हितचिन्‍तक- लोकतंत्र एवं राष्‍ट्रवाद की रक्षा में। आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

Thursday 5 February, 2009

गुजरात दंगों के गवाहों को वामपंथी रिश्वत?

'गोधरा कांड' की प्रतिक्रियास्वरूप गुजरात में हुए दंगों पर सर्वाधिक घड़ियाली आंसू बहाने वालों तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पानी पी-पीकर कोसने वालों की करतूतों की पोलपट्टी कुछ ताजा आंकड़ें आने के बाद खुल गयी है।

अपने को सामाजिक कार्यकर्ता, धर्मनिरपेक्ष, मानवाधिकारवादी होने का दावा करनेवाली अति मुखर तीस्ता सीतलवाड़ व माकपा ने गुजरात दंगों में हताहत लोगों पर काफी हंगामा मचाया था। अब यह तथ्य उजागर हो गया है कि गुजरात दंगों के गवाहों से बयान दिलवाने के लिए उन्हें उनके द्वारा मोटी-मोटी रकम दी गयी। जो लोग दंगों के शिकार हुए थे तथा चश्मदीद गवाह थे उन्हें 1 लाख तथा 50 हजार रुपए और जो लोग केवल दंगा पीड़ित थे उन्हें पांच-पांच हजार रुपए दिए गए। यह पैसा माकपा-स्रोतों से दिया गया जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ की अहम भूमिका थी। यह भी उल्लेखनीय है कि दंगा पीड़ित या चश्मदीद गवाहों को जब धन दिया गया तो वृंदा करात भी मौजूद रही थीं।

ज्ञातव्य है कि अपने को सामाजिक कार्यकर्ता, धर्मनिरपेक्ष, मानवाधिकारवादी होने का दावा करनेवाली अति मुखर तीस्ता सीतलवाड़ व माकपा ने गुजरात दंगों में हताहत लोगों पर काफी हंगामा मचाया था। अब यह तथ्य उजागर हो गया है कि गुजरात दंगों के गवाहों से बयान दिलवाने के लिए उन्हें उनके द्वारा मोटी-मोटी रकम दी गयी। जो लोग दंगों के शिकार हुए थे तथा चश्मदीद गवाह थे उन्हें 1 लाख तथा 50 हजार रुपए और जो लोग केवल दंगा पीड़ित थे उन्हें पांच-पांच हजार रुपए दिए गए। यह पैसा माकपा-स्रोतों से दिया गया जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ की अहम भूमिका थी। यह भी उल्लेखनीय है कि दंगा पीड़ित या चश्मदीद गवाहों को जब धन दिया गया तो वृंदा करात भी मौजूद रही थीं।

अंग्रेजी दैनिक 'दि पायनियर' (20 दिसंबर, 2008) में प्रकाशित समाचार के अनुसार गुजरात के एक विवादास्पद गैर सरकारी संगठन 'सिटीजन्स फार जस्टिस एण्ड पीस' (जिसकी अध्यक्ष स्वयं तीस्ता सीतलवाड़ हैं) ने गुजरात दंगों के विभिन्न दस मामलों के के गवाहों को एक-एक लाख रुपए दिलाने की व्यवस्था कराई थी। यह धनराशि माकपा राहत कोष से आयी थी तथा दंगों के लगभग पांच साल बाद गवाहों को अदालत में पेश होने के पहले दे दी गयी थी। इनके अलावा 4 अन्य प्रत्यक्षदर्शी गवाहों को पचास-पचास हजार रुपए दिये गये थे। जिन लोगों को यह सहायता राशि दी गयी उनके चयन, भुगतान के उद्देश्य तथा राशि में भारी अंतर को लेकर गवाहों में भी रोष व्याप्त रहा।

'सिटीजन्स फार जस्टिस एण्ड पीस' के मुख्य समन्वयक रईस खान ने 'पायनियर' को बताया कि उन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ के निर्देश पर 'लाभार्थियों' के नाम माकपा को दिये थे। रईस खान ने कहा कि 'लाभार्थियों' का चयन तीस्ता सीतलवाड़ ने किया और मैंने केवल उनके निदेर्शों का पालन कर नामों की सूची माकपा को भेजी थी। जब इस मामले में तीस्ता से पूछा गया तो उन्‍होंने जवाब दिया कि 'मैं माकपा के निमंत्रण पर (धन वितरण के) समारोह में गयी थी पर धन-संग्रह से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।

