Thursday, 5 March 2009
देश की मजबूत अर्थव्यवस्था बनी मजबूर अर्थव्यवस्था
केंद्रीय वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल रहे श्री प्रणव मुखर्जी ने 16 फरवरी को संसद में संप्रग सरकार का अंतरिम बजट(2009-10) प्रस्तुत किया। संसद के दोनों सदनों में अंतरिम बजट पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसदों ने अपने आक्रामक भाषणों में संप्रग सरकार के उपलब्धियों के दावे की पोल खोल दी। भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में आम आदमी की सुध नहीं ली।
श्री प्रकाश जावडेकर द्वारा राज्यसभा में दिये गये भाषण का संपादित अंश
उपसभापति महोदय, मैं तीन-चार बातों की ओर वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। यूपीए की सरकार आम आदमी के नाम पर बनी है, लेकिन वास्तविकता यह है कि उसके साथ सबसे बड़ा विश्वासघात हुआ है।
अभी वित्त मंत्री बता रहे थे कि महंगाई का सूचकांक कम हो रहा है, लेकिन वास्तविकता क्या है? जहां कमॉडिटी प्राइसिज कम होने के कारण, थोक मूल्य सूचकांक (W.P.I.) कम हो रहा है, वहीं प्राइस इंडेक्स बढ़ रहा है। मैं एक ही आंकड़ा बताऊंगा । जो हमारा फूड प्राइस इंडेक्स है, अगस्त 2008 में 6 प्रतिशत था, वह अभी फरवरी में 13.25 प्रतिशत बढ़ा है। लोगों को रोजमर्रा की जिन चीजों की आवश्यकता होती है, हमने उसका एक चार्ट बनाया है जैसे गेहूं, चावल, शक्कर, चाय, तेल, मूंग दाल, आलू, प्याज, टमाटर, मिट्टी का तेल, रसोई गैस इत्यादि। अगर हम 2004 के मूल्यों की तुलना आज के मूल्यों से करते हैं, जब हमने इनको सत्ता सौंपी थी, तो आज कम से कम इन मूल्यों में डेढ़ गुना, दो गुना और कहीं-कहीं तीन गुना तक वृध्दि हुई है, इस तरह दामों में इतनी अधिाक बढ़ोतरी हुई है। यह मैं फरवरी 2009 की बात कर रहा हूं। असली बात यह है कि जो महंगाई लोगों को खा रही है, वह कम नहीं हुई है। मेरा यह मानना है कि महंगाई से जूझती आम जनता के साथ इस सरकार ने विश्वासघात किया है और उनको कोई राहत नहीं दी है।
सर, बड़ा मुद्दा यह है कि नौकरियां जा रही हैं। इस सरकार ने प्रोमिस किया था कि एक करोड़ नौजवानों को रोजगार देंगे। लेकिन, 5 साल के बाद जब यह जा रहे हैं, तब इन्होंने डेढ़ करोड़ नौजवानों को बेरोजगार करने का पूरा नक्शा तैयार किया है। जो लोग बेरोजगार हो रहे हैं, उनमें केवल एक क्षेत्र, एक्सपोर्ट में, एक करोड़ लोग बेरोजगार हो रहे हैं। टेक्सटाइल, डायमंड, आई.टी. तथा अन्य क्षेत्र जो एक्सपोर्ट से जुड़े क्षेत्र हैं और जो नॉन-एक्सपोर्ट सेक्टर्स हैं, जैसे - ऑटो इंडस्ट्री या कंस्ट्रक्शन या अन्य काम हैं, उनमें भी बड़े पैमाने पर मजदूरों से लेकर अन्य प्रकार के काम करने वाले बहुत-से लोग बेरोजगार हो रहे हैं।
