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Saturday, 4 December 2021

प्रधानमंत्री मोदीजी अनुसूचित जनजाति समाज के उत्थान को लेकर अंतर्मन से काम कर रहे हैं : समीर उरांव

 

भारतीय जनता पार्टी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड से राज्यसभा सांसद श्री समीर उरांव का कहना है कि मोर्चा जनजाति समाज में पार्टी की विचारधारा का प्रसार कर रहा है; इसके साथ ही इस समाज की प्रमुख समस्याओं— पलायन और बेरोजगारी को दूर करने के लिए संसदीय संकुल विकास योजना बनाने को लेकर कार्य कर रहा है।

पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में श्री समीर उरांव से ‘कमल संदेश’ के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा एवं कमल संदेश डिजिटल टीम सदस्य विपुल शर्मा ने मोदी सरकार द्वारा जनजाति समुदाय के हितार्थ किए जा रहे कार्यों, भाजपा एसटी मोर्चा की गतिविधियों एवं आगामी योजनाओं पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्यांश—

जनजातीय गौरव दिवस के रूप में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाने का निर्णय लिया गया है। गत 15 नवंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहला जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया। इससे देश भर में क्या संदेश गया?

पिछले 10 नवंबर को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कैबिनेट में विभिन्न विषयों के साथ अनुसूचित जनजातियों के सम्मान के लिए जनजाति वीर महापुरुष, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में महती भूमिका निभाई थी, ऐसे ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को इसलिए चुना गया कि वे देश की आजादी की लड़ाई के साथ-साथ समाज ‘आत्मनिर्भर’ हो, इसकी भी चिंता करते थे। वे गांव-गांव में जाकर जन-जागरण करते थे। जहां कहीं भी किसी प्रकार की समस्या, विपत्ति या बीमारी की बात हो, लोग बिरसा मुंडाजी को याद करते थे, उनके पास जाते थे। उनके आत्मीय भाव से लोग संकट से मुक्त हो जाते थे और इस तरह बिरसा मुंडाजी भगवान के रूप में सुविख्यात हो गए।

भगवान बिरसा मुंडाजी राष्ट्र, राष्ट्रीयता, राष्ट्रभक्ति के भाव के साथ आगे बढ़े। इससे अंग्रेजों को काफी परेशानी होने लगी और वे इनको ढूढ़ने लगे। भगवान बिरसा मुंडा ने डोंबारी बुरू से उलगुलान शुरू कर दिया कि अब अंग्रेज को यहां से भगा देना है। डोंबारी बुरू को लेकर इतिहास के पन्नों में ठीक से बातें अंकित नहीं है। जालियावाला बाग कांड से पूर्व 1896 के आसपास डोंबारी बुरू में उलगुलान के बाद जब इन लोगों की बैठक हो रही थी, उस समय अंग्रेज सिपाहियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इसमें भगवान बिरसा मुंडाजी के सैकड़ों अनुयायी हताहत हो गए। भगवान बिरसा मुंडाजी ने देश-समाज के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। जेल के अंदर रहस्यमय ढंग से उनकी मृत्यु हो गई।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में देश के ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से अपने भाषण में स्वतंत्रता संग्राम में भगवान बिरसा मुंडाजी की महती भूमिका को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था कि जनजातीय महापुरुषों की स्मृति में संग्रहालय हो, जिससे छात्र प्रेरणा लेकर राष्ट्रभक्ति के भाव के साथ आगे बढ़ें।

और 15 नवंबर, 2021 को यह अवसर आया जब उनकी जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई गई। जिस जेल में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हुई, वहां पर भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय का भी उद्घाटन हुआ। आज देश का जनजाति समाज गर्व के साथ प्रफुल्लित है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त कर रहा है।

अनुसूचित जनजाति समाज के हित में मोदी सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए हैं ?

सबसे बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अनुसूचित जनजाति के हित में सोचते हैं और उसे साकार करते हैं। जनजाति समाज आगे बढ़े, इस दृष्टि से मोदीजी को लगा कि सबसे पहले इनकी शिक्षा ठीक ढंग से हो, इसलिए नवोदय विद्यालय की तर्ज पर एकलव्य मॉडल रेसिडेंसियल स्कूल योजना बनाई और आज साढ़े सात सौ के आसपास ये विद्यालय बनने प्रारंभ हो गए हैं।

देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातियों के हित में सोचा। इसलिए, अलग से जनजातीय मंत्रालय का गठन किया। उस काम को प्रधानमंत्री मोदीजी तेजी से आगे ले गए।

जनजाति का जीवन जल, जंगल, जमीन से जुड़ा हुआ है। अंग्रेज सरकार आई, उस समय 1927 में फॉरेस्ट एक्ट बना दिया, उसके बाद 1960 में एक्ट बना। 1980 में वन का राष्ट्रीयकरण किया गया। 2006 में कांग्रेस सरकार ने फॉरेस्ट राइट एक्ट, कम्युनिटी फॉरेस्ट राइट बनाया। रिजर्व फॉरेस्ट, प्रोटेक्टेड एरिया फॉरेस्ट; विलेज फॉरेस्ट ऐसा वर्गीकरण कर दिया। इन सबके चलते जनजाति अपने अधिकार से वंचित होते गए। हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने इन सारी चीजों को देखा और सूक्ष्मता के साथ अध्ययन किया कि उनका अधिकार कैसे प्राप्त हो। उन्होंने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्ट्री को कहा कि इसका सरलीकरण किया जाए।

लोग अपने गांव की सीमा के अंदर अपनी वनभूमि पर उत्पादन कर सके और सामुदायिक वन का संरक्षण-संवर्धन कर सके, इसके साथ-साथ वहां से प्राप्त चीजों का विपणन भी कर सके, इस बात को ध्यान में रखते हुए ज्वाइंट रिज्यॉल्यूशन करने का काम पिछले 6 जुलाई को हुआ है। इसके आधार पर देश भर के फॉरेस्ट विलेज और इसके निकट रहनेवाले लोग सामुदायिक वनाधिकार का लाभ लेने की योजना में आगे बढ़ रहे हैं। गांव-गांव में लोग समूह बनाकर वनधन केंद्र के माध्यम से वनोत्पाद को आगे बढ़ा रहे हैं। ट्राइफेड के माध्यम से उसके विपणन के काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। जनजातियों के सशक्तिकरण के लिए ट्राइबल फाइनेंस कॉरपोरेशन के माध्यम से योजना बनाई गई है। मत्स्य विभाग, पशुपालन विभाग आदि विभागों में पचास प्रतिशत सब्सिडी के आधार पर उनके रोजगार की व्यवस्था की गई है। स्टार्टअप योजना में इनके लिए बहुत से प्रावधान किए गए हैं।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा आदिवासियों को गुमराह कर रही है। इस पर आपका क्या कहना है ?

कांग्रेस खुद दोषी है। संविधान निर्माण के समय से ही वह जनजातियों को धोखा देने का काम कर रही है। वह संविधान के अंदर जनजातियों की स्पष्ट परिभाषा तक नहीं बना पायी। अनुसूचित जाति को लेकर संविधान निर्माण के समय स्पष्ट रूप से कहा गया कि अनुसूचित जाति के जो लोग अपनी आस्था, विश्वास और पारम्परिक उपासना को अगर त्याग देते हैं, वह अनुसूचित जाति की सूची से बाहर हो जाएंगे। लेकिन अनुसूचित जनजाति के लोग जिन्होंने आस्था, विश्वास और परंपरा; इन सारी चीजों को वर्षों-वर्षों से त्याग दिया है वे आज भी अनुसूचित जनजाति के रूप में बने हुए हैं। वर्तमान में 729 अनुसूचित जनजातियों की सूची है।

अनुसूचित जनजाति के लोग कहते हैं कि हम प्रकृति पूजक हैं। यानी सीधे सनातनी भाव के साथ जुड़े हुए हैं, इसलिए वह सनातन हैं। लेकिन कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने उनके बारे में देश भर में भ्रम फैलाया कि वे सनातनी नहीं हैं।

आजादी के बाद से चाहे केंद्र में हो या बाकी राज्यों में, अधिकांश समय कांग्रेस की सरकारें रही हैं लेकिन उन्हें अनुसूचित जनजाति हित में सोचने तक की फुर्सत नहीं रही। योजना बनाने का विषय तो बाद की है।

हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदीजी जनजातियों को आगे बढ़ाने के लिए पूरे अंतर्मन से काम कर रहे हैं, यह कांग्रेस के लोगों को पच नहीं रहा है।

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की गतिविधियों के बारे में बताएं ?

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद हमने संगठन की अंतिम इकाई ‘बूथ’ के कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाई है। मोर्चा जनजाति समाज में पार्टी की विचारधारा का प्रसार कर रहा है। अभी लगभग 30 संगठनात्मक प्रदेशों में हम काम कर रहे हैं। उसमें से 20 प्रदेशों में मेरे स्वयं का प्रवास हो चुका है। हमारे पदाधिकारीगण भी प्रवास कर रहे हैं। इससे हमारी संगठनात्मक संरचना नीचे स्तर तक ठीक ढंग से बन रही है। गत 22, 23 और 24 अक्टूबर को एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक रांची में संपन्न हुई। उसमें सभी प्रदेशों से जो अपेक्षित थे उतने लोग आए। इस महामारी के समय में भी एसटी मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने ‘सेवा ही संगठन’, ‘सेवा समर्पण अभियान’ जैसे रचनात्मक अभियानों में पूर्ण मनोयोग के साथ महती भूमिका निभाई है।

भाजपा के प्रति जनजाति समाज का समर्थन निरंतर बढ़ रहा है। वर्तमान में आरक्षित और अनारक्षित सीटों को मिलाकर पार्टी के 40 लोकसभा सांसद हैं और राज्यसभा में 7 सांसद। प्रधानमंत्री मोदीजी भी पूरे विश्वास के साथ जनजातियों के हित में काम कर रहे हैं। इसीलिए नारा है– सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। उनकी यात्रा में जनजाति समाज और मोर्चा के कार्यकर्ता भी सहयोग करते आगे बढ़ रहे हैं।

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की आगामी योजनाएं क्या हैं ?

