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Wednesday, 24 December 2008

''आज सारा हिन्दुस्तान सहमा हुआ है''- प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा


गत 26-29 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई। लोकसभा में भाजपा के तत्‍कालीन उपनेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने आतंकवाद के प्रति संप्रग सरकार द्वारा नरम रूख अपनाने पर आक्रामक भाषण प्रस्‍तुत किया। हम यहां प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा के भाषण का संपादित पाठ प्रस्तुत कर रहे हैं।

उपाध्‍यक्ष महोदय, जो भाषण अभी यहां चिदम्बरम साहब और प्रणव मुखर्जी साहब ने दिये थे, उन भाषणों को सुनकर मुझे काफी प्रसन्नता हुई। उन भाषणों में जिन बातों को उल्लेख किया गया, उसमें श्री प्रणव मुखर्जी साहब की भाषा काफी कठोर और सख्त थी और मुझे कई बार लग रहा था कि वह भाषण हमारी तरफ से दिया जा रहा है, इस प्रकार की बातें उसमें दिखाई देती थीं।

आप यहाँ पर आतंकवादियों को सजा दीजिए, हम आपके साथ हैं। आप पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाइए, हम आपके साथ हैं, लेकिन हम आपका साथ इस बात पर नहीं दे सकते कि आप वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए किसी भी तरह आतंकवादियों को छोड़े रखें।

महोदय, मुम्बई में जो कांड हुआ, यह सारे देश के लिए एक शोक का विषय तो है ही, परंतु यह राष्ट्रीय शर्म की बात भी है। उसमें चिदम्बरम साहब ने माफी मांगी, श्री शिवराज पाटील का इस्तीफा हो गया, महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री का इस्तीफा हो गया, महाराष्ट्र के उप-मुख्य मंत्री का इस्तीफा हो गया। यह कोई साधारण घटना नहीं हुई है। वहां पर लाखों लोग इकट्ठे हुए और उन्होंने इकट्ठे होकर, मोमबत्तियां जलाकर सारे राजनीतिज्ञों के बारे में एक तरह की अपमानजनक भाषा का भी प्रयोग किया। सारे देश में क्रोध है, इसमें कोई शक नहीं है, परंतु इस बारे में कुछ बातों का उल्लेख करना इसलिए भी जरूरी है कि क्या यह घटना एक आकस्मिक घटना थी। प्रणव जी ने कहा कि यह घटना एक सिस्टम के थ्रू, एक षडयंत्र के थ्रू हुई और यह बात भी कही गई कि पाकिस्तान चार युध्दों में जब हिन्दुस्तान को नहीं हरा सका, हमने उनके 91 हजार कैदियों को अपनी कैद में ले लिया था। उसके बाद उसने तय किया कि इसे बदला जाए और हिन्दुस्तान को थाउजैन्ड कटस, हजार जगहों पर घाव दिये जाएं, जिससे ब्लीड होकर हिन्दुस्तान एक तरह से खत्म हो जाए और इस पर बाद में एज ए स्टेट पालिसी वहां की सरकार की नीति के मुताबिक इस आतंकवाद को प्रश्रय दिया गया, आतंकवाद को पैसा दिया गया और आतंकवाद बढ़ाने के लिए वहां पर सारी घटनाएं की गईं। अब इस बात पर हाउस को डिवाइड नहीं होना चाहिए। हाउस को इस पर मिलकर काम करना चाहिए, यह बात ठीक है। परंतु मैं याद दिलाना चाहता हूं कि इस हाउस ने दो प्रस्ताव सामूहिक तौर पर पहले भी पास किये थे। जब चीन का आक्रमण हुआ, तब एक प्रस्ताव पास किया और चीन के आक्रमण के समय, जब आक्रमण चल रहा था तो श्री जवाहर लाल नेहरू ने हाउस में एक प्रस्ताव रखा था। वह इसी प्रकार का प्रस्ताव था और उसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया था कि अपनी एक इंच जमीन तक को छुड़ाये बिना हिंदुस्तान कभी चैन से नहीं बैठेगा। परंतु उस प्रस्ताव का क्या हुआ खड़े होकर यूनेनिमस रेजोल्यूशन दोनों हाउसेज में हुआ और उस प्रस्ताव का आज कोई नामो-निशान नहीं है। हमारी चालीस हजार मील जमीन चाइना के पास है। हम उससे बातचीत कर रहे हैं और बातचीत ऐसे ही जारी है।

