारी संस्कृति के प्रति और हमारे देश के प्रति वहां के बुद्धिजीवियों, राजनेताओं सबके मन में सम्मान और विश्वास, ये दोनों चीजें मुझे देखने को मिली। भारत में मोदीजी की सरकार इतने बड़े लोकतांत्रिक देश में दुबारा जीतकर इतनी बड़ी संख्या में वोट प्राप्त सत्ता में आई, इससे वो अचंभित हैं और इसे सम्मान से देखते हैं। इसलिए मोदीजी के प्रति वहां पढ़े-लिखे लोगों में और सामान्य लोगों में एक आदर का भाव है।

Tuesday, 4 June 2019

संगठन की सक्रियता और भाजपा सरकार की उपलब्धियों के चलते हमारी शानदार जीत हुई : श्याम जाजू

 देश के अनेक राज्यों की तरह उत्तराखंड और दिल्ली में भी भाजपा ने सभी लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी ने उत्तराखंड की सभी पांच और दिल्ली की सात सीटों पर कमल खिलाया। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू के पास दिल्ली एवं उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी का दायित्व है। कमल संदेश के सहायक संपादक संजीव कुमार सिन्हा ने नई दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में उनसे लोकसभा चुनाव के संदर्भ में इन दोनों राज्यों में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर बातचीत की। अपने संगठनात्मक कौशलता के लिए ख्यात श्री जाजू का कहना है कि संगठन की सक्रियता और भाजपा सरकार की उपलब्धियों के चलते पार्टी ने शानदार सफलता प्राप्त की। प्रस्तुत हैं मुख्यांश :

आप भाजपा, दिल्ली प्रदेश और उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी हैं। इन दोनों राज्यों में पार्टी ने शत–प्रतिशत सीटें जीती हैं। इस जीत के क्या कारण रहे?

उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी हमने सभी पांचों सीटें जीती थी, उसके बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो 70 में से 57 सीटें हम जीते, थराली का उपचुनाव हुआ वो भी हम जीते, नगर निकाय के चुनाव हुए उसमें भी बढ़त हासिल की और इस बार भी पांचों की पांच सीट हमने जीती। कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हारे, इस सबके पीछे प्रमुख कारण यह रहा कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हुआ है। केंद्र से ऑलवेदर रोड के लिए जो पैसे गए, रेल के लिए जो पैसे गए, इससे वहां की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन आया है, पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है और इन सबके चलते प्रदेश का भरपूर विकास हुआ। अब उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश है जहां मुख्यमंत्री ने शत–प्रतिशत स्वास्थ्य बीमा दिया है, अटल आयुष्मान योजना वहां पर लागू किया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की उपलब्धियों का भी हमें फायदा हुआ, इस सबके चलते उत्तराखंड में हम पांचों सीटें जीते।

जहां तक दिल्ली का सवाल है, दिल्ली में भी पिछली बार हम सभी सातों सीटें जीते थे। दिल्ली में भी केंद्र सरकार के माध्यम से इस पांच साल के कार्यकाल में जो इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट हुआ है, इसका हमें लाभ मिला। दिल्ली में कांग्रेस ने बड़े दिग्गज नेता मैदान में उतारे थे। पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, उन सबको लोगों ने नकारा। आम आदमी पार्टी से लोगों को हताशा थी और उन्होंने एकमात्र सशक्त और समर्थ विकल्प के रूप में भारतीय जनता पार्टी को चुना।

दोनों राज्यों में भाजपा ने लोकसभा चुनाव को लेकर किस प्रकार की रणनीति बनाई थी, चुनाव अभियान किस प्रकार चला, इसके बारे में हमें बताएं।

भाजपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत है। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बहुत अच्छा काम किया। दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी का पन्ना प्रमुख, बूथ प्रमुख, शक्ति केंद्र प्रमुख, मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, ये जो नेटवर्क था, इस नेटवर्क ने प्रत्याशियों की मेहनत के समानांतर सघन अभियान चलाया, इसका यह परिणाम हुआ कि शानदार जीत हम हासिल कर पाए। उत्तराखंड में विषेशकर हमारे लोगों ने सभी जगह पर अनुसूचित जाति के सम्मेलन किए, 70 के 70 विधानसभाओं में हमारे सम्मेलन हुए, युवा शक्ति को जोड़ने के लिए बाइक रैलियां हुईं।

