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Thursday 20 November, 2008

पश्चिम बंगाल में फिर लगा माकपा की साख पर बट्टा

सिंगुर का भूत न तो माकपा का पीछा छोड़ रहा है और न ही उसका अगुवाई वाली राज्य की वाममोर्चा सरकार का। अभी टाटा मोटर्स के वहां से अपनी छोटी परियोजना को समेट कर गुजरात ले जाने की वजह से सरकार के दामन पर लगे दाग धुले भी नहीं थे कि तापसी मलिक हत्याकांड में पार्टी के दो नेताओं को आजीवन कारावास की सजा मिलने से उसे करारा झटका लगा है।
माकपा के नेता अब अपनी साख बचाने के लिए चाहे जो कहें, इस मामले से पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा है। इससे साफ है कि पार्टी ने सिंगुर में जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन को दबाने के लिए कैसे बाहुबल का इस्तेमाल किया था। इसी के तहत कृषि जमीन रक्षा समिति की सक्रिय नेता तापसी (18) के साथ न सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया गया, बल्कि जीवित अवस्था में ही शरीर पर डीजल छिड़क कर उसे जला दिया गया।
हालांकि माकपा के आला नेता इसे पार्टी के खिलाफ राजनीतिक साजिश करार देते हैं। पार्टी ने इस मामले में हाईकोर्ट में अपील करने की बात भी कही है। माकपा के प्रदेश सचिव विमान बोस, जो वाममोर्चा के अध्यक्ष भी हैं, कहते हैं कि आजीवन कारावास की सजा के बावजूद इन दोनों नेताओं सुहृद दल और देबू मलिक को पार्टी से निकाला नहीं जाएगा। दोनों बेकसूर हैं और राजनीतिक साजिश के तहत उनको फंसाया गया है।

माकपा के नेता अब अपनी साख बचाने के लिए चाहे जो कहें, इस मामले से पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा है। इससे साफ है कि पार्टी ने सिंगुर में जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन को दबाने के लिए कैसे बाहुबल का इस्तेमाल किया था। इसी के तहत कृषि जमीन रक्षा समिति की सक्रिय नेता तापसी (18) के साथ न सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया गया, बल्कि जीवित अवस्था में ही शरीर पर डीजल छिड़क कर उसे जला दिया गया।

इस अदालती फैसले का बाद विपक्ष ने बुध्ददेव भट्टाचार्य की अगुवाई वाली राज्य सरकार के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। प्रदेश कांग्रेस नेता मानस भुइयां कहते हैं कि अब सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं कि अदालत का यह फैसला माकपा के लिए झटका है। उनके मुताबिक, अगर सीबीआई के बजाय राज्य पुलिस ने तापसी हत्याकांड मामले की जांच की होती तो सच्चाई कभी सामने नहीं आती। उधर, अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए तापसी के पिता मनोरंजन ने कहा है कि दल और मलिक को मृत्युदंड की सजा मिलने पर उन्हें राहत मिलेगी। तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी तो पहले से ही सरकार के इस्तीफे की मांग करती रही हैं। उन्होंने कहा है कि तापसी की हत्या उस वक्त हुई जब सिंगुर में निषेधाज्ञा लागू थी। वे कहती हैं कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता और राज्य के प्रशासनिक मुखिया तथा गृहमंत्री के रूप में अपनी विश्वसनीयता खो चुके मुख्यमंत्री बुध्ददेव भट्टाचार्य को पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि माकपा ने पहले दावा किया था कि तापसी की हत्या उसके पिता ने की थी और मामले को रफादफा करने के लिए राज्य सरकार ने उसकी जांच सीआईडी को सौंप दी थी।

हुगली जिले की एक अदालत ने पार्टी की सिंगुर जोनल समिति के सचिव सुहरिद दला और समर्थक देबू मलिक को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तापसी ने टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसानों को एकजुट किया था।

अदालत ने दोनों पर 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य विनय कोनार समेत कई शीर्ष नेता सिंगुर से दल को बेकसूर बताकर उनके जबर्दस्त बचाव में लगे हुए थे। तापसी का झुलसा हुआ शव 18 दिसंबर 2006 को सिंगुर में बाजेमेलिया के बाड़ लगे क्षेत्र में एक गङ्ढे से मिला था। वह जगह अब कार परियोजना परिसर के भीतर थी। इस घटना के विरोध में सिंगुर में नैनो परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण्ा के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला भड़क उठा था। मामले की जांच पहले सीआईडी कर रही थी लेकिन बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के चलते पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुध्ददेव भट्टाचार्य ने इसे सीबीआई को सौंप दिया।

यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि पहले नंदीग्राम, फिर सिंगुर और अब तापसी हत्याकांड पर अदालती फैसले ने माकपा की छवि को और धूमिल तो किया ही है साथ ही सरकार और माकपा के खिलाफ विपक्ष को एक ठोस मुद्दा भी दे दिया है।
लेखक-प्रभाकर(प्रभासाक्षी से साभार)

1 comment:

Anonymous said...

कौन सी साख की बात कर रहे हो भाई? हमें तो माकपा की कहीं भी कोई साख नहीं नज़र आती, ये गलत बयानी क्यों कर रहे हो?