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Thursday 26 February, 2009

सीपीआई (एम) में 'एम' यानी मियां-बीवी

गत 2 फरवरी को चण्डीगढ़ में आयोजित पत्रकार वार्ता में एक महिला कार्यकर्ता के देहशोषण के आरोपों में पार्टी से निष्कासित किए गए सीपीआई (एम) पंजाब इकाई के सचिव व पूर्व विधायक प्रोफेसर बलवंत सिंह ने आरोप लगाया है कि पार्टी में आजकल प्रकाश करात व वृंदा करात की तानाशाही के चलते मार्क्सवाद का स्थान मियां-बीवीवाद ने ले लिया है। उन्होंने बताया कि मियां-बीवी की तानाशाही के चलते पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्यों को बुरी तरह से कुचला जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर बलवंत सिंह को हाल ही में पार्टी से निष्कासित किया गया है। उनके बयान से सीपीआई (एम) में मची घमासान व अनुशासनहीनता खुल कर सामने आ गयी है। और लोकसभा चुनाव से पहले हुआ इस तरह का भांडाफोड़ पार्टी के लिए वज्रपात से कम नहीं समझा जा रहा है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि उन पर लगे देहशोषण के आरोपों के संदर्भ में करात कुनबे ने पोलित ब्यूरो को पूरी तरह से गुमराह किया है। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि करात ने झूठ कहा है कि इन आरोपों के बारे में उन्होंने उनसे बात की है। उन्होंने कहा मैंने अपने निष्कासन को लेकर पार्टी को पत्र लिखा परन्तु पार्टी संविधान के अनुसार इस तरह के पत्र का जवाब देने की बाध्यता होने के बावजूद इस पर कोई गौर नहीं किया गया। आरोपों की जांच के लिए पोलित ब्यूरो ने दो सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया परन्तु उनके बयान लेने के लिए तीन सदस्य पहुंच गए जो पार्टी के संविधान का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है। जांच कमेटी के सामने न तो शिकायतकर्ता उपस्थित हुई और न ही उसे शिकायत की प्रति उपलब्ध करवाने के बारे सीताराम येचुरी से बात की गई तो उन्होंने इसे जरूरी बताया परन्तु करात कुनबे ने पार्टी नियमों की कोई परवाह नहीं की।

निष्कासित कम्युनिस्ट नेता ने बताया कि अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई की जानकारी उन्हें सिर्फ मीडिया से मिली है और उनके जवाब की जांच करना तो दूर पोलित ब्यूरो में उस पर विचार तक नहीं किया गया और करात कुनबे के इशारे पर उन पर कार्रवाई की गाज गिरा दी गई। केवल इतना ही नहीं पंजाब के 150 कम्युनिस्ट नेताओं ने पार्टी हाईकमान को अपनी कार्रवाई पर पुनर्विचार करने के संबंध में पत्र भी लिखे पर करात कुनबे ने किसी को जवाब देना उचित नहीं समझा। दाराकेश सैन

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