अनुसूचित जनजाति समाज की प्रमुख समस्याएं हैं— पलायन और बेरोजगारी। इसे दूर करने के लिए हम पहल कर रहे हैं। संसदीय संकुल विकास योजना बनाने को लेकर कार्य चल रहा है। अभी तक हम लोग ऐसे 40 संसदीय क्षेत्रों को एक कलस्टर के रूप में चयनित कर चुके हैं। कलस्टर के अंदर गांव भी चयनित हो गए हैं। इस संबंध में हमारी दो तीन स्तर की बैठकें और कार्यशाला भी हो गई हैं। वहां क्या-क्या संभावनाएं हैं, इन सारी चीजों का सर्वेक्षण कर सूचीबद्ध कर लिया गया है। अब हम वहां कैसे एक साल के भीतर उसी परिसर के अंदर उन लोगों को रोजगार दे सकते हैं, कैसे पलायन को रोक सकते हैं, वहां की उत्पादित चीजों का प्रसंस्करण करते हुए किस प्रकार से बाजार तक पहुंचा सकते हैं, उनकी आमदनी कैसे सीधे उनकी जेब में आ सकती है, इस प्रकार से योजना करके हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। ताकि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की जो परिकल्पना हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की है, वह साकार हो सके।

Thursday, 18 November 2021

ईमानदार व पारदर्शी भाजपा सरकार के चलते हरियाणा में हमें पुन: जनसमर्थन मिला : अनिल जैन

 हाल ही में संपन्न हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और बहुमत से थोड़ी ही दूर रही। ध्यातव्य हो कि हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटों में से भाजपा ने 40 सीटों पर विजय हासिल की थी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव एवं राज्य सरकार की उपलब्धियों को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं हरियाणा प्रदेश भाजपा प्रभारी डॉ. अनिल जैन से उनके नई दिल्ली स्थित निवास पर कमल संदेश के सहायक संपादक संजीव सिन्हा ने बातचीत की। डॉ. जैन का कहना है कि हरियाणा में भाजपा की ईमानदार और पारदर्शी सरकार के चलते पार्टी को दुबारा जनसमर्थन मिला। वहीं उनका मानना है कि मोदी शासन में विश्व पटल पर भारत की साख बढ़ रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर हम सशक्त हो रहे हैं और गरीब अपने दम पर खड़ा हो सके, इसके लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
हम यहां बातचीत के मुख्यांश प्रस्तुत कर रहे हैं :

हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सर्वाधिक सीटें जीती। पांच साल शासन में रहने के बाद लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करना कठिन होता है। पार्टी बहुमत के करीब रही। इस उपलब्धि के पीछे क्या कारण रहे ?

देखिए, हरियाणा विधानसभा में पहले हम 4 से 47 हुए। इस चुनाव में हमें 40 सीटें मिलीं। यह उपलब्धि हम इसलिए प्राप्त कर पाए कि केंद्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार है। मोदीजी की अपार लोकप्रियता है। इसके साथ, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह और प्रदेश भाजपा ने अच्छी रणनीति बनाई। हमने इसे नीचे तक क्रियान्वित किया। इसका हमें लाभ मिला। सांगठनिक स्तर पर विजय संकल्प रैली, पन्ना प्रमुख महासम्मेलन, चुनावी जनसभा, सघन प्रवास और संवाद आदि के माध्यम से संगठन को सशक्त करते हुए यह उपलब्धि प्राप्त की।

राज्य सरकार के सुशासन से लोगों में बहुत उत्साह था। इसी के कारण हमने पांच वर्षों में जो भी चुनाव हुए, चाहे स्थानीय निकायों के हों, पंचायतों के हों, मेयर के हों या फिर उपचुनाव, सभी चुनावों में हमने लगातार विजय हासिल की। सभी 10 लोकसभा सीटें हमने जीती। तो ये मोदीजी की लोकप्रियता, अच्छी रणनीति और हमारी राज्य सरकार जो पांच साल ईमानदारी से चली, उसके कारण से संभव हुआ।

हरियाणा सरकार की ऐसी कौन सी प्रमुख उपलब्धियां हैं जिनके चलते पार्टी को पुन: जनसमर्थन प्राप्त हुआ ?

अब हरियाणा भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का प्रदेश नहीं रहा। तो सबसे बड़ी उपलब्धि तो ये है कि यह सरकार ईमानदार सरकार है। पारदर्शी सरकार है। इसने नौकरियों में पारदर्शिता रखी। पर्ची और खर्ची के बगैर नौकरियां दीं। सबसे बड़ा काम हमारी सरकार का यही था। बहुत काम हुए। गिनाएंगे तो बहुत लंबा समय लगेगा लेकिन प्रमुख रूप से देखें तो सरकार की ईमानदार छवि, हरियाणा एक – हरियाणवी एक, भेदभाव के बिना विकास, पारदर्शी तरीके से नौकरियां उपलब्ध कराने का काम, सही ट्रांसफर पॉलिसी; ये ऐसे काम हैं जिनके कारण से सरकार की एक छवि निखरकर आई।

हरियाणा किसान प्रधान राज्य है। किसानों के हित में सरकार ने किस तरह के कदम उठाए हैं ?

हरियाणा ने सबसे पहले जितना मुआवजा कहा, उतना दिया। केंद्र सरकार ने मुआवजा डेढ़ गुना बढ़ाया, हरियाणा ने दो गुना बढ़ा दिया। पहले 50 प्रतिशत फसल के नुकसान पर मुआवजा मिलता था, अब 33 प्रतिशत पर मिलने लगा। हरियाणा ने शुरू-शुरू में 2100 करोड़ का मुआवजा दिया। जबसे हरियाणा बना तबसे 2014 तक कुल मिलाकर 1200 करोड़ का मुआवजा दिया गया है और हमारी सरकार द्वारा 2014 से लेकर अब तक 3600 करोड़ का करीब-करीब मुआवजा दिया गया है। पर्याप्त मुआवजा देना अर्थात् सरकार किसानों के साथ खड़ी है। फिर किसानों को भावांतरण योजना से लाभान्वित करना, ये सरकार और किसान के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। तीसरी बात, एक-एक दाना खरीदना। दूसरे प्रदेश के किसान भी लेकर आ जाते हैं क्योंकि हरियाणा के किसानों का दाना-दाना खरीदा जाता है, तो ये खरीद पूरी करना बड़ी बात है। खरीद में केवल धान ही नहीं, केवल गेहूं ही नहीं, तो सूरजमुखी, बाजरा, सब प्रकार की फसलें हैं, इनकी खरीद की योजना बनाई जाती है। 92 प्रतिशत तक एमएसपी बढ़ाकर खरीदा है। दक्षिण हरियाणा का सूखेग्रस्त किसान भी बाजरे की खेती कर लाभप्रद रह सकें, इसकी योजना को क्रियान्वित किया। केंद्र में मोदीजी ने लागू की थी, उसको सही स्तर पर हरियाणा ने अपने यहां लागू किया है।

युवाओं के समक्ष एक प्रमुख मुद्दा रहता है कि उन्हें रोजगार मिले। इस दिशा में राज्य सरकार की ओर से किस तरह के प्रयास किए जा रहे है ?

हरियाणा में युवाओं के हित में सरकार अनेक योजनाएं चला रही है और गंभीरता से प्रयास कर रही है। आज सबसे ज्यादा खुश युवा है क्योंकि खेलों में सबसे ज्यादा उन्नति, प्रगति, खिलाड़ियों को नौकरी, खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि, पूरे देश में हरियाणा में सबसे ज्यादा दिए जाते हैं। दूसरा, युवाओं के लिए नौकरी, ईमानदारी और पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। युवा सबसे ज्यादा इस बात से खुश है। अभी 62 हजार नौकरियां दी थी और नौकरियां निकलने वाली हैं। हमें यह समझना होगा कि केवल नौकरी से युवा को रोजगार नहीं दिया जा सकता, हमें रोजगार के साधन उपलब्ध कराकर अधिक रोजगार सृजन करना होगा। इसको ध्यान में रखते हुए हरियाणा ने करीब-करीब 16 लाख लोगों को मुद्रा लोन दिए हैं। उल्लेखनीय है कि एक आदमी अकेला अपना काम नहीं करता तो 2-3 लोगों को रोजगार देगा तो 30-40 लाख लोगों को रोजगार वही दे देगा, तो इस प्रकार से ये हम कोशिश कर रहे हैं। जितनी प्राइवेट नौकरियां हैं, उनमें 75 प्रतिशत हरियाणा के लोगों को नौकरी मिलें, कम से कम क्लास 3 और क्लास 4 नौकरियों में, इसकी चिंता सरकार करेगी।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा था कि राज्य में हम एनआरसी लागू करेंगे तो इसकी क्या जरूरत है यहां ?

एनआरसी तो पूरे देश में लागू करने की जरूरत है। हरियाणा में भी बंगलादेशी घुसपैठिए आकर रहते हैं। फरीदाबाद, पानीपत, यमुनानगर, गुड़गांव जैसे अनेक जगहों पर हैं, घुसपैठिए यहां क्यों रहे? यह देश से जुड़ा विषय है इसलिए मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने कहा कि ये सारे प्रदेश में लागू होने चाहिए, यह ठीक है। हरियाणा देश का हिस्सा है।

केंद्र में भी भाजपा सरकार है। आपकी दृष्टि में इस सरकार की क्या प्रमुख उपलब्धियां हैं ?