उपसभापति महोदय, इन बेरोजगार लोगों को कोई संरक्षण नहीं है। आज वित्त मंत्री लोगों को सलाह दे रहे हैं कि हो सके तो आप वेतन कम करो, लेकिन नौकरियां मत छांटो। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या वह केवल सलाह ही देंगे या खुद कुछ कर के दिखाएंगे? आज जिनकी नौकरियां जा रहीं हैं, वे लाखों युवक आज बड़ी परेशानी में हैं। एक सप्ताह पहले मुंबई में एक इंजीनियर का बेटा और उसकी मां ने नौकरी जाने के कारण आत्महत्या की। इसी तरह से डायमंड के मजदूर भी आत्महत्या कर रहे हैं। आंधा्र प्रदेश में वीवर्स लोग आत्महत्या कर रहे हैं। इन सब लोगों का रोजगार यूपीए सरकार ने छीना है, इसलिए कि उसने समय पर मंदी का सामना नहीं किया। मैं मानता हूं कि 'नरेगा' में भी योजना है कि अगर 15 दिनों में जॉब नहीं मिले तो उसको इकोनॉमिक डोल दिया जाता है, लेकिन ये जो नौजवान बेरोजगार हो रहे हैं, उनको यह सरकार कौन-सा डोल दे रही है? ऐसी कोई योजना नहीं है। कहते हैं कि ESI में एक प्रावधान है, जिसके तहत उनको छ: महीने के लिए आधी तनख्वाह दी जाएगी, लेकिन एक भी बेरोजगार हुए नौजवान को ऐसा कोई भत्ता नहीं मिला है। यह मैं आपके माध्यम से इनका ध्यान दिलाना चाहता हूं और इसीलिए मैं यह मांग भी करना चाहता हूं कि जिन लोगों की नौकरियां जा रही हैं, उनको एक साल तक आधी तनख्वाह मिले, ऐसा सरवाइवल भत्ता उनको मिलना चाहिए। अगर यह उनको नहीं मिलता है तो यह नौजवानों के साथ विश्वासघात होगा। पहला विश्वासघात आम इंसान के साथ, अब दूसरा विश्वासघात नौजवानों के साथ तथा तीसरा विश्वासघात इस सरकार ने जवानों के साथ किया है। अगर आज सेना के सेवानिवृत अधिाकारी भी अपने मैडल लौटाने पर तुले हैं, तो इसका मतलब यह है कि इस सरकार ने उनके अभिमान को और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है। उसके लिए छोटा वित्तीय प्रबंधन चाहिए। लेकिन उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है और उसकी भरपाई आज तक नहीं हुई है। इस सरकार ने बहुत ढिंढोरा पीटा कि हमने infrastructure में पहल की है। लेकिन, सर, मैं बताना चाहता हूं कि इसमें उन्होंने टारगेट से आधी भी सफलता नहीं पाई है। वह चाहे रूरल रोड्स हों या इरिगेशन हो या पावर जेनरेशन हो या Golden Quadrilateral का काम पूरा करने की बात हो या North-South Corridor की बात हो अथवा East-West Corridor की बात, infrastructure के हर क्षेत्र में यह सरकार आधा टारगेट भी पूरा नहीं कर पाई है। अभी नए एग्जाम सिटम में 50 फीसदी से पास नहीं किया जाता और इस सरकार को 50 फीसदी भी सफलता नहीं मिली है, इसलिए यह सरकार पूरी तरह से फेल हुई है।
सर, मैं केवल 2 चीजों का उल्लेख करूंगा कि 4-laneing करना था, उसमें 30 प्रतिशत मुकाम भी हासिल नहीं हुआ है। National Highways connecting importan cities का जो काम था, वह काम भी अधर में लटक गया, पोर्ट्स का भी काम अधर में लटक गया। इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर में, और खासकर बिजली में, बहुत बड़ा घोटाला है।
एक विद्वान ने बहुत अच्छी तरह से कहा था कि --"Between 2003-08, we did enjoy very good economic growth. But it was not linked all that much to policies during the UPA regime; it was much more due to reforms undertaken during the earlier periods and an exceptional boom in the global economy. Our private sector responded very well to this economic climate."