दूसरा प्रस्ताव इस हाउस में पाकिस्तान के बारे में पास किया गया। जब इस प्रकार की घटना हुई थी तो पाकिस्तान के बारे में श्री नरसिंहराव जी ने यहां प्रस्ताव रखा था। उसमें यह कहा गया कि केवल एक काम बाकी है - पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेना। यही एक काम बाकी रह गया है और सारा हिन्दुस्तान इस बात का संकल्प करता है कि हम उस जमीन को वापस लेंगे। आज उस जमीन को वापस लेने की कोई बात नहीं की जा रही है। इसलिए मेरा कहना है कि हम जो प्रस्ताव यहां पारित कर रहे हैं, इस प्रस्ताव का हश्र क्या अभी मुम्बई कांड हुआ और उसके बाद गृह मंत्री का इस्तीफा हो गया। क्या इसके बाद कोई कांड नहीं होगा, क्या कोई इस बात का आश्वासन देगा कि पाकिस्तान फिर से ऐसी कार्रवाई नहीं करेगा और यदि वह ऐसी कार्रवाई फिर से करेगा तो क्या किया जायेगा, इसके बारे में न प्रस्ताव में कोई बात कही गई है और न सरकार की ओर से कोई बात कही गई है। मैं इन चीजों के बारे में इसलिए जिक्र कर रहा हूं कि आप देखें, यहां कितनी बार इसकी चेतावनी हुई, तीन या चार बार नहीं, बल्कि कई बार ऐसा हुआ। अभी हमारे मित्रों ने इसका जिक्र भी किया कि 26 नवम्बर को हमला होता है और 22 नवम्बर को श्री शिवराज पाटील कहते हैं -

"… to control terrorism in the hinterland, we have to see that infiltration of terrorists from other countries does not take place through the sea-routes and through the borders between India and friendly countries. The coast line also has to be guarded through Navy, Coast Guard and Coastal Police. The Special Force and CID should identify the persons, etc. …"

चार दिन पहले उन्होंने यह बात कही और चार दिन के बाद यह घटना हो गई। उससे पहले 13 नवम्बर, 2008 13 दिन पहले प्रधाान मंत्री जी कह रहे हैं, "Terrorism and threats from the sea continue to challenge the authority of the State." इससे पहले कम से कम 15 बार चेतावनी दी गई कि सी-रूट से यह होने वाला है। लक्षद्वीप के रास्ते से पाकिस्तान के लोग वहां आते हैं, आकर अपने अड्डे कायम करते हैं और फिर वहां से अपनी सारी कार्यवाहियां करते हैं। आपने सुरक्षा के नाम पर वहां केवल एक गार्ड और एक इंस्पैक्टर लगा रखा है।