केंद्र सरकार ने जिस प्रकार से देश के मान, सम्मान और स्वा‍भिमान को विश्व पटल पर सबसे ऊंचा रखा है, आजादी के बाद यह बहुत बड़ी उपलब्धि‍ है। मैं व्यक्तिगत रूप से इस बात को कहूंगा क्योंकि मेरे साथ किस्से जुड़े हैं। मैं लखनऊ में मेडिकल कॉलेज में पढ़ा। मेरे साथ के सौ लोग बाहर होंगे। ये लोग पहले क्या कहते थे और आज कितने गर्व से रहते हैं, इससे पता लगता है कि भारत ने कितनी बड़ी प्रगति की है। सारी दुनिया में प्रधानमंत्री कहीं जाते हैं, तो लोग मोदी-मोदी के नारे से उनका स्वागत करते हैं, सारी दुनिया देखकर दंग रहती है। देश के प्रधानमंत्री का इतना मान-सम्मान होता है, बड़े से बड़ा राष्ट्राध्यक्ष पलक-पावड़े बिछाकर मोदी का स्वागत करते हैं, ये बहुत बड़ी बात है। खाने-पीने से बड़ी चीज सम्मान है। देश के सम्मान की बात आती है तो व्यक्तिगत सम्मान भी पीछे रह जाता है। मोदीजी ने सबसे बड़ा काम मेरी दृष्टि में अगर कोई किया है तो देश का सम्मान दुनिया की नजर में बहुत ऊंचा किया है।

देश की सुरक्षा के प्रति देश में जिस प्रकार की गंभीरता मोदीजी ने दिखाई, वह उल्लेखनीय है। चाहे वो पुलवामा के बाद बालाकोट की घटना हो या चाहे उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की घटना हो, दुनिया में अमेरिका और इजराइल के बाद भारत तीसरा ऐसा देश है, जो दूसरे के देश में जाकर अपने सैनिकों की शहादत का बदला ले सकता है। हमने ऐसा करके दिखाया। एक बार नहीं, दो-दो बार करके दिखाया। दुनिया भी भारत की शक्ति को मानने लगी है। प्रधानमंत्री मोदीजी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति को समझने लगी है।

तीसरी बात, मैं जनकल्याण की कहूंगा। गरीब अपने दम पर खड़ा हो सके, इसके लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। अंत्योदय लागू करना हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता है। अंत्योदय मतलब गरीब कल्याण, हम इसे साकार कर रहे हैं। 2022 तक सबके सिर पर छत हो, 2 करोड़ से ज्यादा घर मोदी जी ने बनाकर दिए है। 12 करोड़ की जनसंख्या इससे प्रभावित हुई। 8-9 करोड़ शौचालय बनवाकर दिए। कितने परिवारों को इसने प्रभावित किया। गरीब के जीवन में परिवर्तन आए, गैस दी। फिर तमाम तरह की उनको सहूलियतें दीं। आयुष्मान भारत की योजना, पूरी दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। 50 करोड़ प्रभावित हुए इससे। 5 लाख तक का बीमा। अभी तक करीब-करीब देश में 30-35 लाख लोगों ने इसका लाभ ले लिया है। तो ऐसी योजनाएं, जिससे देश का गरीब स्वाभिमान के साथ खड़ा होकर देश की प्रगति में साथ दे सके, चलाई जा रही हैं। यह संवेदनशीलता दिखाता है कि नेतृत्व की दिशा क्या है। इसमें 100 फीसदी खरे उतरे हैं मोदीजी। उनके नेतृत्व‍ में देश सही मायने में आगे बढ़ रहा है। अभी तो अपार संभावनाएं हैं, आगे ऐसे प्रयास होते रहेंगे।

Thursday, 14 October 2021

‘सेवा और समर्पण’ हर भाजपा कार्यकर्ता के लिए मूल मंत्र है : अरुण सिंह

 

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री अरुण सिंह ने ‘कमल संदेश’ के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा और राम प्रसाद त्रिपाठी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में ‘सेवा और समर्पण अभियान’ के पीछे के विचार और इसकी उल्लेखनीय सफलता के बारे में चर्चा की। श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एक कर्मयोगी हैं और उन्होंने अपने साहसिक निर्णयों और दूरदर्शी नेतृत्व से ‘न्यू इंडिया’ के सपने को साकार करने का विश्वास जनता में पैदा किया है। इसलिए, 17 सितंबर से 07 अक्टूबर तक यानी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से लेकर 20 दिनों के लिए पार्टी ने पूरे देश में ‘सेवा और समर्पण अभियान’ चलाने का निर्णय लिया। हमारे लिए यह खुशी का पल है क्योंकि इस अभियान का समापन शासन के प्रमुख के रूप में श्री मोदी के शानदार 20 साल पूरे होने पर हो रहा है। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश–

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा 17 सितंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से शुरू किया गया ‘सेवा और समर्पण अभियान’ 7 अक्टूबर को एक बड़ी सफलता के साथ संपन्न हुआ। कृपया इस अभियान के बारे में हमें बताइए।

जैसा कि आप जानते हैं, 07 अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सांविधानिक सेवा में अपने 20 वर्ष पूरे किए है, जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 13 वर्ष से अधिक और शेष भारत के प्रधानमंत्री के रूप में है। ठीक 20 साल पहले 07 अक्टूबर 2001 को श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 2001 और 2014 के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य किया और 26 मई, 2014 को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। श्री मोदी ने 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने के बाद मई, 2019 में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। वह अकेले ऐसे राजनेता हैं जो पिछले दो दशकों से उल्लेखनीय उपलब्धियों के साथ राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। इसलिए 17 सितंबर से 07 अक्टूबर तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से लेकर 07 अक्टूबर तक 20 दिनों के लिए पार्टी ने पूरे देश में ‘सेवा और समर्पण अभियान’ के रूप में श्री मोदी के शानदार 20 साल पूरे होने का उत्सव मनाया।

‘सेवा और समर्पण’ अभियान और इसकी भव्य सफलता के पीछे मुख्य विचार और प्रेरणा क्या है?

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी देश के करोड़ों लोगों के लिए सुशासन के प्रतीक हैं। उन्हें उनके दूरदर्शी नेतृत्व और प्रधानमंत्री के रूप में असाधारण सफलताओं के लिए जाना जाता है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का मामला हो, तीन तलाक के खिलाफ कानून, अयोध्या में राम मंदिर, सीएए, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा, जीएसटी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने समाज की बेहतरी के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जो देश की आजादी के बाद से लंबित थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एक कर्मयोगी हैं और उन्होंने अपने साहसिक निर्णयों और दूरदर्शी नेतृत्व से ‘न्यू इंडिया’ के सपने साकार करने का विश्वास जनता में पैदा किया है। उनके निर्णयों के कार्यान्वयन ने एक आत्मनिर्भर और मजबूत भारत की नींव रखी, उनके नेतृत्व में देश एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है।

श्री मोदी ने गरीबी को बहुत करीब से देखा है और इसी ने उन्हें जन-धन, उजाला, उज्ज्वला, किसान सम्मान निधि, सौभाग्य, पीएम आवास, स्वच्छ भारत अभियान, वोकल फॉर लोकल, गरीब कल्याण और कई अन्य योजनाओं को लागू करने के लिए प्रेरित किया है। उनकी प्रत्यक्ष लाभ योजना ने भ्रष्टाचार पर रोक लगा दी है और बिचौलियों को खत्म कर दिया है। इन सभी कारणों से विशेष रूप से पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ता और आम लोग मोदीजी को एक प्रेरणा और मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं। मैं तो कहूंगा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के लिए कार्यकर्ताओं का प्यार और स्नेह, उनका आकर्षक व्यक्तित्व, कल्याणकारी योजनाएं और ऐतिहासिक उपलब्धियां इस अभियान की भव्य सफलता के पीछे की मुख्य प्रेरणा हैं।

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने एक समिित का गठन िकया, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्रियों श्री कैलाश विजयवर्गीय, श्रीमती डी. पुरंदेश्वरी, राष्ट्रीय मंत्री श्री विनोद सोनकर और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकुमार चाहर शामिल थे। इस टीम ने भाजपा प्रदेश नेतृत्व और हमारे लाखों कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के गतिशील नेतृत्व में काम किया।

• इस अभियान के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा कौन से सेवा कार्य किए गए?

20 दिनों के इस अभियान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। हमारे कार्यकर्ताओं ने 2,000 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया। देश भर में 45,000 स्थानों पर हानिकारक सिंगल यूज प्लास्टिक का पृथक्करण कार्य संपन्न हुआ। इसी तरह देश के सभी जिलों में हजारों स्थानों पर नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर, नदी और तालाब की सफाई, वृद्धों के घरों, अस्पतालों, मलिन बस्तियों आदि में भोजन, वस्तुओं और फल का वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिकों ने दो ‘मेड इन इंडिया’ कोविड टीके तैयार किए और केंद्र सरकार रिकॉर्ड समय में लगभग 100 करोड़ लोगों को मुफ्त में टीके दे रही है। इसलिए, अपने नेता के लिए स्नेह के प्रतीक के रूप में लाखों कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया और इस अभियान के दौरान टीकाकरण के लिए जरूरतमंदों की मदद की। श्री मोदीजी के जन्मदिन पर 2.5 करोड़ टीकाकरण के साथ एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया और हमारे कार्यकर्ताओं ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी दिव्यांग जनों के लिए अत्यधिक सराहनीय कार्य किया और उन्हें हजारों कृत्रिम अंग और अन्य सहायक उपकरण दान किए।

जीवन के हर चरण में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्र को मजबूत करने में बहुत योगदान दिया है। इसलिए, देश के विभिन्न जिलों में और नई दिल्ली स्थित भाजपा केंद्रीय कार्यालय में भी प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया, जिसमें हमारे प्रधानमंत्री के जीवन के विभिन्न चरणों और उपलब्धियों को दर्शाया गया है। लाखों लोगों ने इन प्रदर्शनियों को देखा और इससे प्रेरणा प्राप्त की।

‘सेवा’ और ‘समर्पण’ हर भाजपा कार्यकर्ता का मूल मंत्र है। इसलिए, इन सेवा कार्यों के साथ हमारे कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के लिए शुभकामनाएं दीं और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना की।

• आजकल राजनीति का अर्थ विरोध, प्रदर्शन, जिंदाबाद और मुर्दाबाद तक सीमित रह गया है। जबकि, भाजपा का ध्यान समाज सेवा पर अधिक है। इसके पीछे क्या विचार है?

