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Monday, 12 November 2007

पुलिस देखती रही, सीपीएम के लोग नंदीग्राम में खून बहाते रहे


सीपीएम के गुंडों ने नंदीग्राम पर कब्जा किया

तामलुक / मिदनापुर : पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में 11 नवंबर को पुलिस के मूक समर्थन से सत्ताधारी सीपीएम के कार्यकर्ताओं ने ऑपरेशन कब्जा की मुहिम को परवान चढ़ा दिया। इससे पहले कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान यहां पहुंचते तृणमूल समर्थिक भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति व सीपीएम के कॉडरों के बीच युद्ध समाप्त हो चुका था और एक बार फिर करीब-करीब पूरे नंदीग्राम पर सत्ताधारी पार्टी कब्जा जमा चुकी थी। नंदीग्राम पर कब्जे के बाद सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक रैली भी निकाली जिसमें भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति के बंधक बनाए गए 500 सदस्यों को हाथ बांधकर विजय प्रतीक के रूप में प्रदर्शित भी किया गया।

सीपीएम के लोग 11 नवंबर को नंदीग्राम में फायरिंग करते हुए प्रवेश किया और लूटपाट व आगजनी करते हुए पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। इसमें कितने लोगों की जानें गईं है इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है क्योंकि सीपीएम कार्यकर्ताओं ने नंदीग्राम में जाने और आने के सभी रास्ते बंद कर दिए थे। यहां तक कि एसपी के काफिले को भी अंदर नहीं जाने दिया। एक स्थानीय अखबार ने भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति का नेतृत्व कर रहे विधायक शिशिर अधिकारी के हवाले से बताया है कि इस हमले में 50 लोग मारे गए हैं और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं।

नंदीग्राम पर कब्जे के लिए पूर्वी और पश्चिमी मिदनापुर के दो शीर्ष नेताओं ने एक मीटिंग में दो हफ्ते पहले ही योजना बनाई थी। इस मीटिंग में पूर्वी मिदनापुर के एक सांसद और राज्य सरकार के मंत्री भी शामिल थे। मीटिंग में मुख्य रूप से इस बात पर चर्चा हुई कि 11 महीने से निंयत्रण से बाहर नंदीग्राम पर कैसे कब्जा किया जाए। इसको परवान चढ़ाने के लिए तीन जिलों-पूर्वी मिदनापुर] बांकुड़ा और उत्तरी 24 परगना से हथियारबंद लोग बुलाए गए थे। साभार- नवभारत टाइम्स

1 comment:

Pramendra Pratap Singh said...

सब देखते रहेगें क्‍योकि खून मुसमान का नही बह रहा है। एक मुसमान होता तो देखते, सेक्‍यूलर परिवार कितना बडा है बस पता चल जाता है। और यहॉं मरवाने वाले भी तो यही ही है।