उपाध्‍यक्ष महोदय, यह कहा गया कि ताज होटल के मालिक को इस हमले की चेतावनी दी गई थी कि ताज पर हमला होगा। हमारे दोस्त कह रहे थे कि रामपुर में जो व्यक्ति पकड़ा गया है, उसने कहा कि ताज होटल पर हमला होगा। ताज होटल के अंदर सात दिन तक सुरक्षा रखी गई, फिर उस सुरक्षा को हटा दिया गया। हमारे मित्र कह रहे थे, जिस पर मैं जाना नहीं चाहूंगा, जिन्होंने ए.टी.एफ के बारे में जिक्र किया या अन्य बातों के बारे में कहा। मेरा कहना है कि इन बातों की ओर धयान क्यों नहीं दिया गया, क्यों नहीं कार्यवाही की गई सन् 2005 से कोस्टल गार्ड की व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है लेकिन 2008 तक कोस्टल गार्ड पुलिस स्टेशन कायम नहीं किया गया। कोस्टल गार्ड पुलिस स्टेशन के लिये धानराशि रखी जानी चाहिये, जिसे सरकार ने नहीं रखी। कोस्टल गार्ड नौसेना पर इलजाम लगा रहे हैं, नौसेना के चीफ रॉ पर लगा रहे हैं, रॉ होम मिनिस्टर पर लगा रहा है। यह तो एक तरह से सिविल वॉर हो रहा है। इसके बारे में विचार करने की जरूरत है कि आखिर कहां गलती हुई है सरकार ने कहा कि इन सब बातों का विवेचन करेंगे। अभी तक किसी अधिाकारी के सामने बात नहीं आयी। रॉ कह रहे हैं कि होम मिनिस्टर को सूचना दी, होम मिनिस्टर कह रहे हैं कि हमने नौसेना को सूचना दी और नौसेना कह रही है कि हमने महाराष्ट्र सरकार को सूचना दी। इस तरह सभी एक दूसरे को सूचना देने की बात कह रहे हैं लेकिन यह कब से चल रहा है अगर आप देखेंगे तो मालूम होगा कि यह केवल एक दिन की बात नहीं है। ऐसा लगातार कई दिनों से चल रहा है। मैंने यह सब इसलिये कहा क्योंकि सारे देश में गुस्से की लहर है और इस लहर के कारण आपने यह प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में आपने जिक्र किया है "India shall not cease her efforts until the terrorists and those who have trained, funded and abetted them are exposed and brought to justice. हमारे यहां लोग कह रहे थे कि आतंकवादियों के टुकड़े कर दिये जाने चाहिये परन्तु क्या मैं गृह मंत्री जी से पूछ सकता हूं कि आप जो कह रहे हैं कि "We will bring them to justice." जस्टिस होने के बाद, आज तक निचली कोर्ट से ऊपरी कोर्ट तक ने पार्लियामेंट पर हमला करने वाले अफजल के खिलाफ फांसी की सजा सुनाई, जिसे आपने चार साल से रोक रखा है, आखिर क्यों रोक रखा है यह घटना आज से सात साल पहले हुई और 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा-ए-मौत दी। अगर आतंकवादी को लगे कि पहले तो वह पकड़ा ही नहीं जायेगा, पहले उसकी सूचना ही नहीं मिलेगी, अगर सूचना मिल भी गई तो यहां आने के बाद मारा नहीं जायेगा, अगर पकड़ा भी जाता है तो सजा नहीं होगी और अगर सजा हो भी गई तो उसे एक्जीक्यूट नहीं किया जायेगा& Where is the will? आप कह रहे हैं कि आतंकवाद को कुचलने के लिये पाकिस्तान पर हमला करने से हल नहीं हो सकता है। अगर यह हल नहीं तो फिर क्या है आतंकवादी को पकड़ने के बाद, सजा-ए-मौत होने के बाद अभी उसे माफी देने के लिये फाईल 6 साल तक दबा कर रखी, क्या आतंकवाद से मुकाबला करने का यह तरीका है मैं इसका जिक इसलिये करना चाहता हूं कि अभी बाटला हाऊस में केस हुआ। उसके बारे में पुलिस को सारी सूचना थी और होम मिनिस्टर के यहां की पुलिस को थी। इंस्पैक्टर मूल चंद शर्मा की शहादत हो गई लेकिन उस पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। यह कोई गुजरात की पुलिस नहीं थी, आपके अपने यहां की पुलिस थी जिसने वहां रेड किया और इसमें मूल चंद शर्मा मारे गये। इस मुठभेड़ में दो आदमी पकड़े भी गये। उसका पता लगने के बाद अगले दिन महरौली में घटना हो गई। इस प्रकार की घटनायें कब तक चलती रहेंगी यहां जो भाषा कही गई है, वह आपके नेता ने कही है कि हम आपके साथ हैं, आखिर इस सवाल का कोई जवाब है जो आप कह रहे हैं कि "India shall firmly counter all evil designs against the unity, sovereignty and total integrity…" सारी दुनिया में ईराक को छोड़कर हिन्दुस्तान सब से ज्यादा आतंकवाद से प्रताड़ित है परन्तु इतना प्रताड़ित होने के बावजूद पाकिस्तान से लड़ाई करना मुनासिब नहीं होगा, यह आप कह रहे हैं। फिर आतंकवाद से आप कैसे मुकाबला करेंगे हिन्दुस्तान में कोई लॉ नहीं है, क्या इससे ज्यादा शर्मनाक बात और हो सकती?