किसी भी कार्यकर्ता के लिए राजनीति में तीन उद्देश्य होते हैं। सबसे पहले संगठनात्मक— पार्टी की विचारधारा के आधार पर पार्टी का विस्तार करना हमारे लिए मुख्य संगठनात्मक उद्देश्य है। दूसरा, लोगों के हित के लिए काम करना, जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाना और उनके समाधान के लिए संघर्ष करना। तीसरा, समाज के लिए रचनात्मक कार्य करना। योजनाओं के सर्वोत्तम उपयोग के लिए सरकार की उपलब्धियों का प्रसार और लोगों में जन-जागरूकता पैदा करना इस उद्देश्य का हिस्सा है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे विपक्षी दल जनता की समस्याओं के समाधान के लिए नहीं बल्कि अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कार्य कर रहे हैं।

• श्री मोदी के जन्मदिन पर 2.5 करोड़ टीकाकरण के साथ एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया और हमारे कार्यकर्ताओं ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

भाजपा के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ भारत के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने का मंत्र है और इसमें हमारे कार्यकर्ताओं को पूर्ण विश्वास है। जब कोविड महामारी के दौरान विपक्ष कहीं नजर नहीं आ रहा था, तब हमारे कार्यकर्ता जरूरतमंदों की मदद के लिए सड़कों पर थे। उन्होंने समस्याओं का सामना किया, लेकिन महामारी के दौरान लोगों की सेवा से पीछे नहीं हटे क्योंकि यह भाजपा की संस्कृति है। लेकिन विपक्षी दलों, जैसे– कांग्रेस, सपा, बसपा और अन्य को समाजसेवा में कोई विश्वास नहीं है। अतः विपक्षी दलों के लिए विरोध, प्रदर्शन, जिंदाबाद और मुर्दाबाद अब मूल मंत्र बन गया हैं और सेवा कार्य जैसे वृक्षारोपण, नदी/तालाब की सफाई, रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिविर, संकट के समय गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना, स्वच्छता अभियान, वोकल फॉर लोकल, खादी को बढ़ावा देना हमारे दिन-प्रतिदिन के कार्यक्रम का हिस्सा बन गया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में रचनात्मक कार्य पर जोर िदया। अगर कोई गांधीजी के सपनों को पूरा कर रहा है और इन सेवा कार्यों को जन आंदोलन के रूप में बढ़ावा दे रहा है, तो वह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं।

Tuesday, 21 September 2021

संवैधानिक प्रावधानों का लाभ समाज के सभी वर्गों को सुनिश्चित किया जा रहा है : भूपेन्द्र यादव

 

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की ‘सबके साथ’ की जो कल्पना है उसमें समाज के वर्ग आपस में संघर्षात्मक नहीं, बल्कि सहयोगात्मक रूप से कार्य करते हैं। श्री यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक पहल कर रहे हैं।
पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित पर्यावरण भवन में श्री भूपेन्द्र यादव से ‘कमल संदेश’ के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा एवं राम प्रसाद त्रिपाठी ने बातचीत की। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश–

मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग समुदाय के हित में अनेक निर्णय लिये हैं। पूर्व में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया। वहीं, हाल ही में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के फैसले किए। इन निर्णयों के क्या दूरगामी परिणाम होंगे?

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ‘सबका साथ–सबका विकास’ में विश्वास रखती है। हमारी ‘सबके साथ’ की जो कल्पना है उसमें आपस में संघर्षात्मक नहीं, बल्कि समाज का एक वर्ग दूसरे वर्ग से पूरक मिलकर विकास का कार्य करता है। भारत में लंबे समय से पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग चली आ रही थी, जिसको पूरा करने का कार्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हुआ। सामाजिक स्तर पर सहभागिता बढ़ाने के लिए केंद्रीय विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए आरक्षण, नीट की परीक्षा में आरक्षण, विश्वविद्यालयों में प्राध्यापक और सिंगल पदों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था को लागू किया गया। इसके साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

हमारी पार्टी की स्पष्ट मान्यता है कि संविधान के अंतर्गत दिए गए प्रावधानों का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचे और भारत के संविधान की प्रस्तावना में जो सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय की बात कही गई है, वह भी पूरा हो।

• पिछले महीने ब्रिक्स-2021 की पर्यावरण मंत्री स्तर की 7वीं बैठक संपन्न हुई। ब्रिक्स देशों के पर्यावरण मंत्रियों ने पर्यावरण पर ‘नई दिल्ली वक्तव्य’ को अपनाया। इस संबंध में बताइए।

दुनिया भर में पर्यावरण को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। विभिन्न देशों के बीच ‘पेरिस समझौता’ भी हुआ। जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट है, जिसके अंतर्गत यह कहा गया है कि दुनिया में जलवायु परिवर्तन हो रहा है, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, अनेक प्रकार के सूखे, वायु परिवर्तन, समुद्र के स्तर में वृद्धि, ग्लेशियर का पिघलना, जैसी चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। इन सब विषयों को ब्रिक्स की बैठक में उठाया गया था। इसके बाद विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय विषयों पर भारत सरकार की वार्ता चल रही है। जहां तक भारत का सवाल है प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में एनडीसी के लक्ष्यों को पूरा किया गया है, इसके साथ ही दुनिया में वैकल्पिक ऊर्जा के लिए भारत ने उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। भारत की वर्तमान ऊर्जा की प्राथमिक क्षमता का 36 प्रतिशत अब वैकल्पिक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से उपलब्ध हो रहा है। भारत में 450 गीगावाट ऊर्जा का लक्ष्य 2030 तक का रखा है, जिसमें 165 गीगावाट प्राप्त भी किया गया है। भारत का लक्ष्य महत्त्वाकांक्षी अवश्य है लेकिन जलवायु परिवर्तन को लेकर जिस तरह की बात चलती है, उस पर भारत में सक्रियता से प्रयास किया गया है। यही कारण है कि ब्रिक्स सम्मेलन में भी भारत का इस विषय पर पूरी तरह से ध्यान गया। भारत का यह मानना है कि पेरिस समझौते के अतिरिक्त दो विषय हैं–विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए विकसित देश आगे आएं और दूसरा स्वच्छ टेक्नॉलॉजी का ट्रांसफर हो, इन दोनों विषयों को भी भारत ने वैश्विक मंच पर समय-समय पर उठाया।

• भारत सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वन और वन्यजीव संरक्षण को ‘आवश्यक सेवाओं’ के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक सक्रिय कदम उठाया। बाघ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयास के बारे में बताएं।

हमारी सरकार पूरी तरह से वन और वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर समर्पित है। भारत में इस समय लगभग 25 प्रतिशत वनावरण क्षेत्र है। हमारा यह मानना है कि वन प्रतिशत बढ़ना चाहिए। वन और वृक्ष आच्छादन भी बढ़ना चाहिए। इन सारे विषयों को देखते हुए सरकार द्वारा विशेष प्रयास भी किए जा रहे हैं। देश में इस समय 52 बाघ अभयारण्य हैं और इसमें से 14 बाघ अभयारण्यों को वैश्विक मान्यता भी प्राप्त हुई है। बाघ अभयारण्यों का ज्यादा संरक्षण हो, इसको लेकर सरकार पूरी तरह से कार्य कर रही है। इसके साथ जितनी भी लुप्तप्राय प्रजातियां और समुद्री क्षेत्र हैं, उसको लेकर सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है। पिछले सात वर्षों में मोदीजी के नेतृत्व में देश में वनक्षेत्र बढ़ा है। दो सौ नगर-वन विकसित िकए जा रहे हैं, ताकि सब लोगों को स्वस्थ रहने में सहूलियत हो।

• भारत की चार और वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) को रामसर सचिवालय से रामसर स्थलों के रूप में मान्यता मिल गई है। यह वैश्विक जैविक विविधता को संरक्षित करने की दृष्टि से कितना महत्त्वपूर्ण है?

निश्चित रूप से भारत के पास वेटलैंड्स की प्राथमिक क्षमता है। जैविक विविधता की दृष्टि से भी भारत अनुपम है। हमारे चार और वेटलैंड्स को मान्यता मिली है। वेटलैंड्स के लिए हमने विशेष रूप से एक वेबसाइट बनाई है। हमारा यह मानना है कि वेटलैंड हमारे प्रवासी पक्षी के लिए भी एक आश्रय स्थल बनते हैं। तापमान एवं अन्य विषयों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। भारत के पास जो प्राकृतिक संपदा है यह पूरी तरीके से सुरक्षित रहे, इसके लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

• जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का कारण बना हुआ है। इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा वैश्विक पहल की गई। पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने में भारत किस दिशा में आगे बढ़ रहा है?

पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत दुनिया का वह देश है जिसने अपने एनडीसी के लक्ष्यों को प्राप्त किया है। मैंने पूर्व में भी कहा है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने दुनिया को प्रेरित करनेवाला अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन बनाया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर दुनिया के लगभग 91 से ज्यादा देश इसके सदस्य बन गए हैं। भारत सरकार ने आठ से ज्यादा मंत्रालयों को इकट्ठा करके भूमि को मरुस्थली करने के विशेष कार्य को हाथ में लिया है। इसलिए वैकल्पिक ऊर्जा को आगे बढ़ाना और साथ ही भारत की वन्य संपदा को बढ़ाने के लिए सरकार पूरी तरीके से प्रतिबद्ध है। जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर प्रधानमंत्रीजी द्वारा समय-समय पर जो दिशानिर्देश दिए जाते हैं, उसका पूरी तरीके से पालन किया जाता है।

• पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा ई-श्रम पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इससे देश में असंगठित कामगारों को किस प्रकार की मदद मिलेगी?

