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Saturday, 13 September 2008

बेगुनाहों के खून से लाल हो उठी दिल्‍ली, यह तथाकथित सेकुलर नेताओं की करनी का प्रतिफल


......13 मई को जयपुर में बम धमाके हुए......25 जुलाई को बेंगलुरू थर्रा उठा......26 जुलाई को अहमदाबाद दहल उठा...... और अब फिर आज 13 सितम्‍बर को दिल्‍ली में निर्दोष नागरिकों के लाशों की ढेर लगी। लगातार आतंकी हमला। करोलबाग, कनॉट प्‍लेस, ग्रेटर कैलाश में तबाही का मंजर था। खून से लाल हो गईं दिल्‍ली। यह अल्‍पसंख्‍यक तुष्टिकरण का परिणाम। सिमी पर से प्रतिबंध हटाओ, की मांग करनेवाले तथाकथित से‍कुलर नेताओं की करनी का प्रतिफल। आखिर कब तक यह सिलसिला चलता रहेगा? कब तक बेगुनाहों की लाशें ढ़ेर होती रहेंगी? कब तक हमारी सरकारें कुंभकर्णी नींद में सोयी रहेंगी? बहुत हो चुका। कब यह देश आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देगा? कब पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एक साथ उठ खड़ा होगा? आज देश के नियंताओं और नागरिकों के सम्मुख यह यक्ष प्रश्न मुंह बाएं खड़ा है।

3 comments:

Udan Tashtari said...

अफसोसजन..दुखद...निन्दनीय!!

Satyawati Mishra said...

आतंकियों के समर्थको के ही समर्थन पर सरकार चल रही है नही तो गिर जाती / इसलिए ये सरकार मूक ही रहेगी भुगतना तो उनको पड़ता है जो आम इंसान कहलाते हैं / बहुत दुखद और दर्दनाक है पर ??????????????????????????

दिवाकर प्रताप सिंह said...

दरअसल देश और यहाँ के बाशिंदे इसी तरह की त्रासदियों को भोगने के लिए अभिशप्त हैं। चरम पर पहुँच चुके भ्रष्टाचार, अय्याशी और क्षेत्रवाद के बीच देश के बारे में सोचने के लिए किसी के पास फुरसत ही नहीं है। हम सहिष्णुता की आड़ में कायरता दिखाते आए हैं। राष्ट्र के बारे में सोच कर निर्णय लेने का समय और क्षमता हमारे पास है ही नहीं। निर्णय के कारक तो सीधे वोट बैक और तुष्टिकरण से जुड़े हुए हैं।