मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय नेता भारत-अमेरिका परमाणु करार के विरोध में रैली निकाल रहे हैं, बंद का आयोजन कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं, सेमिनार कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुध्ददेव भट्टाचार्य कह रहे है हमने करार का विरोध नहीं किया, बल्कि इस करार को लेकर की गयी जल्दबाजी का विरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री से करार को लेकर जल्दबाजी न करते हुए बुश प्रशासन के अवसान का इंतजार करने का आग्रह किया था। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के मानसिक दिवालिएपन का एक नायाब उदाहरण नीचे प्रस्तुत है।
कोलकाता, दैनिक जागरण :(30 दिसंबर, 2008) प. बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव ने कहा है कि माकपा या वामदल परमाणु करार के खिलाफ नहीं, बल्कि इसको लेकर की गई जल्दबाजी का विरोध कर रहे थे। वह राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु बिजली के लिए मार्ग प्रशस्त करने में जुट गए हैं। इस प्रयास के बाद राज्य विद्युत बोर्ड की यूनियन सीटू ने भी अपने प्रस्ताव में परिवर्तन कर परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का समर्थन किया है। यह प्रस्ताव हाल ही में उत्तर चौबीस परगना में हुए सीटू के सम्मेलन में पेश किया गया।
1 comment:
मार्क्सवाद पहचान है, करो भूल पर भूल.
भूलें इतनी हो गई, कि खोया उनका मूल.
खोया उनका मूल, कौन समझाये उनको.
सर्वहारा की राजनीति ले डूबी सबको.
कह साधक अब,राजनीति ही हुई पराई.
इसे केन्द्र से बाहर करने में ही भलाई.
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