देश के विभिन्न श्रमिक कानूनों को एक करके हम चार श्रमिक कोड लेकर आए हैं। उन चार श्रमिक कोडों में सामाजिक सुरक्षा कोड, आॅक्यूपेशनल सेफ्टी कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड और वेजेज कोड हैं। सामाजिक सुरक्षा कोड में इस बात का प्रावधान किया गया है कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का एक डाटा बनना चाहिए। इसके साथ ही सेक्शन 142 में सामाजिक सुरक्षा कोड भी बनाने की बात की गई है।

इन सारे विषयों को देखते हुए देश में अलग-अलग सेक्टर का एक डाटा बनना चाहिए, इस पर सक्रियता से कार्य प्रारंभ हुआ है। हमारे लिए संतोष का विषय है कि शुरू के ही 20 दिनों में इसकी संख्या 1 करोड़ पहुंच गई है। निश्चित रूप से सामाजिक सुरक्षा के विषय को आगे ले जाने में यह पोर्टल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Thursday, 2 September 2021

देश के राजनीतिक इतिहास में अपनी तरह की पहली ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ : तरुण चुघ

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री श्री तरुण चुघ अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं। वे पूर्व में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में विभिन्न दायित्वों और तत्पश्चात् भाजपा राष्ट्रीय मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके हैं।

‘कमल संदेश’ के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा और राम प्रसाद त्रिपाठी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में श्री चुघ ने ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ की भव्य योजना के पीछे के विचार और इसकी उल्लेखनीय सफलता के बारे में चर्चा की। ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के राष्ट्रीय प्रभारी श्री चुघ का कहना है कि अन्य दलों के शासन के दौरान लोगों को सरकार के पास जाना पड़ता था, लेकिन अब मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री जनता के दरवाजे तक पहुंच रहे हैं। भाजपा सरकार एवं अन्य सरकारों के बीच यही अंतर है। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश :

• सबसे पहले हम आपको देश के विभिन्न राज्यों में भाजपा द्वारा आयोजित ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ की अपार सफलता के लिए बधाई देते हैं। यात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी के रूप में इस भव्य कार्यक्रम और इसके पीछे के विचार के बारे में हमें बताइए।

केंद्र सरकार में नए मंत्रियों के शामिल होने के बाद माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्थापित और मान्य लोकतांत्रिक परंपरा के अनुसार संसद के दोनों सदनों में अपने नए सदस्यों का परिचय देना चाहा। लेकिन विपक्ष ने प्रधानमंत्री को ऐसा करने में अवरोध उत्पन्न किया।

सुविदित है कि मोदी सरकार का वर्तमान मंत्रिपरिषद् स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे समावेशी है, जहां विभिन्न जातियों, पंथ, भाषा, धर्म, वर्ग, लिंग, आयु समूह और सामाजिक समूह के लोगों का प्रतिनिधित्व है। विपक्ष ने इस परंपरा को तोड़कर पिछड़े वर्गों, महिलाओं और अन्य हाशिए के वर्गों के प्रतिनिधियों के प्रति उपेक्षा दिखाई। यह इस देश की जनता और संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है।

तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नए मंत्रियों को नए तरीके से लोगों से परिचित कराने का निर्णय लिया। नए शामिल किए गए मंत्रियों के लिए लोगों तक पहुंचने और सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में उनसे मिलने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है?

मोदी सरकार की हर योजना के केंद्र में हमारे गांव, गरीब, दलित, वंचित, पिछड़ा वर्ग, युवा और महिलाएं हैं। मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और मंत्र है- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’। हमारा विश्वास भारत के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना है। इसलिए हमारे मंत्रीगण पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का संदेश फैलाने के लिए देश के कोने-कोने का दौरा कर रहे हैं और यही इस भव्य कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।

• कृपया ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के बारे में हमें विस्तार से बताएं।

समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्णय के अनुसार, ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ 16 अगस्त, 2021 से शुरू हुई और 14 दिनों के बाद समाप्त हुई।

यात्रा के दौरान नए शामिल 39 केंद्रीय मंत्री अपने-अपने राज्यों में गए, सीधे नागरिकों से जुड़े और उनका आशीर्वाद लिया।

‘जन आशीर्वाद यात्रा’ ने 22 राज्यों की 212 लोकसभा सीटों के लगभग 24,173 किलोमीटर और 265 जिलों को कवर किया। 14 दिनों के दौरान 5,035 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और लगभग 25 लाख लोगों ने सीधे यात्रा में भाग लिया।

आमतौर पर यात्राएं चुनाव-अभियान के उद्देश्य से या किसी राजनीतिक कार्यक्रम के लिए या किसी मुद्दे के विरोध में आयोजित की जाती हैं। लेकिन, यहां इस यात्रा का उद्देश्य बिल्कुल अलग था। यह किसी राजनीतिक मुद्दे या चुनावों पर केंद्रित नहीं थी।

क्या आपने कभी भारत के राजनीतिक इतिहास में सुना है कि सरकार में शामिल होने वाले मंत्री नागरिकों की समस्याओं को जानने और समझने के लिए सीधे लोगों से जुड़ रहे हैं? हम जानते हैं कि एक बार चुने गए नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में या लोगों के साथ बहुत कम दिखाई देते हैं। हालांकि, नए शामिल किए गए मंत्रियों को जनता से सीधे जुड़ने और उनकी समस्याओं को समझना इस कार्यक्रम के पीछे का प्रमुख उद्देश्य था। यात्रा, योजना के अनुसार चली और केंद्रीय मंत्रियों को देश के लाखों नागरिकों का आशीर्वाद मिला।

‘जन आशीर्वाद यात्रा’ 16 अगस्त, 2021 से शुरू हुई और 14 दिनों के बाद समाप्त हुई
• यात्रा के दौरान नए शामिल 39 केंद्रीय मंत्री अपने-अपने राज्यों में गए, सीधे नागरिकों से जुड़े और उनका आशीर्वाद लिया
• ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ ने 22 राज्यों की 212 लोकसभा सीटों के लगभग 24,173 किलोमीटर और 265 जिलों को कवर किया
• 14 दिनों के दौरान 5,035 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और लगभग 25 लाख लोगों ने सीधे यात्रा में भाग लिया
• ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ की सफलता का पूरा श्रेय भारत की जनता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों, देश के सर्वांगीण विकास की उनकी प्रतिबद्धता और इस यात्रा के लिए संगठन-शिल्पी श्री जगत प्रकाश नड्डा की बेहतर योजना को जाता है

• जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर जनता का कैसा प्रतिसाद रहा?

‘जन आशीर्वाद यात्रा’ बेहद सफल रही। जनसंपर्क का यह रूप भारत के इतिहास में पहली बार देखा गया है। राज्यों में भारत के लोगों ने नए मंत्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और देश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्ववाली भारतीय जनता पार्टी सरकार की सराहना की।

जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, लगभग 5000 कार्यक्रम आयोजित किए गए थे और ये सभी कार्यक्रम सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी के साथ अत्यधिक सफल रहे।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा के मार्गदर्शन में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री एम.चुबा एओ, राष्ट्रीय सचिव सर्वश्री विनोद सोनकर, सत्य कुमार, सुनील देवधर, अरविंद मेनन एवं श्रीमती पंकजा मुंडे शामिल थे। इस टीम ने यात्रा को सफल बनाने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ की सफलता का पूरा श्रेय भारत की जनता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों, देश के सर्वांगीण विकास की उनकी प्रतिबद्धता और इस यात्रा के लिए संगठन-शिल्पी श्री जगत प्रकाश नड्डा की बेहतर योजना को जाता है।

• देश के हर हिस्से में भाजपा संगठन विस्तार के लिए ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ कितनी महत्वपूर्ण रही?

‘जन धन योजना’, ‘स्वच्छ भारत’, ‘उज्ज्वला’, ‘आवास योजना’ और सैकड़ों अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री हमारे समाज के प्रत्येक वर्ग को लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, विशेष रूप से उन लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गए है या देश के सबसे वंचित वर्ग से आते हैं।

दूसरी बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा के कुशल नेतृत्व में पार्टी हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपने को पूरा करने के लिए पूरे संगठन को इसमें शामिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके लिए भाजपा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जनता में जागरूकता पैदा कर रही है।

अंत में, अन्य दलों के शासन के दौरान लोगों को सरकार के पास जाना पड़ता था, लेकिन अब मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री जनता के दरवाजे तक पहुंच रहे हैं। भाजपा सरकार एवं अन्य सरकारों के बीच यही अंतर है। यही कारण है कि सरकार एवं पार्टी दोनों को सभी वर्गों के लोगों का पूरे दिल से आशीर्वाद मिल रहा है और ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ ने इस तथ्य को प्रमाणित किया है।

Tuesday, 31 August 2021

मोदी सरकार समाज के पिछड़े और कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है : के. लक्ष्मण

 

भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण का कहना है कि मोदी सरकार की योजनाओं से बड़े पैमाने पर पिछड़ा वर्ग समुदाय लाभान्वित हुआ है, जबकि कांग्रेस ने हमेशा ओबीसी को मतदाता के रूप में देखा है और उन्हें कभी महत्व नहीं दिया। पिछले दिनों डॉ. लक्ष्मण से कमल संदेश के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा एवं रामप्रसाद त्रिपाठी ने बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश-

मोदी सरकार ने हाल ही में मेडिकल शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला लिया। कृपया इस संबंध में हमें बताएं ?

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मेडिकल शिक्षा में ओबीसी को 27 प्रतिशत तथा ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला लिया। इसे वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से ही लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके अंतर्गत एमबीबीएस, एमएस, बीडीएस, एमडीएस और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में 5,550 छात्र लाभान्वित होंगे।

इस निर्णय के क्या दूरगामी परिणाम होंगे?

प्रधानमंत्री श्री मोदी हमारे प्रेरणास्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत अंत्योदय सिद्धांत के आधार पर सरकार चला रहे हैं। मोदी सरकार समाज के पिछड़े और कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। आज अनुसूचित जाति समाज से देश के राष्ट्रपति बने हैं तो पिछड़ा वर्ग से देश के प्रधानमंत्री। पूरे देश में ओबीसी आबादी 50 प्रतिशत है। मेडिकल शिक्षा में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के निर्णय से निस्संदेह पिछड़ा वर्ग सशक्त होगा। मोदीजी द्वारा प्रस्तुत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और अब सबका प्रयास’ इस ध्येय से संपूर्ण देशवासियों का हित संवर्धन होगा।

कांग्रेस ने इस निर्णय को चुनावी एजेंडा करार दिया है। क्या कहेंगे आप इस पर ?

सिर्फ राजनीति के लिए हम निर्णय नहीं लेते हैं, सामाजिक न्याय भी होना चाहिए। हम जो बोलते हैं वो करते हैं और जो करते हैं वो बोलते हैं। धारा 370 हटाने, राममंदिर का निर्माण, तीन तलाक खत्म करने, ऐसे अनेक निर्णय हुए हैं। जो वंचित हैं, पार्टी और सरकार सभी जगह, हम उनको लेकर आगे बढ़ते हैं। मैं सवाल करना चाहता हूं कि कांग्रेस क्यों पिछड़ा वर्ग को केवल मतदाता के नाते देखती रही है, इंसानियत के नाते क्यों नहीं देखा? पिछड़ा वर्ग हित में विभिन्न आयोगों ने सिफारिशें कीं, लेकिन उसने इसे ठुकरा दिया। कांग्रेस को तो हक ही नहीं है सवाल पूछने का।

हाल ही में मंत्रिपरिषद् विस्तार में समाज के सभी वर्गों से मंत्रियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ है। इसे आप किस रूप में देखते हैं ?

वर्तमान में मोदी सरकार में 27 मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं जबकि 12 अनुसूचित जाति एवं 8 अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। 11 महिला मंत्री भी सरकार में शामिल हैं। भौगोलिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विचार करते हुए मंत्रिपरिषद् में उन्हें शामिल कर सम्मान दिया गया है। मोदी सरकार सही मायने में सामाजिक न्याय पर अमल कर रही है। हम देश भर में इन मंत्रियों के जन-समर्थन को लेकर ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ कर रहे हैं।

मोदी सरकार ने ओबीसी समाज के हित में और कौन से कदम उठाए हैं ?

मोदी सरकार ने गत सात वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया। यह ऐतिहासिक कदम था। पहली बार केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और विधि विश्वविद्यालयों, सैनिक स्कूलों में भी आरक्षण लागू किया जा रहा है, जिससे इस साल पिछड़ा वर्ग के लगभग 70 हजार छात्रों को लाभ होनेवाला है। मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया। क्रीमी लेयर का स्तर 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया गया। पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के कर्मचारियों के बच्चों के लिए पहली बार आरक्षण पर अमल किया जा रहा है। 1993 में मंडल आयोग की सिफारिश के बाद किसी सरकार ने पिछड़ा वर्ग पर इतना ध्यान नहीं दिया, जितना कि मोदी सरकार दे रही है।

आजादी के बाद 75 वर्षों में तो लगभग 60 वर्ष कांग्रेस सरकार में थी। इसमें भी लगभग 35 साल एक ही परिवार ने राज किया। पचास के दशक में नेहरूजी जब प्रधानमंत्री थे, तब काका कालेलकर आयोग ने जो सिफारिशें की, उस पर संसद में चर्चा नहीं की और उसकी अनदेखी की। इंदिरा गांधीजी 17 साल प्रधानमंत्री रहीं, इन्होंने काका कालेलकर आयोग को कोई महत्व नहीं दिया और न ही कोई अन्य आयोग बिठाया। कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग को धोखा दिया। जब कभी आरक्षण का मुद्दा आया, उसने समर्थन नहीं किया।

जनता पार्टी शासन में मोरारजीभाई प्रधानमंत्री थे, अटल बिहारी वाजपेयीजी, लालकृष्ण आडवाणीजी उस सरकार में मंत्री थे, तभी मंडल आयोग का गठन हुआ। इसकी सिफारिशें भी तब हुईं जब केंद्र में वीपी सिंह सरकार आई। वीपी सिंह सरकार ने लोकसभा में प्रस्ताव पारित किया। राजीव गांधीजी ने दो बार लगातार विपक्ष के नेता के नाते इसके खिलाफ बोला। इतना ही नहीं, 2004 से लेकर 2014 तक केंद्र में यूपीए सरकार थी। क्षेत्रीय दल– समाजवादी, राजद, बसपा आदि जो अपने को पिछड़ा वर्ग के हितैषी के रूप में प्रस्तुत करते नहीं थकते हैं, उन्होंने क्यों नहीं पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के बारे में सोचा?

जब मोदी सरकार द्वारा 2017 में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया तब लोकसभा में कांग्रेस ने विरोध किया, वामपंथी दलों ने विरोध किया। लोकसभा में प्रस्ताव पारित हुआ। राज्यसभा में यह बिल आने पर कांग्रेस ने फिर इसका विरोध किया। श्री भूपेन्द्र यादव के नेतृत्व में समिति बनी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाहजी एवं श्री जगत प्रकाश नड्डा की पहल से राज्यसभा में दोबारा इसे पारित किया गया। भाजपा शासित अनेक राज्यों में ओबीसी समुदाय के मुख्यमंत्री बने हैं।

सिर्फ आरक्षण की ही बात नहीं, मोदी सरकार द्वारा जो भी योजनाएं बनाई गई हैं, उससे पिछड़े और गरीबों को बहुत लाभ हो रहा है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, मुद्रा योजना, किसान सम्मान निधि योजना, आयुष्मान भारत योजना, सुकन्या समृद्धि योजना आदि से सबसे बड़े पैमाने पर लाभान्वित पिछड़ा वर्ग समाज ही हुआ है। इसलिए यह गरीबों-किसानों की सरकार है। शोषित, पीड़ित, वंचित, दलित; इन वर्गों की सरकार है। इन वर्गों के हित में काम करनेवाली सरकार है, युवाओं, महिलाओं की भी इसमें भागीदारी है।

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आपके कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हो रहा है। इस दौरान मोर्चा की क्या सक्रियता रही ?

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में पार्टी के अंदर पिछड़ा वर्ग समुदाय को काफी महत्व दिया जा रहा है। इस समुदाय से अनेक प्रदेश अध्यक्ष बने हैं। भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व मेरे द्वारा संभालने के बाद अनेक कार्यक्रम हुए हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन हुआ है। चार बार राष्ट्रीय परिषद् की बैठकें हुई हैं। पहली बार मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में हुई। संसद में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा नए मंत्रियों का परिचय कराने के समय विरोध किया और ऐसा नहीं करने दिया। भाजपा ने तय किया कि आम आदमी के बीच नए मंत्रियों का अभिनंदन समारोह करेंगे। मोर्चा द्वारा मोदी सरकार में ओबीसी समुदाय के 27 मंत्रियों का अभिनंदन कार्यक्रम किया गया। पूर्व के दोनों कार्यक्रमों में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आज देश भर में हम संगठन मजबूत करने के िलए प्रवास कर रहे हैं। 28 प्रदेशों में कार्यसमिति गठित हुई है। लगभग 801 जिलों में ओबीसी मोर्चा का गठन हुआ है। लगभग 9507 मंडलों में पहली बार ओबीसी मोर्चा समिति गठित हुई है।

भाजपा ओबीसी मोर्चा की आगामी क्या योजनाएं हैं ?

हम हर प्रदेश में सामाजिक कल्याण सम्मेलन करेंगे। जहां-जहां पिछड़ा वर्ग आयोग नहीं बिठाया गया, उसको संवैधानिक दर्जा देने की मांग भी हमारी है, इसके लिए हम आंदोलन करेंगे और लोगों को इकट्ठा करेंगे। ओबीसी समुदाय में भाजपा की विचारधारा का प्रचार करेंगे और उन्हें मोर्चा से जोड़ेंगे। अन्य दलों द्वारा ओबीसी समुदाय को किस तरह धोखा दिया गया है, इसका पर्दाफाश करेंगे। ओबीसी मोर्चा मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक घर-घर दस्तक देगा, गांव-गांव पहुंचेगा और जन-जन को जागृत करेगा। पिछड़ा वर्ग का समर्थन लेने में भाजपा ओबीसी मोर्चा सक्रिय रूप से काम करेगा।

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मेडिकल शिक्षा में ओबीसी तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण से एमबीबीएस, एमएस, बीडीएस, एमडीएस और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में 5,550 छात्र लाभान्वित होंगे

• मोदी सरकार सही मायने में सामाजिक न्याय पर अमल कर रही है

• राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया। यह ऐतिहासिक कदम था

• मोदी सरकार द्वारा जो भी योजनाएं बनाई गई हैं, उससे पिछड़े और गरीबों को बहुत लाभ हो रहा है

• ओबीसी मोर्चा मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक घर-घर दस्तक देगा और जन-जन को जागृत करेगा

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Friday, 6 August 2021

वर्तमान में हम भारत के इतिहास में महिला सशक्तिकरण का स्वर्ण युग देख रहे हैं : वानथी श्रीनिवासन

 

भारतीय जनता पार्टी, महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और कोयंबटूर दक्षिण से तमिलनाडु विधानसभा की सदस्य श्रीमती वानथी श्रीनिवासन पार्टी की ऊर्जावान महिला नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। एक बहुत ही विनम्र कृषि परिवार से आनेवाली श्रीमती श्रीनिवासन ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में अनेक दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। उन्होंने महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभालने से पहले भाजपा, तमिलनाडु प्रदेश मंत्री, महामंत्री और उपाध्यक्ष के रूप में कई जिम्मेदारियां निभाईं। अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जानी जानेवाली श्रीमती श्रीनिवासन ने तमिलनाडु में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और इस चुनाव में उन्होंने एक नामी फिल्म अभिनेता को हराया था।

श्रीमती वानथी श्रीनिवासन से उनके नई दिल्ली स्थित निवास पर कमल संदेश के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा और राम प्रसाद त्रिपाठी ने महिला मोर्चा की सक्रियता एवं मोदी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे कार्यों को लेकर बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :

सबसे पहले हम आपको कोयंबटूर दक्षिण विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बधाई देते हैं।

आपके अभिवादन के लिए धन्यवाद।

‘बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओ’ से लेकर अधिकतम महिला मंत्रियों को मंत्रिपरिषद् में शामिल करने तक, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार ने लैंगिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। एक महिला के तौर पर आप इसे कैसे देखती हैं ?

