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Monday 7 January, 2008

दर्जनों माओवादी नेता प्रेम संबंधों के कारण पकडे गए

पटना। माओवादियों की प्रेरणा माने जाने वाली कवियित्री कल्‍पना बोस की एक कविता है- प्‍यार में नदी मत बनो/ बन सको तो बाढ बनकर आओ/ मैं उसके प्रबल आवेग से निराशा के बांध तोड दूंगी- लेकिन बिहार में माओवादी प्रेम में नदी की तरह बह ही नहीं रहे, बर्फ की तरह पिघल भी रहे हैं। इसका फायदा पुलिस को मिल रहा है। पुलिस मुख्‍यालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बिहार और झारखंड के दर्जनों माओवादी नेता अपने प्रेम संबंधों के कारण पकडे गए हैं।

अपने कैडरों के दिल के रोग से परेशान भाकपा माओवादी ने हाल ही में इसको लेकर एक सर्कुलर जारी किया है। पुलिस मुख्‍यालय की ही गुप्‍तचर शाखा के एक रिकार्ड के अनुसार पार्टी की बिहार झारखंड स्‍पेशल एरिया कमेटी ने अपने सर्कुलर संख्‍या 2/07 में विवाहेतर संबंधों को प्रतिबंधित करते हुए सदस्‍यों को इससे बचने की सलाह दी है। इसके अलावे संगठन ने अपने मुखपत्र लाल चिनगारी के एक अंक में भी सदस्‍यों को ऐसे मामलों में न फंसने की सलाह दी है। इसके बावजूद सदस्‍यों की कौन कहे नक्‍सलियों के बडे नेता भी इस चक्‍कर में फंसते जा रहे हैं। हाल में नक्‍सली संगठनों के कई सदस्‍य अपने विवाहेतर संबंधों को लेकर चर्चा में रहे हैं तो कुछ युवा सदस्‍यों पर एक साथ कई लडकियों से इश्‍क लडाने के आरोप भी लगे हैं। नक्‍सली संगठन के कई सदस्‍य लडकियों के चक्‍कर में पकडकर पुलिस के हत्‍थे चढ चुके हैं। संगठन के जोनल कमांडर बेतिया के रहने वाले सूरज मोची गत 28 सितंबर कों मसौढी अनुमंडल क्षेत्र में एक लडकी के घर से इसी चक्‍कर में पकडे गए। पटना में पकडे गए तुषार भटटाचार्या भी हरियाणा की एक महिला के साथ अवैध संबंधों को लेकर चर्चा में रहे हैं। पटना में प‍कडे गए माओवादी सब जोनल कमांडर छठू जगत के भाई प्रफुल्‍ल भगत के बारे में भी पुलिस इसी तरह के कई आरोप लगाती है।

पुलिस मुख्‍यालय सूत्रों के अनुसार प्रफुल्‍ल जमीन से बेदखल लोगों को कब्‍जा दिलाने का सब्‍जबाग दिखाता था और उनके घर की लडकियों का यौन शोषण करता था। इस तरह के मामले पडोसी राज्‍य झारखंड में भी पाए गए हैं। लेखक- प्रियरंजऩ, साभार- हिन्दुस्तान, 7 जनवरी, 2008

4 comments:

Ashish Maharishi said...

लड़का लड़की राजी तो क्‍या करेगा काजी, भईया प्रेम करना तो सबका हक है और यदि दोनो बालिग है तो फिर क्‍या कहने हैं

चंद्रभूषण said...

चलिए, गनीमत है। कई वरिष्ठ संघी नेताओं की तरह माओवादी कम से कम लड़कों के साथ अपने अवैध संबंधों के लिए तो चर्चा में नहीं हैं!

जेपी नारायण said...

चंद्रभूषण ने सब कुछ तो कह दिया, अब और क्या कहना।

drdhabhai said...

बङे पते की न्यूज बताई चंद्र भूषण भाई लगता है स्टार न्यूज के फैन हैं आप .ये बेसिर पैर की एक्सक्लूजिल न्यूज सिर्फ इसी चैनल पर दो तीन वर्ष पूर्व दिखाई गई थी जिसका बाद में वे कोई ठोस सबूत भी नहीं दे पाये.बाकी संघ के कार्यकर्ता के बारे में अपने आप को देशद्रोही नक्सली कहने वाले किसी व्यक्ति से प्रमाण पत्र लेने की कोई आवश्यकता दिखाई नहीं देती.आपके जनरल नालेज के लिए बता दूं कि राजस्थान में कामरेड का मतलब समझते हैं दारू का ठेकेदार,राजस्थान के कम्यूनिष्ट प्रभाव क्षैत्रों में कई विधालयों में सहशिक्षा इसलिए बंद करनी पङी कि प्रशासन इन सर्वोहारा के रक्षकों की लङकियों के साथ बदतमीजियों से तंग आ चुका था.आप चाहें तो एकाध विधालय का पता दे सकता हूं .