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Friday, 28 December 2007

देवभूमि हिमाचल में भी लहराया भगवा ध्वज


गुजरात में मोदी की रहनुमाई में विजय यात्रा पूरी करने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आज देवभूमि माने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में भी भगवा परचम फहराया। राज्य में भाजपा ने कांग्रेस को करारी शिकस्त देते हुए स्पष्ट बहुमत से सत्ता छीन ली। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की 68 विधानसभा सीटों में से 41 पर कब्जा किया जबकि कांग्रेस सिर्फ 23 सीटों तक सिमट कर रह गई। एक पर बसपा और तीन पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे। चुनावों में उतरने से पूर्व ही प्रो. प्रेम कुमार धूमल को अपने मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर उतरी भाजपा नेताओं ने गुजरात विजय के बाद ही विश्वास व्यक्त करना शुरू कर दिया था कि हिमाचल प्रदेश में भी उसकी ही सरकार बनेगी। मतदान के बाद एक्जिट पोल में भी भगवा सरकार बनने का इशारा मिला था। कांग्रेस को जहां राज्य में सत्ता विरोधी प्रभाव से उबरना था वहीं भाजपा के पास बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, राज्य की खराब होती वित्तीय व्यवस्था और कुछ सेवाओं पर इस्तेमाल शुल्क लगाए जाने के मुद्दों की फसल थी। राज्य में पहली बार पूरे कार्यकाल तक सरकार चलाने में सफल रही कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह रोहरू विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हो गए लेकिन उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्य अपनी सीटें नहीं बचा सके। सरकार के खेवनहारों की पराजय के कारण कांग्रेस को पिछली विधानसभा के मुकाबले 20 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। राज्य में किसी एक पार्टी के दोबारा शासन में आने का चलन 1971 में राज्य की स्थापना के बाद से ही बहुत कम रहा है। कांग्रेस ने हालांकि सबसे ज्यादा समय तक शासन किया है लेकिन उसका लगातार सबसे लंबा शासन 1982 से 1990 तक रहा।

धूमल को शनिवार को भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में विधायक दल का नेता चुना जायेगा। गुजरात के बाद हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद अब भाजपा नेताओं का दावा है कि देश में अगली सरकार राजग की बनेगी और उनकी पार्टी आम चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी। भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने पार्टी की जीत पर नई दिल्ली में कहा कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पार्टी की जीत लोकसभा चुनावों से पहले का ट्रेलर है और कांग्रेस एवं संप्रग शासन की उलटी गिनती शुरू हो गई है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि हिमाचल और गुजरात में चुनावी जीत के बाद मैं महसूस करता हूं कि देश की जनता इस निष्कर्ष पर पहुंच गई है कि सिर्फ भाजपा ही अच्छा शासन दे सकती है। हमीरपुर जिले की बामसान सीट पर कांग्रेस के कर्नल बीसी लगवाल को 26 हजार से अधिक मतों से पराजित करने वाले धूमल ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार से मतभेदों का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने संबंधी फैसला आलाकमान ने कुमार की सहमति से लिया है।

भावी मुख्यमंत्री ने कहा हम साथ हैं, फैसला उनकी सहमति से लिया गया। उन्होंने कांग्रेस पर विशेष तौर पर विकास के मोर्चे सहित सभी क्षेत्रों में जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। मंत्रिमंडल में शामिल विद्या स्टोक्स सहित कई सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा। वन मंत्री रामलाल ठाकुर और उद्योग मंत्री कुलदीप कुमार को क्रमश: कोटकहलूर और गगरेत सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों के हाथों पराजय का स्वाद चखना पड़ा। सोलन जिले की अरकी सीट से किस्मत आजमा रहे दस जनपथ के पूर्व रसोइए पदम राम के पुत्र प्रकाश चंद कराद को पराजय का सामना करना पड़ा। इस सीट पर भाजपा के गोविंद राम विजयी हुए। कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के तौर पर उतरे विधानसभा उपाध्यक्ष धरमपाल ठाकुर दूसरे स्थान पर रहे। भाजपा को 2003 के चुनावों में सिर्फ 16 सीटों पर कामयाबी मिली थी जबकि कांग्रेस ने 43 सीटें जीती थीं।

उत्तर प्रदेश की सोशल इंजीनियरिंग को राज्य में आजमाने 67 सीटों पर उतरी बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय सिंह मनकोटिया सहित उसके 65 उम्मीदवारों को पराजय का सामना करना पड़ा। मनकोटिया कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुए थे। पार्टी को एकमात्र सफलता मिली जब पार्टी उम्मीदवार संजय चौधरी कांगडा से विजय हासिल करने में सफल रहे। राज्य में कुल 336 उम्मीदवार मैदान में थे। भाजपा ने सभी 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि कांग्रेस ने 67 प्रत्याशी मैदान में खड़े किए थे। दलित वोट बैंक पर बसपा का एकाधिकार नहीं बनने देने के प्रयास में लगी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा ने 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे पर उसकी झोली खाली रही। उत्तार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सपा ने भी 12 उम्मीदवार खड़े किए थे जबकि शरद पवार की राकांपा ने चार प्रत्याशियों को टिकट दिया था। 58 निर्दलीय चुनाव मैदान में थे जिनमें से मात्र तीन को कामयाबी मिली। राज्य में दो चरणों में मतदान कराया गया था। पहले चरण में 14 नवंबर को लाहौल स्पीति, किन्नौर और भरमौर की आदिवासी सीटों के लिए मतदान हुआ था। 19 दिसंबर को दूसरे चरण में शेष 65 सीटों पर वोट डाले गए थे। मतगणना आज सुबह आठ बजे से शुरू हुई और तीन घंटे के भीतर ही परिणाम आने का सिलसिला शुरू हो गया। राज्य में पार्टी की जीत का संकेत मिलने के साथ ही भाजपा कार्यकर्ता जश्न में डूबने लगे और जैसे-जैसे पार्टी की सीटों की संख्या बढ़ने लगी वैसे-वैसे कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ता चला गया और नेताओं ने सरकार गठन के लिए पहल कर दी। स्रोत: प्रभासाक्षी ब्यूरो

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