हिन्दुस्तान अकेला ऐसा बदकिस्मत देश है, जहां 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गये हैं। हमारे चारों युध्दों में जितने सेना के जवान मारे गये, पाकिस्तान से हमारी चार लड़ाईयां हुई हैं, चारों लड़ाईयों में हमारे जितने सैनिक और अर्ध्दसैनिक बल के जवान मारे गये हैं, उससे दुगने से ज्यादा आतंकवादियों के हाथों मारे गये हैं। हमने बहुत जोर से इस बात को उठाया है। आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए जिन शहीदों ने शहादत दी है, हम उनको नमन करते हैं। यह कहा गया कि हमारे जवान 303 रायफल के साथ लड़ रहे थे और वे ए.के.47 लेकर आये थे। हमने अपने जवानों को ए.के.47 क्यों नहीं दीं हमने अपने जवानों, कोस्ट गार्ड के जो जवान हैं और दूसरे हैं, उनको पूरी सुविधाएं, मुहैया क्यों नहीं करायी? आपने गृह मंत्रालय के बजट में ये बातें क्यों नहीं रखी? यह बात तीन साल से कही जा रही है कि सी-रूट से हमला होगा। अगर मैं तीन साल का सारा विवरण बताना चाहूँ तो कम से कम बीस बार वार्निंग दी गयी है कि सी-रूट से हमला होगा। अभी आडवाणी जी ने उसको पढ़कर सुनाया था। शिवराज पाटिल जी के 2006 के बयान में क्लियरली लिखा है कि हिन्दुस्तान पर सी-रूट से हमला होने वाला है। इसके लिए सावधानी क्यों नहीं बरती गयी अगर सावधानी बरती नहीं जानी है, केवल यह प्रस्ताव पारित कर देना है और यह केवल प्रस्ताव ही रह जाएगा, तो हम आपसे यह जरूर पूछना चाहते हैं कि क्या इसी प्रकार से आतंकवाद का मुकाबला होगा पोटा कानून नहीं होगा, पोटा कानून नहीं है, तो चिदम्बरम कानून बना दीजिए, राजीव गॉधी एन्टी टेरेरिज्म लॉ बना दीजिए। कोई एन्टी टेरेरिज्म लॉ हिन्दुस्तान में हो तो सही। इंग्लैंड के अंदर केवल एक लॉ है और उसका नाम उन्होंने पैट्रियाटिक लॉ रखा है। वह हमसे कहीं ज्यादा सख्त है।