दिल्ली में हर विधानसभा क्षेत्र में महिला मोर्चा का सम्मेलन हुआ। यहां भी अनुसूचित जाति मोर्चा ने बहुत अच्छा काम किया, रामलीला मैदान में विशाल कार्यक्रम आयोजित किया था। झुग्गी–झोपड़ी का वोट–बैंक जो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में शिफ्ट हो गया था, वो भी इस बार हमारे साथ रहा। कई पैमाने पर मुस्लिम वोट भी हमें मिले हैं। इन सबका मिला–जुला असर ये रहा कि हम इन दोनों राज्यों में सभी सीटें जीत पाए।

Friday, 17 May 2019

भाजपा कर्नाटक में जीत की नई इबारत लिखेगी और तमिलनाडु में अधिक सीटें हासिल करेगी: मुरलीधर राव

भाजपा राष्ट्रीय महासचिव श्री मुरलीधर राव लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पार्टी के कर्नाटक और तमिलनाडु प्रदेश प्रभारी हैं। उन्होंने पिछले कई महीने इन राज्यों में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए व्यापक प्रचार किया और भाजपानीत राजग को जीत दिलाने के लिए अथक प्रयास किया। कर्नाटक और तमिलनाडु में मतदान संपन्न हो गया है। कमल संदेश के सहायक संपादक संजीव कुमार सिन्हा ने श्री राव के साथ इन राज्यों में भाजपा के चुनावी अभियान, रणनीति और भाजपानीत राजग के प्रदर्शन के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की। श्री मुरलीधर राव ने बताया कि इस बार भाजपा कैसे जीत की नई इबारत लिखेगी और तमिलनाडु में अधिक सीटें प्राप्त करेंगी। प्रस्तुत है मुख्य अंशः

कर्नाटक और तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं जहां के आप प्रदेश प्रभारी हैं। इन राज्यों में पार्टी का प्रचार अभियान किस तरह चला और प्रमुख मुद्दे क्या थे ?

कर्नाटक में भाजपा को हमेशा एक मजबूत शक्ति के रूप में देखा जाता है लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों में हम सत्ता में नहीं आए क्योंकि हम कुछ सीटों से पीछे रह गए। हालांकि, भाजपा 104 सीटों के साथ नंबर एक राजनीतिक दल के रूप में उभरी।

पिछले विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस और जद(एस) दोनों को अपनी शक्ति का एहसास हुआ और अपने अस्तित्व के लिए उन्हें गठबंधन सरकार बनाने के लिए एक साथ आना पड़ा। कांग्रेस इतनी डरी हुई थी कि उसने खुद को गठबंधन सरकार में एक अधीनस्थ दल के रूप में प्रस्तुत किया तथा केवल 38 सीटों के साथ जद (एस) ने मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया और सरकार में मुख्य भूमिका निभाई। इस गठजोड़ ने वास्तव में गठबंधन की मजबूरियों और कमजोरियों का प्रदर्शन किया है और दिखाया है कि कैसे ब्लैकमेल और आंतरिक झगड़ा आए दिन का क्रम बन गया है। कर्नाटक के लोग इस स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इससे भाजपा को एक तरह का फायदा हुआ है, इसीलिए भाजपा सरकार या मोदी सरकार की जरूरत है।

इस एक आख्यान (नैरेटिव) के साथ-साथ राष्ट्रीय आख्यान – राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास, सुशासन, पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचारमुक्त शासन, गरीबों के कल्याण आदि मुद्दे ने भाजपा की बहुत मदद की है।
कर्नाटक में भाजपा का चुनाव अभियान हमारे विचारों के अनुरूप आगे बढ़ा। यह मोदीजी बनाम अन्य का रहा। इसलिए यह अभियान मोदीजी और उनकी उपलब्धियों के आसपास केंद्रित था।
इसलिए, इस बार मुझे उम्मीद है कि विभिन्न क्षेत्रों के फीडबैक के अनुसार हम कर्नाटक में भाजपा की जीत में कुछ और सीटें जोड़ेंगे और राज्य में एक नई इबारत लिखेंगे। निश्चित रूप से पार्टी ने 2014 में जो प्रदर्शन किया था, उससे हम आगे जाएंगे।

तमिलनाडु में भाजपा को किस तरह का समर्थन मिल रहा है ?

