इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की उपेक्षा
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास धीमी गति से हो रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम एकदम पीछे जा पड़ा है। यही बात राष्ट्रीय रेल विकास योजना पर भी लागू होती है, जिसे राजग सरकार ने शुरू किया था। पिछले साढ़े चार वर्षों में कोई विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर योजना शुरू नहीं हुई है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की उपेक्षा
वाजपेयी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना स्वतंत्रता के बाद की सबसे बड़ी योजना थी। यूपीए सरकार ने इसको पर्याप्त रूप में धीमा कर दिया है। एनडीए के शासनकाल में सरकार ने 2801 किलोमीटर सड़कों के निर्माण की प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाया था।
नदियों को जोड़ने की योजना का परित्याग
नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना भी एनडीए सरकार द्वारा चलाई गई अन्य मूल्यवान योजनाओं की तरह इस सरकार ने सौतेला व्यवहार किया है और केवल राजनैतिक कारणों से इन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बिजली क्षेत्र के सुधारों का अंधकारमय भविष्य
देश में बिजली की आपूर्ति की स्थिति निरंतर बिगड़ती चली जा रही है जबकि यह सरकार बिजली अधिनियम में संशोधान पर बहस कर रही है।
कनेक्टिविटी
यह मानते हुए कि भारत के चहुमंखी और तेज विकास के लिए कनेक्टिविटी बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए एनडीए सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए समयबद्ध कार्यक्रम चलाया था जिसमें ग्रामीण सड़कों का कार्यक्रम- पीएनजीएसवाई भी शामिल था। अधिकांश स्थलों पर यह कार्य धीमा पड़ गया है। नीतिगत भ्रमों के कारण बंदरगाहों और हवाई अड्डों का निर्माण कार्यक्रम भी पीछे रह गया है इससे आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय विकास बुरी तरह प्रभावित होगा।
जल संसाधन
न्यूनतम साझा कार्यक्रम में वायदा किया गया था कि प्राथमिकता के आधार पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। दुर्भाग्य से सच यह है कि देश में, हर जगह पानी का अकाल पड़ा हुआ है। भारतीयों द्वारा देशभर में जिन नदियों की पूजा की जाती रही है, वे आज यूपीए सरकार के कुशासन के कारण जहरीले पानी का भंडार बन रही हैं। इसके कारण जल में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बन गया है।
ऊर्जा क्षेत्र
यूपीए सरकार ने पूरे देश को अंधकार का क्षेत्र बना दिया है। एनडीए सरकार ने विद्युत क्षेत्र में जो सुधार किए थे उन्हें यूपीए सरकार ने रोक दिया है और हर व्यक्ति पर इसका असर दिखाई पड़ता है। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में यूपीए सरकार का प्रदर्शन बहुत असंतोषजनक है जिसे हाल की योजना आयोग के आंकड़ों ने भी बताया है। बिजली का उत्पादन बढ़ती मांग के सामने स्थिर बना है। तेल और गैस के उत्पादन की कहानी भी ऐसी ही बद्तर है और तेल आयात पर हमारी निर्भरता बढ़ गयी है। ऊर्जा क्षेत्र में हमारा प्रदर्शन आर्थिक विकास, रोजगार और जीवन के स्तर को प्रभावित करेगा।
स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा
न्यूनतम राष्ट्रीय साझा कार्यक्रम में 3 प्रतिशत खर्च करने का फैसला लिया गया था। अभी तक कुछ नहीं हुआ है। वहीं एनडीए सरकार के दौरान राज्यस्तर पर 6 एम्स खोलने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
2 comments:
सांसदो की खरीदारी,आतंकवाद के खिलाफ ढुल्मुल रवैया,टुष्टीकरण की राजनीति अन्य खामियां भी हैं
भैया, सड़क और नदियों वाली परियोजनायें तो बहुत ही उत्तम थीं.
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