मानवाधिकारों का हनन करने की बात यहाँ आती है। मानवाधिकारों के हनन की बातें मानवों के लिए होता है, शैतानों के लिए नहीं होता है। जो औरतों और बच्चों को मार डालें, यहाँ पर आकर लोगों को खत्म कर दें, उनके खिलाफ बहुत भावना व्यक्त की जा रही है, सारा हाउस भावना व्यक्त कर रहा है, परन्तु भावना व्यक्त करने के बाद भी, उसके खिलाफ कोई कानून कहाँ है इसमें लिखा हुआ है कि आतंकवादियों के पास अकूत धन है, अनलिमिटेड रिर्सोसेज हैं। उनके पास बेइंतहा पैसा है। उस पैसे से वे लोगों को खरीद भी सकते हैं, वैहिकल भी खरीद सकते हैं, सी-रूट से भी आ सकते हैं, नावें भी ला सकते हैं, सब कुछ कर सकते हैं। उनकी सरकार भी पीछे खड़ी है। प्रणव जी कहते हैं कि ये सरकार से बाहर के लोग है, बाहर के लोग कहाँ से आये हैं - कोई आसमान से तो नहीं टपके हैं, पाकिस्तान से नहीं आये हैं। पाकिस्तान को वार्निंग देते हैं तो वे एक जगह से दूसरी जगह बदल लेते हैं। एक जगह से हटकर दूसरी जगह चले जाते हैं, दूसरी से हटकर तीसरी जगह चले जाते हैं, इतना पैसा उनके पास है। उनको पकड़ने के लिए कौन सा कानून है आपके द्वारा कोई कानून न बनाना, मैं समझता हूँ कि इससे ज्यादा नाकामी, इससे ज्यादा गलत बात, इससे ज्यादा आतंकवादियों को प्रश्रय देना, आतंकवाद का समर्थन करना - यह नहीं हो सकता कि हिन्दुस्तान में उसके लिए कोई कानून न हो। आपने जिक्र नहीं किया कि हम कोई ऐसा हार्ड एन्टी टैरेरिज्म लॉ बनाएंगे, जिससे टेररिस्टो में कोई आतंक पैदा हो। आतंकवादियों में आतंक नहीं है और सारी जनता आतंकित है, सारा देश आतंकित है, सारा देश सहमा हुआ है। अभी कल परसों ही आया है कि दिल्ली निशाने पर है। कल रात को दिल्ली में एक छोटी सी घटना हुई, सारी दिल्ली सहम गयी, सब एक-दूसरे को फोन कर रहे थे। किसी ने वहाँ कोई सामग्री रख दी थी। इससे सारी दिल्ली दहली हुई है। लोग इस बार रामलीला, दुर्गा पूजा में नहीं गये। दिल्ली सहमी हुई है, सारा हिन्दुस्तान सहमा हुआ है। आप कहते हैं कि हम बड़े जोर से मुकाबला करेंगे। हमारे नेता ने आपसे कहा है कि आप कदम उठायें, हम आपके साथ हैं। आप कदम उठायें तो सही, आप पोटा बनाइए, हम आपके साथ हैं। आप यहाँ पर आतंकवादियों को सजा दीजिए, हम आपके साथ हैं। आप पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाइए, हम आपके साथ हैं, लेकिन हम आपका साथ इस बात पर नहीं दे सकते कि आप वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए किसी भी तरह आतंकवादियों को छोड़े रखें, .आतंकवादियों के खिलाफ कदम न उठाएं, आतंकवाद को फैलने दे। आपके नारायणन साहब ने कहा कि - There are 800 modules in India being funded by ISI. उनको यह मालूम होगा तभी उन्होंने आपसे जिक्र किया है। आप उन 800 को स्मैश कीजिए। अगर आप उन 800 को स्मैश करेंगे तो हम आपके साथ खड़े हैं। पाकिस्तान के खिलाफ आप कोई भी जोरदार कदम उठाइए, हम आपके साथ हैं और पूरा देश आपका साथ देगा, किन्तु यह नहीं हो सकता है कि आप कोई कदम न उठाएं, अपने सी-कोस्ट को भी खुला छोड़ दें और बांग्लादेश के मार्फत आयें, असम के अंदर पाकिस्तानी झंडे लहरायें और काई कदम न उठाएं। क्या गृह मंत्री जी आपसे नहीं पूछा जाना चाहिए कि असम के अंदर जिन्होंने पाकिस्तानी झंडे लहराये, और झंडे लहराकर वहाँ डेढ सौ आदमी मार दिये, उन लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुयी।

