भारतीय जनता पार्टी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड से राज्यसभा सांसद श्री समीर उरांव का कहना है कि मोर्चा जनजाति समाज में पार्टी की विचारधारा का प्रसार कर रहा है; इसके साथ ही इस समाज की प्रमुख समस्याओं— पलायन और बेरोजगारी को दूर करने के लिए संसदीय संकुल विकास योजना बनाने को लेकर कार्य कर रहा है।
पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में श्री समीर उरांव से ‘कमल संदेश’ के सह संपादक संजीव कुमार सिन्हा एवं कमल संदेश डिजिटल टीम सदस्य विपुल शर्मा ने मोदी सरकार द्वारा जनजाति समुदाय के हितार्थ किए जा रहे कार्यों, भाजपा एसटी मोर्चा की गतिविधियों एवं आगामी योजनाओं पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्यांश—
जनजातीय गौरव दिवस के रूप में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाने का निर्णय लिया गया है। गत 15 नवंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहला जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया। इससे देश भर में क्या संदेश गया?
पिछले 10 नवंबर को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कैबिनेट में विभिन्न विषयों के साथ अनुसूचित जनजातियों के सम्मान के लिए जनजाति वीर महापुरुष, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में महती भूमिका निभाई थी, ऐसे ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को इसलिए चुना गया कि वे देश की आजादी की लड़ाई के साथ-साथ समाज ‘आत्मनिर्भर’ हो, इसकी भी चिंता करते थे। वे गांव-गांव में जाकर जन-जागरण करते थे। जहां कहीं भी किसी प्रकार की समस्या, विपत्ति या बीमारी की बात हो, लोग बिरसा मुंडाजी को याद करते थे, उनके पास जाते थे। उनके आत्मीय भाव से लोग संकट से मुक्त हो जाते थे और इस तरह बिरसा मुंडाजी भगवान के रूप में सुविख्यात हो गए।
भगवान बिरसा मुंडाजी राष्ट्र, राष्ट्रीयता, राष्ट्रभक्ति के भाव के साथ
आगे बढ़े। इससे अंग्रेजों को काफी परेशानी होने लगी और वे इनको ढूढ़ने लगे।
भगवान बिरसा मुंडा ने डोंबारी बुरू से उलगुलान शुरू कर दिया कि अब अंग्रेज
को यहां से भगा देना है। डोंबारी बुरू को लेकर इतिहास के पन्नों में ठीक
से बातें अंकित नहीं है। जालियावाला बाग कांड से पूर्व 1896 के आसपास
डोंबारी बुरू में उलगुलान के बाद जब इन लोगों की बैठक हो रही थी, उस समय
अंग्रेज सिपाहियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इसमें भगवान बिरसा मुंडाजी
के सैकड़ों अनुयायी हताहत हो गए। भगवान बिरसा मुंडाजी ने देश-समाज के लिए
अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। जेल के अंदर रहस्यमय ढंग से उनकी मृत्यु हो
गई।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में देश के ऐतिहासिक लालकिले की
प्राचीर से अपने भाषण में स्वतंत्रता संग्राम में भगवान बिरसा मुंडाजी की
महती भूमिका को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था कि जनजातीय महापुरुषों
की स्मृति में संग्रहालय हो, जिससे छात्र प्रेरणा लेकर राष्ट्रभक्ति के भाव
के साथ आगे बढ़ें।
और 15 नवंबर, 2021 को यह अवसर आया जब उनकी जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई गई। जिस जेल में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हुई, वहां पर भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय का भी उद्घाटन हुआ। आज देश का जनजाति समाज गर्व के साथ प्रफुल्लित है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त कर रहा है।
अनुसूचित जनजाति समाज के हित में मोदी सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए हैं ?
सबसे बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अनुसूचित जनजाति के हित में सोचते हैं और उसे साकार करते हैं। जनजाति समाज आगे बढ़े, इस दृष्टि से मोदीजी को लगा कि सबसे पहले इनकी शिक्षा ठीक ढंग से हो, इसलिए नवोदय विद्यालय की तर्ज पर एकलव्य मॉडल रेसिडेंसियल स्कूल योजना बनाई और आज साढ़े सात सौ के आसपास ये विद्यालय बनने प्रारंभ हो गए हैं।
देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातियों के हित में सोचा। इसलिए, अलग से जनजातीय मंत्रालय का गठन किया। उस काम को प्रधानमंत्री मोदीजी तेजी से आगे ले गए।
जनजाति का जीवन जल, जंगल, जमीन से जुड़ा हुआ है। अंग्रेज सरकार आई, उस समय 1927 में फॉरेस्ट एक्ट बना दिया, उसके बाद 1960 में एक्ट बना। 1980 में वन का राष्ट्रीयकरण किया गया। 2006 में कांग्रेस सरकार ने फॉरेस्ट राइट एक्ट, कम्युनिटी फॉरेस्ट राइट बनाया। रिजर्व फॉरेस्ट, प्रोटेक्टेड एरिया फॉरेस्ट; विलेज फॉरेस्ट ऐसा वर्गीकरण कर दिया। इन सबके चलते जनजाति अपने अधिकार से वंचित होते गए। हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने इन सारी चीजों को देखा और सूक्ष्मता के साथ अध्ययन किया कि उनका अधिकार कैसे प्राप्त हो। उन्होंने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्ट्री को कहा कि इसका सरलीकरण किया जाए।
लोग अपने गांव की सीमा के अंदर अपनी वनभूमि पर उत्पादन कर सके और सामुदायिक वन का संरक्षण-संवर्धन कर सके, इसके साथ-साथ वहां से प्राप्त चीजों का विपणन भी कर सके, इस बात को ध्यान में रखते हुए ज्वाइंट रिज्यॉल्यूशन करने का काम पिछले 6 जुलाई को हुआ है। इसके आधार पर देश भर के फॉरेस्ट विलेज और इसके निकट रहनेवाले लोग सामुदायिक वनाधिकार का लाभ लेने की योजना में आगे बढ़ रहे हैं। गांव-गांव में लोग समूह बनाकर वनधन केंद्र के माध्यम से वनोत्पाद को आगे बढ़ा रहे हैं। ट्राइफेड के माध्यम से उसके विपणन के काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। जनजातियों के सशक्तिकरण के लिए ट्राइबल फाइनेंस कॉरपोरेशन के माध्यम से योजना बनाई गई है। मत्स्य विभाग, पशुपालन विभाग आदि विभागों में पचास प्रतिशत सब्सिडी के आधार पर उनके रोजगार की व्यवस्था की गई है। स्टार्टअप योजना में इनके लिए बहुत से प्रावधान किए गए हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा आदिवासियों को गुमराह कर रही है। इस पर आपका क्या कहना है ?
कांग्रेस खुद दोषी है। संविधान निर्माण के समय से ही वह जनजातियों को धोखा देने का काम कर रही है। वह संविधान के अंदर जनजातियों की स्पष्ट परिभाषा तक नहीं बना पायी। अनुसूचित जाति को लेकर संविधान निर्माण के समय स्पष्ट रूप से कहा गया कि अनुसूचित जाति के जो लोग अपनी आस्था, विश्वास और पारम्परिक उपासना को अगर त्याग देते हैं, वह अनुसूचित जाति की सूची से बाहर हो जाएंगे। लेकिन अनुसूचित जनजाति के लोग जिन्होंने आस्था, विश्वास और परंपरा; इन सारी चीजों को वर्षों-वर्षों से त्याग दिया है वे आज भी अनुसूचित जनजाति के रूप में बने हुए हैं। वर्तमान में 729 अनुसूचित जनजातियों की सूची है।
अनुसूचित जनजाति के लोग कहते हैं कि हम प्रकृति पूजक हैं। यानी सीधे सनातनी भाव के साथ जुड़े हुए हैं, इसलिए वह सनातन हैं। लेकिन कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने उनके बारे में देश भर में भ्रम फैलाया कि वे सनातनी नहीं हैं।
आजादी के बाद से चाहे केंद्र में हो या बाकी राज्यों में, अधिकांश समय कांग्रेस की सरकारें रही हैं लेकिन उन्हें अनुसूचित जनजाति हित में सोचने तक की फुर्सत नहीं रही। योजना बनाने का विषय तो बाद की है।
हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदीजी जनजातियों को आगे बढ़ाने के लिए पूरे अंतर्मन से काम कर रहे हैं, यह कांग्रेस के लोगों को पच नहीं रहा है।
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की गतिविधियों के बारे में बताएं ?
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद हमने संगठन की अंतिम इकाई ‘बूथ’ के कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाई है। मोर्चा जनजाति समाज में पार्टी की विचारधारा का प्रसार कर रहा है। अभी लगभग 30 संगठनात्मक प्रदेशों में हम काम कर रहे हैं। उसमें से 20 प्रदेशों में मेरे स्वयं का प्रवास हो चुका है। हमारे पदाधिकारीगण भी प्रवास कर रहे हैं। इससे हमारी संगठनात्मक संरचना नीचे स्तर तक ठीक ढंग से बन रही है। गत 22, 23 और 24 अक्टूबर को एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक रांची में संपन्न हुई। उसमें सभी प्रदेशों से जो अपेक्षित थे उतने लोग आए। इस महामारी के समय में भी एसटी मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने ‘सेवा ही संगठन’, ‘सेवा समर्पण अभियान’ जैसे रचनात्मक अभियानों में पूर्ण मनोयोग के साथ महती भूमिका निभाई है।
भाजपा के प्रति जनजाति समाज का समर्थन निरंतर बढ़ रहा है। वर्तमान में आरक्षित और अनारक्षित सीटों को मिलाकर पार्टी के 40 लोकसभा सांसद हैं और राज्यसभा में 7 सांसद। प्रधानमंत्री मोदीजी भी पूरे विश्वास के साथ जनजातियों के हित में काम कर रहे हैं। इसीलिए नारा है– सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। उनकी यात्रा में जनजाति समाज और मोर्चा के कार्यकर्ता भी सहयोग करते आगे बढ़ रहे हैं।
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की आगामी योजनाएं क्या हैं ?
अनुसूचित जनजाति समाज की प्रमुख समस्याएं हैं— पलायन और बेरोजगारी। इसे दूर करने के लिए हम पहल कर रहे हैं। संसदीय संकुल विकास योजना बनाने को लेकर कार्य चल रहा है। अभी तक हम लोग ऐसे 40 संसदीय क्षेत्रों को एक कलस्टर के रूप में चयनित कर चुके हैं। कलस्टर के अंदर गांव भी चयनित हो गए हैं। इस संबंध में हमारी दो तीन स्तर की बैठकें और कार्यशाला भी हो गई हैं। वहां क्या-क्या संभावनाएं हैं, इन सारी चीजों का सर्वेक्षण कर सूचीबद्ध कर लिया गया है। अब हम वहां कैसे एक साल के भीतर उसी परिसर के अंदर उन लोगों को रोजगार दे सकते हैं, कैसे पलायन को रोक सकते हैं, वहां की उत्पादित चीजों का प्रसंस्करण करते हुए किस प्रकार से बाजार तक पहुंचा सकते हैं, उनकी आमदनी कैसे सीधे उनकी जेब में आ सकती है, इस प्रकार से योजना करके हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। ताकि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की जो परिकल्पना हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की है, वह साकार हो सके।