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Tuesday 23 October, 2007

माकपा की फासीवादी सोच खतरनाक

लेखक-प्रदीप कुमार

आखिरकार माकपा का फासीवादी चेहरा उजागर हो ही गया। माकपा और उसके नेताओं की फासीवादी सोच ही ऐसी है कि वे किसी आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर सकते। जब संदिग्ध स्रोतों से पैसा जोड़ने की पार्टी की चाल को बेनकाब किया गया तो कोई और नहीं खुद पार्टी के राज्य सचिव पिनरई विजयन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मलयालम दैनिक मातृभूमि के बारे में बोलते हुए अपनी असहिष्णुता जाहिर कर दी।

उल्लेखनीय है कि मातृभूमि ने माकपा मुखपत्र देशाभिमानी द्वारा एक फरार लाटरी माफिया सांतियागो मार्टिन से दो करोड़ रुपए लेने का खुलासा किया था। पार्टी में पिनरई के सहयोगी जयराजन ने भी इस मामले में राज्य विधानसभा और उसके बाहर अपनी दुर्भावना व्यक्त की थी। पिनरई गुट के वरिष्ठ नेता जयराजन देशाभिमानी के महाप्रबंधक हैं और राज्यसचिव पिनरई के पक्के अनुयायी हैं। कन्नूर में इन्हीं जयराजन ने अपने भाषण में साफ दर्शाया कि माकपा में फासीवादी रंग-ढंग अब स्थापित हो चुका है। जयराजन ने न्यायमूर्ति सुकुमारन के लिए जमकर अपमानजनक शब्द प्रयोग किए। न्यायमूर्ति सुकुमारन ने पार्टी सचिव पिनरई के संदिग्ध धनस्रोतों और संदिग्ध छवि वाले लोगों से कथित सम्बंधों पर पिनरई की आलोचना की थी। पिनरई विजयन ने कुछ दिन पहले दैनिक मातृभूमि के सम्पादक गोपालकृष्णन के लिए भी तीखे शब्द इस्तेमाल किए थे क्योंकि दैनिक मातृभूमि ने देशाभिमानी के संदिग्ध पैसे के लेन देन की रपट छापी थी, जिससे पार्टी को शर्मसार होना पड़ा था। कन्नूर में जयराजन ने एक कार्यक्रम में इससे भी एक कदम आगे जाते हुए न्यायमूर्ति सुकुमारन के लिए बहुत हल्के शब्द प्रयोग किए।

दैनिक मातृभूमि के कालीकट स्थित मुख्यालय में गत 8 जुलाई को सम्पन्न एक सम्मेलन में माकपा नेताओं के इस दुर्भावनापूर्ण फासीवादी व्यवहार के विरुध्द तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। सम्मेलन में मौजूद प्रमुख पत्रकारों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों, मीडियाकर्मियों और संस्कृतिकर्मियों ने अपने वक्तव्यों में लोगों से ऐसी फासीवादी सोच के प्रति सावधान रहने का आह्वान किया।

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