उनको टीवी पर दिखाया गया। आखिर लोग देखते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे लहराए जाएं, तो कोई कार्रवाई नहीं। अगर सरकार चाहे कि उनका इस बात पर समर्थन किया जाए कि बंग्लादेश हो या पाकिस्तान हो या कोई और सेन्टर हो, उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई न करें और केवल भाषा से, कागज़ की तलवारें चलाएं, उससे आतंकवाद मिटने वाला नहीं है। इसलिए हम आपसे कहना चाहते हैं कि सारा देश इस समय आपका साथ दे रहा है। यह समय है कि आप कठोर कार्रवाई करें। एक बात यही कही गयी कि ऐसा नहीं हो सकता। ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देंगे तो कैसे होगा अगर वे एक ऑंख फोड़ते हैं तो उनकी दोनों ऑंखें नहीं फोड़नी, अगर उन्होंने एक दाँत तोड़ा है तो उनका जबड़ा नहीं तोड़ना, अगर इस प्रकार की बात नहीं करनी तो कोई घबराएगा कैसे कुछ तो करना पड़ेगा। इसका कोई ज़िक्र इसमें नहीं है। यह एक रिज़ॉल्यूशन है - हम रिज़ॉल्यूशन पास करते हैं कि आतंकवाद को कभी सफल नहीं होने देंगे। ऐसे रिज़ॉल्यूशन तो बीसियों बार पास हुए और मैंने आपको बताया कि चाइना के खिलाफ वार के समय का रिजॉल्यूशन हुआ, पाकिस्तान के संबंधा में रिजॉल्यूशन हुआ, उन सब रिजॉल्यूशन्स को बाद में सारी दुनिया भूल जाती है। अगली घटना कभी भी घटी तो क्या आप इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैंघ् क्या फिर यही होगा कि एक और गृह मंत्री को हटा दें और अगर एक और कांड हो गया तो फिर तीसरा बना दें। इसमें जॉइंट रिस्पान्सिबिलिटी होती है। गृह मंत्री की जिम्मेदारी सारी बातों की नहीं है। परंतु इस समय हमने कहा नहीं है, आडवाणी जी ने इसका उल्लेख नहीं किया कि जाना चाहिए था तो सारी सरकार को जाना चाहिए था। परंतु इस समय जिस तरह की स्थिति में आप काम कर रहे हैं, उसमें कम से कम रिजॉल्यूशन में तो पोटा को वापस लाने का, एंटी टैरर ला बनाने की बात होनी चाहिए थी। जो आप सेन्ट्रल जांच एजेन्सी बनाने की बात कर रहे हैं, हम भी चाहते हैं कि एक फैडरल जांच एजेन्सी होनी चाहिए, पर वह अगर बिना कानून के होगी तो क्या काम करेगी एक फैडरल एजेन्सी को अगर सिर्फ ला एंड आर्डर मेनटेन करना है, केवल उसने किसी चोर या डाकू को पकड़ना है, कोई कानून नहीं है तो फिर ला एंड आर्डर तो स्टेट सब्जैक्ट है। कोई स्टेट क्यों मानेगा आप फैडरल एजेन्सी बनाएं। उसके पीछे कोई ज़ोरदार पैट्रियॉटिक लॉ रखें। जैसा कानून इंग्लैंड में है, अमरीका में है, ऐसा कानून उसके साथ रखें तो हमें बड़ी खुशी होगी और हम भी उस फैडरल एजेन्सी का पूरा समर्थन करेंगे बशर्ते कि उसके हाथ में आतंकवाद को रोकने के लिए कोई कड़ा कानून हो। आज दुर्भाग्य से यह हो गया है कि पैट्रियॉटिज्म या पैट्रियाट या नेशनलिज्म माने गाली सी हो गई है। नेशनलिज्म की बात करना, पैट्रियाटिज्म की बात करने को कहा जाता है कि यह कम्यूनल है, इसे कम्यूनल बातें कहकर हटाया जाता है। मैं गृह मंत्री जी से अनुरोधा करूँगा कि हमने आपको पूरा समर्थन दिया है, सारा सदन और सारा देश समर्थन दे रहा है। उसको लेकर आप कोई कड़ी कार्रवाई करिये और वह कड़ी कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए कि जिसके बाद आतंकवाद रुके। ऐसा न हो कि फिर कोई आकंतवादी घटना हो और हमें फिर ऐसा प्रस्ताव पास करना पड़े। इन्हीं शब्दों के साथ मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ।

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