तमिलनाडु 39+1 (पांडिचेरी), 40 सीटों वाला एक बहुत बड़ा राज्य है। 2014 के चुनावों में मोदीजी के पक्ष की लहर ने हमारी बहुत मदद की, उस समय अनेक छोटे दलों के साथ हमारा गठबंधन था। हमें 19.5 प्रतिशत का महत्वपूर्ण वोट शेयर मिला, लेकिन इसके मुताबिक यह सीट में परिणत नहीं हो सका था। इसलिए हम केवल दो सीटें पाने में कामयाब हुए थे।

अब, इस चुनाव में डीएमके और कांग्रेस के गठजोड़ के खिलाफ हम एआइडीएमके, पीएमके, डीएमडीके और अन्य कुछ दलों के साथ एक अच्छा जीवंत गठबंधन बनाने में कामयाब रहे। तमिलनाडु में इस गठबंधन के कारण लड़ाई बहुत तीव्र हो गई और मेरे विचार से मोदीजी के नेतृत्व एवं उनके अभियान के चलते हम एक नई रचना बनाने में सक्षम हुए, जिसे हम गठबंधन सहयोगियों और लोगों के बीच बनाना चाहते थे। इसलिए, निश्चित रूप से हम वहां एक सफल राजग की पटकथा लिखने के लिए सोच रहे हैं। मोदीजी के नेतृत्व में एनडीए को इस बार तमिलनाडु में अच्छी संख्या प्राप्त होगी।

विपक्षी दलों के महागठबंधन से भाजपा और राजग को किस तरह की चुनौती मिल रही है ?

पूरे देश में महागठबंधन नहीं है। पूरे देश में विपक्षी एकता नहीं है। वे भाजपा बनाम अन्य के बीच की लड़ाई देखना चाहते थे। जैसा आप जानते हैं अन्य का प्रतिनिधित्व एक प्रत्याशी करता है जो भाजपा के खिलाफ है। विपक्ष की रणनीति यह है कि भाजपा विरोधी मत को विभाजित होने से रोका जाए।

हालांकि, कई महत्वपूर्ण राज्यों में वे ऐसा नहीं कर पाए। अगर आप उत्तर प्रदेश का उदाहरण लें तो कोई एकजुट लड़ाई नहीं है, बंगाल में कोई एकजुट लड़ाई नहीं है, ओडिशा में कोई एकजुट लड़ाई नहीं है, केरल में एकजुट लड़ाई नहीं है और आंध्र प्रदेश में ऐसा कुछ नहीं है।

इसलिए, महागठबंधन अब केवल एक नारा है और यह एक प्रकार का स्वप्नलोक है और जमीन पर ऐसा कोई महागठबंधन नहीं है और यह महागठबंधन संभव नहीं हो पाया है क्योंकि वे एक नेता पर सहमत नहीं हैं, वे इस बात पर सहमत नहीं हैं कि कौन शासन करेगा और एजेंडा क्या होगा, कार्यक्रम क्या होगा ?

किसी ने राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया है और अन्य दल इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। अन्य दलों ने कुछ अन्य नामों का प्रस्ताव किया है और कांग्रेस ने उन्हें स्वीकार नहीं किया है। यहां तक कि ऐसी पांच पार्टियां जो महज पांच सीटें जीतने को सोच रही हैं, वे भी प्रधानमंत्री बनने का महास्वप्न देख रही हैं। यही कारण था कि महागठबंधन स्थापित नहीं हो सका।

लोग इसे जानते भी थे। उन्हें एक स्थिर सरकार, निर्णायक सरकार और ऐसी सरकार की जरूरत है जो फैसले ले सके, ऐसा केवल मोदीजी कर सकते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर भाजपानीत राजग का प्रदर्शन कैसा रहेगा ?

केंद्र में मोदी सरकार के बारे में आम जनता ने जो आख्यान तैयार किया है, वह यह है कि मोदीजी के हाथों में राष्ट्र सुरक्षित है, मोदीजी के नेतृत्व में इस देश को स्थिर सरकार मिली है, मोदीजी का नेतृत्व निर्णायक है तथा मजबूत एवं असमझौतावादी नेतृत्व के चलते वैश्विक एजेंसियों, बहुपक्षीय एजेंसियों एवं सभी महत्त्वपूर्ण देशों से बातचीत करने में सक्षम है एवं हमारे देश के हितों को केवल मोदी सरकार द्वारा संरक्षित किया जा सकता है। इसलिए, लोग इन मुद्दों पर भी चर्चा कर रहे हैं और इस आधार पर भाजपानीत राजग का समर्थन कर रहे हैं।

वे राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय विकास, गरीबों के कल्याण, सुशासन और भ्रष्टाचारमुक्त शासन जैसे मुद्दों के महत्व को महसूस कर रहे हैं, इसलिए मुझे लगता है कि इन सकारात्मक पहलों के लिए भाजपानीत राजग को 2014 में जो प्राप्त हुआ था उसे अधिक सीटें मिलेंगी।