जहां तक स्त्रीशक्ति के हित के लिए विभिन्न कदमों का सवाल है, मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार देश की बेटियों के दर्द और चुनौतियों को समझती है और उनका समयबद्ध तरीके से समाधान करने के लिए कटिबद्ध है। यह सरकार महिलाओं को उनके अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

इसके अलावा, भाजपा देश की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है जो पार्टी में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रही है। पार्टी न केवल महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दे रही है, बल्कि पंचायत से लेकर संसद तक केंद्रीय मंत्रिपरिषद् सहित सरकार के हर स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर रही है, जिससे सरकार के सर्वोच्च निर्णय लेनेवाले निकाय में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हो सके।

मैं आपसे सहमत हूं कि ‘बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओ’ से लेकर ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ तक, मातृत्व अवकाश देने से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में अधिकतम महिलाओं को शामिल करने तक, भाजपा नेतृत्ववाली सरकार ने बड़े पैमाने पर महिलाओं के हित में अनेक योजनाएं प्रारंभ की है। किसी अन्य सरकार ने महिलाओं को शासन में इतना सम्मान और प्रतिनिधित्व नहीं दिया, जितना मोदी सरकार ने दिया है। एक महिला के रूप में मुझे संगठन का हिस्सा होने पर गर्व महसूस होता है और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में वर्तमान में हम भारत के इतिहास में महिला सशक्तिकरण का स्वर्ण युग देख रहे हैं।

किसी देश को सशक्त बनाने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद जरूरी है। इस संदर्भ में देखा जाए तो हाल ही में अधिकतम महिलाओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना कितना महत्वपूर्ण है ?

प्रधानमंत्री श्री मोदी शुरू से ही इस बात पर जोर देते रहे हैं कि किसी देश को सशक्त बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरूरी है। इसलिए, पिछले सात वर्षों में प्रधानमंत्रीजी ने यह सुनिश्चित किया है कि महिलाओं को पर्याप्त सम्मान एवं भरपूर अवसर मिले।

स्वतंत्रता के बाद के भारत में संभवत: यह पहली बार है जब केंद्रीय मंत्रिपरिषद् में इतनी बड़ी संख्या में महिला मंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्रीजी ने सात और महिला मंत्रियों को शामिल किया है, जिसके बाद अब महिला मंत्रियों की कुल संख्या 11 हो गयी है। प्रधानमंत्रीजी का यह कदम दर्शाता है कि भारत ‘महिलाओं के विकास’ से आगे बढ़कर ‘महिला नेतृत्ववाले विकास’ की ओर जा रहा है। ये मंत्री देश भर से हैं और समाज के सभी वर्गों और तबकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। और इन महिला मंत्रियों के नेतृत्व में महिला केंद्रित मुद्दों और नीतियों को प्राथमिकता मिलनी तय है जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

मोदी सरकार ने हमारे देश की महिला आबादी की बेहतरी के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है। भाजपा महिला मोर्चा इस संदेश को जमीनी स्तर पर ले जाने और कल्याणकारी योजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने को लेकर क्या योजना बना रहा है ?

‘जन-धन योजना’ का उदाहरण हमारे सामने हैं, महिलाएं इस योजना की प्रमुख लाभार्थी हैं और मोदीजी जानते हैं कि यदि एक महिला अपना एक नया पैसा भी खर्च करती है, तो वह उसके परिवार के कल्याण के लिए होता है। इसलिए प्रधानमंत्रीजी ने महिलाओं के खाते में पैसा जमा कराया। ‘स्वच्छ भारत’ में भी सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को ही मिला है।

इसी तरह ‘उज्ज्वला’ है, जिसमें भी महिलाएं ही प्रमुख लाभार्थी हैं, और यह उन्हें पारंपरिक तरीके से ईंधन के प्रयोग से मुक्ति प्रदान करता है जो कई बीमारियों का कारण बनता था। ‘आवास योजना’ में भी महिलाएं प्रमुख लाभार्थी हैं और उनके नाम संपत्ति कर महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है। जिस तरह से हमारे प्रधानमंत्रीजी ने बेटियों को हर क्षेत्र में अपनी सही जगह हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है वह वास्तव में अभूतपूर्व और सराहनीय है। भाजपा महिला मोर्चा इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए महिलाओं में जागरूकता पैदा कर रही है और आनेवाले दिनों में हम प्रत्येक लाभार्थी के घर तक जाने का प्रयास करेंगे।

• माेदी सरकार महिलाओं को उनके अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध है

• भारतीय जनता पार्टी न केवल महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दे रही है, बल्कि पंचायत से लेकर संसद तक केंद्रीय मंत्रिपरिषद् सहित सरकार के हर स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर रही है

• भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित अमृत महोत्सव के निमित्त हम 75 महिला स्वतंत्रता सेनानियों के जन्मस्थान एवं स्मारकों पर एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं

महिलाओं के लिए जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की नई अधिवास (डोमिसाइल) नीति कितनी महत्वपूर्ण है ?

पुराना स्थायी निवासी नियम जम्मू और कश्मीर की महिलाओं के साथ भेदभाव करता था क्योंकि यह नियम उनको किसी गैर-स्थायी निवासी के साथ शादी करने के बाद राज्य से प्राप्त अधिकार से वंचित कर देता था। लेकिन नई डोमिसाइल नीति ने राज्य की महिलाओं को विवाह की स्वतंत्रता देकर और उनके डोमिसाइल को बनाए रखने के साथ-साथ समाज में समान भागीदारी का अधिकार प्रदान कर न्याय प्रदान किया है। अब उनके जीवन-साथी भी डोमिसाइल नीति के तहत लाभ पाने के हकदार हैं।

जब एक लड़की केवल राज्य की सीमाओं के बाहर जीवन-साथी चुनने के लिए अपनी नागरिकता और संपत्ति खो देती है, तो ऐसी भेदभावपूर्ण प्रथा को रोकने के लिए भाजपा के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल ने इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं दिखाई। भाजपा महिला मोर्चा ने इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है। जम्मू-कश्मीर की कई महिलाओं को डोमिसाइल अधिकारों से लाभ होगा, जिनसे वे दशकों से वंचित थीं।

भाजपा ने कोविड-19 महामारी के दौरान ‘सेवा ही संगठन’ की शुरुआत की। महिला मोर्चा ने इस अभियान में कैसे अपना योगदान दिया ?

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा शुरू किए गए ‘सेवा ही संगठन’ अभियान के तहत पार्टी की लाखों महिला कार्यकर्ता अपने घरों से जरूरतमंदों की सेवा के लिए भोजन, आवश्यक सामग्री और रक्तदान के लिए निकलीं। 22 राज्यों से उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार 55,58,294 मास्क, 46,86,686 भोजन के पैकेट, 47,88,522 राशन के पैकेट, 3,76,498 सेनेटरी पैड / सैनिटाइज़र वितरित किए गए और 11,645 महिला मोर्चा कार्यकर्ताओं ने जरूरतमंदों को रक्तदान किया।

आपके कार्यभार संभालने के बाद, भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में कुछ बताएं ?

महिला मोर्चा ने अधिकांश राज्यों में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठकें पूरी कर ली हैं। अब हमारा ध्यान मंडलस्तरीय समितियां, बूथ समितियां और पन्ना प्रमुखों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने पर है। हम बूथ समितियों में एक तिहाई महिलाओं को शामिल करने के लिए काम कर रहे हैं।

दूसरे, हम महिला केंद्रित मुद्दों के सुचारू समाधान और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पंचायत से संसद तक एक संगठनात्मक नेटवर्क का निर्माण कर रहे हैं।

तीसरा, हम सर्वस्पर्शी कार्य करते हुए प्रत्येक महिला तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। हम हर राज्य में महिला प्रतिनिधियों का सम्मान और अभिनंदन करेंगे। हम उनसे जुड़ना चाहते हैं क्योंकि ये महिलाएं प्रधानमंत्री की योजनाओं के प्रचार और प्रसार में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती हैं।

भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित अमृत महोत्सव के निमित्त हम 75 महिला स्वतंत्रतासेनानियों के जन्मस्थान/स्मारकों पर एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। इस अवसर पर हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेनेवाली इन गुमनाम महिला नेताओं पर एक पुस्तक भी प्रकाशित करने की योजना बना रहे हैं।

Friday, 4 June 2021

इस चुनाव में हमने ‘विकास राष्ट्रवाद’ को आकार दिया है : डॉ. विनय सहस्रबुद्धे

 भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राज्यसभा सदस्य एवं मध्यप्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे से नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर लोकसभा चुनाव एवं वैचारिक विषयों पर कमल संदेश के सहायक संपादक संजीव कुमार सिन्हा ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :

भाजपा ने इस बार 2014 के लोकसभा चुनाव से भी बड़ी जीत हासिल की। इस जीत के क्या कारण रहे?

मुझे लगता है कि देश की राजनीति ने एक दृष्टि से करवट बदली है। चुनावी राजनीति का जो पारंपरिक व्याकरण था उसमें भी एक आमूलचूल परिवर्तन आने की दिशा में ये चुनाव परिणाम संकेत करते हैं। आमतौर पर चुनाव लड़े जाते थे लोकलुभावन वादों के आधार पर। किसी भावनात्मक विषय को एकदम से ऊपर उठाते हुए या फिर अस्मिता से जुड़े, पहचान या परिचय से जुड़े विषयों को आगे लाते हुए भारत में चुनाव सामान्य तौर पर लड़े जाते हैं।

इस समय जो देख रहा हूं या जो समझ में आ रहा है वो मैं वर्णन करूंगा कि एक तरीके से जैसे डेवलपमेंट इकॉनोमिक्स होता है, डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन नाम की एक नई ज्ञान-शाखा चली आई है। वैसे इस चुनाव की देन है कि इसने डेवलपमेंट नेशनलिज्म को आकार दिया है। तो यह एक ‘विकास राष्ट्रवाद’ है। इसको कोई ‘राष्ट्र विकासवाद’ भी कह सकता है, जिसमें राष्ट्रीय अस्मिता के, राष्ट्रीय स्वाभिमान के, राष्ट्र की विश्व में जो पहचान है, पहचान के और देश के विकास के; और विकास में सामाजिक न्याय भी है, अंत्योदय भी है, गरीबी उन्मूलन भी है, सारी चीजें हैं। इन सारे विषयों का एक मिला–जुला रसायन बना है। जिस रसायन ने एक बहुत बड़ा परिवर्तन इस चुनाव में सिद्ध किया है। तो उस दृष्टि से मैं पहले मुद्दे पर आता हूं कि यह चुनाव एक दृष्टि से राजनीति की बदलती हुई करवट का परिचायक है और बदले हुए व्याकरण का एक चिह्न है, उसको चिन्हित करने वाला, उसको निर्देशित करने वाला ये चुनाव है।

आपके पास मध्य प्रदेश भाजपा के प्रभारी का भी दायित्व है। इस प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। हालांकि कुछ महीने पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में इतनी जल्दी भाजपा ने शानदार जीत कैसे हासिल की?