यह उन्होंने कहा। इस प्रकार बात यह है कि इस सरकार के पास अब संसाधनों की भी कमी है और इसलिए मैं एक मांग करना चाहता हूं। महोदय, आपने पढ़ा होगा कि स्विट्जरलैंड में जो बैंक होते हैं, उसमें सारी दुनिया का सिक्रेट फंड या सिक्रेट धन लोग रखते हैं। उनके सीक्रेट अकाउंट्स हैं, जिनकी किसी को जानकारी नहीं मिलती, लेकिन स्विट्जरलैंड में अब कानून बदला है।
अब जो देश उससे मांग करेगा, वह उनको सारी जानकारी कि किस सिटिजन का कितना पैसा जमा है, यह बताने के लिए तैयार है। हमारे यहां से कुछ भारतीय लोगों ने 14 लाख करोड़ से भी ज्यादा रकम ऐसी अपनी दूसरे नंबर की कमाई से वहां छुपाई है। आज जब वह मौका आया है, अवसर आया है कि वह संपत्ति भारत को मिल जाए, तो इसके लिए भारत को स्विटजरलैंड के पास अपनी एप्लीकेशन देनी चाहिए कि वह इसकी जानकारी हमें दे दे। अमरीका ने किया है। जर्मनी ने किया है। बाकी देश भी उसका फॉलो-अप कर रहे हैं, लेकिन भारत क्यों चुप है? वित्त मंत्री जी, अपने देश की संपत्ति जो लूट कर अपने लोगों ने बाहर ले जाकर रखी है, उसको वापस लाने का यही एक सुनहरा मौका है और वह वापस लाने के लिए जो आपको प्रयास करना चाहिए, वह आपने नहीं किया है।
उपसभापति महोदय, अंत में मैं एक ही बात कहूंगा कि मैं दूसरे सदन में वित मंत्री जी का भाषण सुन रहा था, जब बजट पर उन्होंने अपना जवाब दिया था। उन्होंने एनडीए और यूपीए सरकार की तुलना की और एनडीए और यूपीए की तुलना करते समय उन्होंने बहुत सारे आंकड़े दिए। मैं केवल वास्तविकता के आधार पर तुलना करना चाहूंगा। हमने, एनडीए ने एक मजबूत अर्थ-व्यवस्था यूपीए को सौंपी थी, आज उन्होंने उसको एक मजबूर अर्थ-व्यवस्था में परिवर्तित किया है। हमने एक करोड़ रोजगार का सृजन किया था, इस सरकार ने डेढ़ करोड़ युवाओं को बेरोजगार करके रखा है। हम हर रोज 11 किलोमीटर की सड़कें बनाते थे, इनकी औसतन एक किलोमीटर की भी नई सड़क नहीं बन रही है। हमने सस्ते दाम दिए थे, महंगाई को रोका था, इन्होंने महंगाई को आसमान तक छूने दिया। हमने कर्जा सस्ता किया था, इन्होंने कर्जा महंगा किया, जिसके कारण इंडस्ट्रीज को आज यह दिन देखने पड़ रहे हैं। हमने किसान का कल्याण किया, अब इन्होंने किसानों को आत्महत्या पर मजबूर किया, जो आज हजारों किसान मर रहे हैं। 35 किलो राशन हम गरीब को दे रहे थे, लेकिन यह 15 किलो राशन भी मुहैया नहीं करा रहे हैं। हमने कनेक्टिविटि की रेवॉल्युशन लाई थी, इन्होंने स्कैम की श्रृंखला चलाई है। कनेक्टिविटि के क्षेत्र में भी स्कैम लाए हैं। हमने परमाणु बम बनाकर दिखाया था, लेकिन इन्होंने परमाणु समझौता करके पोखरन-3 होने की संभावना को खारिज कर दिया है। हमने डब्लूटीओ में किसानों के हितों की रक्षा की थी, इन्होंने यूएस के साथ नॉलेज इनीसेटिव के नाम पर क्या छुपा कर लाए हैं, यह देश से छुपा कर रखा है, जो बताते नहीं। सर, सूखे और बाढ़ को रोकने के लिए हमने नदी जोड़ योजना बनाई थी, आपने वह बंद कर दी। हमने फार्म इनकम गारंटी योजना किसानों के लिए बनाई थी।उपसभापति महोदय, हमने छोटे और सीमांत किसानों को सुरक्षित करने के लिए Farm Income Guarantee Insurance Scheme शुरू की थी और पहले बजट में इन्होंने उसका appreciation किया था, लेकिन वह योजना भी इन्होंने बंद कर दी। हमने एक निर्णायक सरकार दी थी और यह एक लचर सरकार छोड़कर जा रहे हैं। क्या यह चित्र देश के सामने आएगा? अगर आप बजट में एनडीए और यूपीए की तुलना करना चाहते हैं तो हम भी उसके लिए तैयार हैं, लेकिन आप सुनाएंगे और लोग सुनेंगे, ऐसा नहीं होगा। हम भी सुनाएंगे, आपको सुनना होगा। इतना कहकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment