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Friday, 9 January 2009

वाम मोर्चे सरकार के अंत की शुरुआत, नंदीग्राम विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस जीती

नंदीग्राम में एक बार फिर सत्‍तारुढ़ वाममोर्चा सरकार को गहरा तगड़ा झटका लगा है। तृणमूल कांग्रेस ने ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के चुनाव के बाद नंदीग्राम विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में वाममोर्चा सरकार को रौंद डाला है।

नंदीग्राम विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आज तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी फिरोजा बीबी ने जबरदस्‍त जीत दर्ज की। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट सीडी लामा ने बताया कि फिरोजा बीबी ने भाकपा प्रत्याशी परमानंद भारती को 39,551 मतों से हराया। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर उपचुनाव पांच जनवरी को कराया गया था और 80 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

वही नंदीग्राम, जो दो साल पहले जमीन अधिग्रहण के सवाल पर हुए हिंसक आंदोलन और पुलिस की फायरिंग के चलते लंबे अरसे तक सुर्खियों में रहा था। उस फायरिंग में 14 लोग मारे गए थे। विदित हो कि इस सीट पर शुरू से ही वाममोर्चा का कब्‍जा रहा है। स्थानीय भाकपा विधायक मोहम्‍मद इलियास ने एक निजी टीवी चैनल के स्टिंग आपरेशन में फंसने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस मामले की जांच के लिए विधानसभा की एक विशेष समिति ने भी अपनी जांच में इलियास को दोषी पाया था। उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट के लिए ही उपचुनाव हुये थे।

बीते दिनों हुए पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में नंदीग्राम और सिंगूर सहित कुछ स्थानों पर वाममोर्चा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। पूर्वी मिदनापुर जिले में 30 वर्षो में पहली बार वाममोर्चा को हार का मुंह देखना पड़ा।

4 comments:

संजय बेंगाणी said...

कभी तो सूर्यास्त होता ही है...

अनुनाद सिंह said...

ये दशा ?

Sumit Karn said...

ओह, इतनी गुंडागर्दी के बाद भी कम्‍युनिस्‍ट हार गए। लगता है पश्चिम बंगाल की जनता वाममोर्च को सबक सिखाने को तैयार हो गई हैं।

amitabh tripathi said...

अभी कुछ दिनों पहले मैं पश्चिम बंगाल की यात्रा पर था। वहाँ की स्थिति अत्यंत खराब है। वाम मोर्चे ने जो किया वो तो किया ही अब ममता जमायते इस्लामी और नक्सलवादियों के हाथ में खेल रही हैं। जिन मुसलमानों को वाममोर्चे ने पाल पोसकर बडा किया था अब वे संख्या में अधिक होकर अपना एजेण्डा आगे बढा रहे हैं और दल के स्थान पर अधिक मुस्लिम लोगों को विधानसभा पहुँचाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के नवनिर्मित प्रयास हिन्दू यूथ फोरम के एक सर्वेक्षण के अनुसार यदि जमायत का प्रभाव बढता रहा तो 2015 के विधानसभा चुनावों में या तो जमात की सरकार होगी या वे निर्णायक होंगे। दुर्भाग्य से पश्चिम बंगाल में इस खतरे की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है असम, बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक वृहत्तर इस्लामी राज्य के एजेण्डे पर कार्य हो रहा है और इसका आधार चुनावों के द्वारा अधिक मुस्लिम प्रत्याशियों को विधानसभा में पहुँचाकर बनाया जा रहा है। असम में पिछले चुनाव में हम एक मुस्लिम पार्टी का उदय और अच्छा प्रदर्शन देख चुके हैं जिसके बाद असम में इस्लामी उग्रवाद का रूझान बढ रहा है। जिसे पूरी तरह नजरअन्दाज किया जा रहा है।