–देखिए, मध्य प्रदेश के बारे में मैं यह कहूंगा कि वहां पर तीन कारण सबसे महत्वपूर्ण रहे। पहली बात ये रही कि वहां के मतदाताओं को शिवराज सिंह सरकार के अपदस्थ होने का एक पछतावा था, उनको छोटी–मोटी नाराजगी पन्द्रह साल रही सरकार के बारे में होना स्वाभाविक है, मगर नाराजगी इतनी भी नहीं थी कि वो सरकार को हटते हुए देखे, मगर सरकार मात्र 4 सीटों के लिए सत्तासीन नहीं हो पाई तो उसके कारण पश्चाताप से दग्ध, ऐसा मध्य प्रदेश का जनमानस था। वो भूल सुधारने की कोशिश उन्होंने बड़े जबरदस्त तरीके से इस चुनाव में की हुई दिखाई दे रही है, ये एक बात है।

दूसरी बात है कि कमलनाथ सरकार के सत्तासीन होने के बाद जो वहां के गर्वनेंस का स्वरूप रहा है, वो भी बहुत निराशाजनक है और किसी भी आश्वासन की प्रतिपूर्ति में कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए। कानून व्यवस्था चरमरा गई है। भ्रष्टाचार के नए–नए किस्से लोग एक–दूसरे को बता रहे हैं। अपने अनुभव के आधार पर, स्वयं उनके निजी सचिव के दफ्तर में करोड़ों की संपदा पाई गई है और इनके जो तीन शीर्षस्थ नेता हैं, इसके आपस दिक्कतों के चलते भी वहां की राजनीति में एक अस्थिरता आई है, तो ऐसी स्थिति में लोगों को उस सरकार के पक्ष में वोट देने का एक भी कारण कमलनाथ सरकार ने दिया नहीं है, तो लोग क्यों वोट देंगे। और तीसरी बात, जो पूरे देश के लिए मायने रखती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को पुन: सत्ता में प्रतिस्थापित करने के प्रति लोगों में जबरदस्त उत्साह और अनुकूलता की भावना थी, तो इन तीन कारणों से हम मध्यप्रदेश का चुनाव जीत पाए हैं।

अब कुछ वैचारिक प्रश्न। भाजपा और कांग्रेस में क्या अंतर है?

कांग्रेस–भाजपा में अंतर तो काफी है। हमारी भारतीय जनता पार्टी की अपनी जो विशिष्ट पहचान है, वो संगठन के कारण है, विचारधारा के कारण है, और मैं मानता हूं कि विचारधारा इसमें अहम है। इस विचारधारा का प्रतिबिंब हमारे संगठन शैली में भी है, और हमारे गवर्नेंस में भी है, मगर मूल अंतर विचारों का है।

सबसे पहली बात है कि कांग्रेस समेत बहुत सारे राजनीतिक दलों ने जो विचारों का मार्ग स्वीकार किया है, वो मुख्यत: भारत के बाहर जन्मी हुई विचारधाराओं का है, भारतीय विचारधारा जिसको हम कहेंगे स्वदेशी विचारधारा, इस देश की मिट्टी का सुगंध रखनेवाली विचारधारा, उसके आधार पर काम करने वाला विचारधारा कोई है, जो पूर्णरूपेण विचारधारा अधिष्ठित दल है तो वो भाजपा है। दूसरा है कि कम्युनिस्टों का अपवाद छोड़िए तो बहुत सारे दल ऐसे हैं जो एक घराने पर केंद्रित हैं और भारतीय जनता पार्टी देश के सभी क्षेत्रों में उपस्थित होने के बावजूद भी यहां पर न राष्ट्रीय स्तर पर, न राज्य स्तर पर किसी एक घराने की चलती है। हमारे यहां प्रदेश का, जिले का या देश का राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी का कौन बनेगा, इसके बारे में कोई बता नहीं सकता, जबकि अन्यान्य दलों में लोग बता पाते हैं कि इनका बेटा होगा, इनका पोता होगा, या नाती होगा या ये होगा। तो भारतीय जनता पार्टी संगठन के संदर्भ में पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाली पार्टी है और वो भी विचारधारा का अंग है। तीसरी बात है कि बाकी बहुत सारे दल वोट–बैंक की राजनीति के कारण समाज में विभेद उत्पन्न करने पर तुले हुए होते हैं। समाज जितना ज्यादा विभाजित उतनी उनकी जीत की संभावना अधिक, ये गणित रहता है, जबकि यहां हम सामाजिक एकता के कारण पर चुनाव लड़ते हैं। हम पार्टी को किसी एक वर्ग विशेष तक सीमित रखने के विरोध में हैं जबकि देश में कई राजनीतिक दल हैं, जिनका एक समाज विशेष के साथ इतना गहरा रिश्ता बन गया है कि उसके अतिरिक्त लोग उनके बारे में सोच ही नहीं सकते हैं। एक समीकरण सा बन गया है कि एक्स पार्टी यानी ये समाज, वाई पार्टी यानी ये समाज, ऐसा भाजपा के बारे में कोई नहीं कह पाएगा। चौथा महत्वपूर्ण बिन्दु है जो विचारधारा को ही परिलक्षित करता है। हम कहते हैं कि राष्ट्र प्रथम, दल उसके पश्चात् और व्यक्ति उसके बाद तो इसी विचार की परछाई हमारी गवर्नेंस में भी दिखती है।

प्रधानमंत्री मोदीजी हों या हमारे विभिन्न मुख्यमंत्री हों, इन्होंने गवर्नेंस यानी शासकता में एक उद्देश्यपूर्णता लाई है, जो लगभग निष्कासित हो चुकी थी और इसलिए सरकार में काम करना यानी केवल लालबत्ती की कार में बैठना, सरकार में काम करना यानी लेटरहेड या विजिटिंग कार्ड छपवाना, सरकार में काम करना यानी अफसरशाही पर नकेल कसना, इतना मात्र नहीं होता है, या रौब जमाना है या गार्ड ऑफ ऑनर लेना है, इतना मात्र नहीं होता, सरकार में बैठना यानी एक दायित्व निभाना है और दायित्व के पीछे उद्देश्यपूर्णता के आधार पर उस दायित्व को निभाना ये होता है और इसका परिचय मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी अपने सरकारों के माध्यम से देती रही है।

आपने कहा कि कांग्रेस का संबंध विदेशी विचारधारा से है। इसका आधार क्या है?

कांग्रेस की विचारधारा विदेशी मतलब क्या, मूलत: कांग्रेस की जो विचारधारा थी वो स्वाधीनता आंदोलन तक तो भारत को स्वाधीन करना, इतनी ही थी। मगर स्वाधीनता आंदोलन के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूजी के ऊपर साम्यवाद का एक आकर्षण था और इसीलिए सोवियत रूस का मॉडल उन्हें बेहद पसंद था, जिसके कारण हमारे यहां प्लैंड इकॉनोमी, योजना आयोग, ये सारा विषय आया और 1956–57 में मद्रास के निकट आवडी में जब कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था, उसमें उन्होंने समाजवादी धारा को अपना लिया।

हम कहते हैं कि पहले तो हमारा जनतंत्र आध्यात्मिक जनतंत्र है, बाद में वो राजनीतिक है और अब बाबासाहेब अंबेडकर के सपनों के अनुसार हमें सामाजिक और आर्थिक जनतंत्र की ओर बढ़ना है। मगर इन्हें सेकुलरिज्म का मोह इतना हो गया, जो एक विशिष्ट परिस्थिति के कारण ब्रिटेन में पनपी हुई विचारधारा थी, हमारे यहां कभी भी पंथ के आधार पर सत्ता नहीं थी, तो ये सारी चीजें इसी को परिलक्षित करती हैं कि कांग्रेस की विचारधारा भी धीरे–धीरे विदेश के संदर्भ में जानी जाने लगी।

भाजपा नया भारत बनाने की बात कहती है। पार्टी के पास नए भारत के लिए क्या विजन है?

देखिए, भाजपा का विजन हमारे सनातन संस्कृति के सूत्र वाक्य से ही है। और वो है– सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सभी सुखी हों, सभी को निरामय जीवन का लाभ हो और इसलिए अंत्योदय का जो दर्शन है, वो हमारा एक दृष्टि से प्राणतत्व है। हम प्रेरणा राष्ट्रवाद या राष्ट्रभक्ति से लेते हैं, अंत्योदय हमारा लक्ष्य है। उसको पाने के लिए हमारे जो साधन हैं, उसका नाम है– सुशासन और विकास।

सुशासन और विकास ये कोई केवल फ्लाईओवर्स के माध्यम से या बुलेट ट्रेन के माध्यम से नहीं होता है, बुलेट ट्रेन, फ्लाईओवर्स, अच्छी परिवहन व्यवस्थाएं, ये तो बहुत महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है, क्योंकि उसके आधार पर हमारी अर्थव्यवस्था को गति मिलती है, अर्थव्यवस्था को गति मिलती है तो समाज के निचले तबके तक विकास का रिसाव होता है। संसाधन वहां भी पहुंचते हैं और लोग सपने देखने लगते हैं, जब लोग आकांक्षावान हो जाते हैं, तब वो और तरक्की करते हैं, तो यही हमारी धारणा है। ये कोई किसी को एनटाइटलमेंट के आधार पर कि कोई उसके नाम से जमीन करो, उसको फलाना पैसे दे दो, इसके माध्यम से नहीं होता, हमने अगर जनकल्याण के कार्यक्रम किए हैं, तो वो भी सशक्तिकरण के लिए किए हैं, ताकि वो अपने पैरों पर खड़ा हो पाए।

अंबेडकरजी ने जो कहा था उस समय कि नौकरी मांगने वाले मत रहो, देने वाले बनो, इसको अमल में लाने के लिए मोदीजी को सत्ता हाथ में लानी पड़ी। उसके पहले क्या अंबेडकरजी का नाम किसी ने नहीं लिया था, लिया तो था मगर केवल नाम लिया था, काम तो भूल गए थे तो हमने वो किया है।