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Tuesday, 30 September 2008

देश के खिलाफ युध्द है अतंकवाद- मे.जन.(से.नि.) अफसिर करीम, रक्षा विशेषज्ञ

देश भर में हो रहे बम धमाकों और आतंकवादी कार्रवाईयों के बारे में एक बात स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि इनके पीछे पाकिस्तान के संगठन शामिल हैं। दूसरी बात यह है कि उन्होंने पैसे और मजहब के नाम पर कुछ लोगों को अपने साथ मिला रखा है, जोकि यहां आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं। पर हमारा काम है उनको रोकना, पकड़ना और उन्हें कड़ी सजा देना। लेकिन इन तीनों ही काम में हम असफल सिध्द हो रहे हैं।

आतंकवाद को रोकने में मिल रही असफलता का सबसे पहला कारण है खुफिया विभाग की नाकामी। दूसरी बात यह है कि खुफिया विभाग द्वारा जो सूचनाएं एकत्र की भी जाती हैं, गृह मंत्रालय के अधिकारी उसका सही विश्लेषण नहीं कर पाते हैं। खुफिया विभाग की सूचना के बाद सचेत रहने (रेड अलर्ट) की सार्वजनिक सूचना देने भर से कुछ नहीं होता। तीसरा-देश में आतंकवाद से लड़ने की क्या नीति हो, इस पर सभी राजनीतिक दल एकमत नहीं हैं। अमरीका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ या इंग्लैंड में बम धमाके हुए, वहां के सभी दलों ने एकमत से उसके खिलाफ जंग का ऐलान किया, कड़े कानून बनाए, और इसका परिणाम भी सामने आया। वहां उसके बाद कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ। पर यहां कोई एक दल या उसकी सरकार आतंकवाद से निपटने का कोई कानून बनाती है, दूसरे दल की सरकार आकर उसे बदल देती है।
अमरीका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ या इंग्लैंड में बम धमाके हुए, वहां के सभी दलों ने एकमत से उसके खिलाफ जंग का ऐलान किया, कड़े कानून बनाए, और इसका परिणाम भी सामने आया। वहां उसके बाद कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ। पर यहां कोई एक दल या उसकी सरकार आतंकवाद से निपटने का कोई कानून बनाती है, दूसरे दल की सरकार आकर उसे बदल देती है।
चौथा-घटना के बाद हमारी जांच प्रक्रिया बहुत कमजोर है। पांचवा-हमारी न्यायपालिका इतनी सक्षम नहीं है कि दोषी को शीघ्र और कठोर दंड दे सके। यदि किसी दोषी को सजा घोषित होने के बाद भी उसे सजा नहीं देंगे, वह महीनों-महीनों जेल में पड़ा रहेगा तो लोगों का पूरे तंत्र से विश्वास उठ जाएगा। ये सब कारण है जिसकी वजह से हमारा देश आतंकवाद का सही से मुकाबला नहीं कर पा रहा है।

इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय के जो लोग राह भटक गए हैं, उन्हें मुख्य धारा में लाने का काम भी मुस्लिम समाज के प्रमुखों तथा अन्य सामाजिक संगठनों के माध्यम से लगातार होना चाहिए।
भारत में सहिष्णु हिन्दू समाज है वह बड़ी संख्या में है, और उसने किसी दूसरे पर आक्रमण नहीं किया, प्रतिक्रिया को होने से रोका है। यह बातें लोगों को समझ में आनी चाहिए तभी वे आतंकवाद से दूर होंगे।
क्योंकि भारत में सहिष्णु हिन्दू समाज है वह बड़ी संख्या में है, और उसने किसी दूसरे पर आक्रमण नहीं किया, प्रतिक्रिया को होने से रोका है। यह बातें लोगों को समझ में आनी चाहिए तभी वे आतंकवाद से दूर होंगे।

यदि हम सिर्फ पुलिस, सिर्फ कानून, सिर्फ खुफिया विभाग, सिर्फ मुस्लिम या सिर्फ राजनीतिक दलों की कमी की बात करेंगे तो सफलता नहीं मिलेगी। इन सब विषयों पर गंभीरता से विचार करके, एक आम सहमति बनाकर, युध्द के समान एक रणनीति बनाकर आतंकवाद का मुकाबला करेंगे, तभी यह समाप्त होगा। हमें आतंकवादियों को उनके घरों में घुसकर मारना होगा, सीमा पार के उनके नेताओं को मारना होगा, उनमें भय पैदा करना होगा, तभी वे ऐसा करने से डरेंगे।

किसी आतंकवादी घटना में किसी मुसलमान को पकड़ा जाए और कुछ राजनीतिक दल के नेता उसके घर पहुंच जाए और कहें कि मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, यह नीति भी गलत है।
किसी आतंकवादी घटना में किसी मुसलमान को पकड़ा जाए और कुछ राजनीतिक दल के नेता उसके घर पहुंच जाए और कहें कि मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, यह नीति भी गलत है।
और कुछ दलों के नेता कहें कि सब मुसलमान आतंकवादी है, यह नीति भी गलत है। दुर्भाग्य यह है कि हम राजनेताओं को कुछ कह नहीं सकते। ये लोग बहुत गलत काम कर रहे हैं।

अब जिस संघीय जांच एजेंसी की बात की जा रही है, उसकी आवश्यकता बहुत पहले से महसूस की जा रही है। आतंकवादी कहां छिपे हैं, उन्हें मदद कौन दे रहा है, धन कौन मुहैया करा रहा है, इस सबकी जांच के लिए एक केन्द्रीय मंत्रालय या विभाग होना चाहिए। यह बात भी स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि अब आंतरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा का मामला एक हो गया है। आतंकवाद को सिर्फ आंतरिक सुरक्षा से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। क्योंकि अब लड़ाई के तरीके और माध्यम बदल गए हैं। आतंकवाद को देश के खिलाफ एक युध्द के रूप में देखा जाना चाहिए और उसी अनुरूप नीति बनाकर सजा के कठोर प्रावधान करने चाहिए।
(पांचजन्‍य, सितंबर 28, 2008 से साभार)

2 comments:

Unknown said...

मेरे साथ ही आपको भी "राष्ट्र-तोड़क" ब्लॉग का खिताब मिलने पर बधाई हो… आज का मोहल्ला देखें…

Unknown said...

मोहल्ला एक हिंदू विरोधी मंच बन गया है. अगर वहां किसी ब्लाग को राष्ट्र तोड़क कहा जाता है तो यह उस ब्लाग के सूत्रधार के लिए गर्व की बात है. सुरेश जी और आपको वधाई.