एक प्रत्यक्षदर्शी यासीन नईमुद्दीन अंसारी ने जिसे एक लाख रु. दिया गया था, 'पायोनियर' को अहमदाबाद से फोन पर बताया कि 'तीस्ता सीतलवाड़ के संगठन की ओर से कोई उनसे मिला था, लेकिन उस व्यक्ति का नाम उसे अब याद नहीं है।'

गवाहों को धन बांटने का समारोह 26 अगस्त, 2007 को अहमदाबाद में हुआ था तथा उन्हें 'डिमांड ड्राफ्ट' माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात, तीस्ता सीतलवाड़ तथा रईसखान ने बांटे थे। वृंदा ने स्वीकार किया है कि धन इकट्ठा करने का काम माकपा ने किया था। उन्होंने यह भी बताया कि मेरी पार्टी को गुजरात दंगों से संबंधित किसी मुकद्दमे में कोई लिप्तता नहीं रही है। वृंदा करात ने यह भी माना कि दंगा पीड़ितों के चयन के लिए उन्होंने एक स्थानीय एनजीओ की सहायता ली थी। उनके अनुसार, आर्थिक मदद पाने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन पत्र आये थे और धन का वितरण विभिन्न चरणों में किया गया था।

प्राप्त विवरण के अनुसार 1 अगस्त 2007 की तारीख में बने 567540 से लेकर 567554 नम्बर तक के 14 डी.डी. दंगा पीड़ितों को तीस्ता, वृंदा तथा रईस खां के द्वारा बांटे गये थे। सात डी.डी. अहमदाबाद में तथा सात बड़ोदरा में भुगतान के लिए थे। सहायता पाने वालों में यासमीन बानो शेख भी हैं जो जाहिर शेख के भाई नफीतुल्ला की पत्नी हैं।

बड़ोदरा की यासमीन बानो को 50 हजार मिले थे। वह मुकदमा संख्या 144/04 की शिकायतकर्ता हैं। मजे की बात तो यह है कि उसकी शिकायत में कोई दम नहीं था। अदालत ने उसका 'लाई डिटेक्शन' टेस्ट कराने का जब निर्देश दिया तो वह अदालत में गयी ही नहीं।

आर्थिक सहायता पाने वालों में चार लोग बैस्ट बेकरी काण्ड के गवाह तथा 9 अन्य नरोदा पाटया, शाहपुर, खानपुर आदि 2002 के दंगों से सम्बंधित हैं। यह भी ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त जानकारी एच. झावेरी की 'सूचना के अधिकार' के तहत दी गयी याचिका पर विभिन्न एजेन्सियों व बैंकों से प्राप्त हुई है।

बैस्ट बेकरी काण्ड के जिन चार गवाहों को आर्थिक मदद दी गयी इनमें सैलुन हसन खां पठान अहमदाबाद (1 लाख रु.), तुफैल अहमद हबीबुल्ला सिद्दकी बड़ोदा व शहजाद खां, हसन खां पठान, बड़ोदा (पचास-पचास हजार रु. प्रत्येक) शामिल हैं।

इनके अलावा अहमदाबाद के दंगों से संबंधित 9 गवाहों को एक-एक लाख रुपए दिये गये। इनके नाम हैं- 1. कुरेशाबीबी हारुन भाई गोरी, बड़ोदा, 2. हुसेना बीबी गुलाम भाई शेख, बड़ोदा, 3. राशिदा बानो यूसुफ खां पठान, अहमदाबाद, 4. फातिमा बानो बाबूभाई सैय्यद, अहमदाबाद, 5. बदरुन्निशा मोहम्मद इस्माइल शेख, अहमदाबाद, 7. मो. यासीन नईमुद्दीन अंसारी, अहमदाबाद, 8. शेख अजहरुद्दीन इमामुद्दीन, अहमदाबाद तथा 9. शरजाह कौसर अली शेख, बड़ोदा। पांच-पांच हजार रु. पाने वालों के नाम भी प्रकाश में आ चुके हैं।

3 comments:

Anonymous said...

मुखर तीस्ता सीतलवाड़ और आप की मुलाकात होनी चाहिए

संजय बेंगाणी said...

मोदी के कूकर्मों से अब तिस्ता का धंधा मंदा चल रहा है :) चक्कर तो बहुत लगती है बेचारी....

सुनील सुयाल said...

अगर मै गलत नहीं तो ,ये वही तीस्ता सीतलवाड़ है जो संसद हमले मै आरोपी गिलानी के केस मै भी उसकी समर्थक थी जब गिलानी ने वसंत विहार मै खुद पर गोली चलने का स्वांग रचा था !