गत 05 फ़रवरी, 2009 को हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित 'प्रदीप कुमार मैत्रा' की खबर के मुताबिक हाल ही में गढ़चिरौली के जंगलों में हुए 15 पुलिसकर्मियों के नरसंहार के आरोपी सहित नक्सलवादी समूहों के कई कार्यकर्ता यौन संक्रमित रोगों (एसटीडी)-एचआईवी/एड्स से पीड़ित हैं। इसके चलते कई नक्सलियों की मौतें भी हुई हैं।
''सत्ता बंदूक की नली से निकलती हैं'' इस ध्येय को मानकर क्रांति का सपना देखने वाले नक्सलियों के शिविर में अब बंदूक और साहित्य बरामद नहीं होते। Bangetudi शिविर में एक छापे के दौरान पुलिस ने एक ब्लू फिल्म सीडी, प्रयुक्त और अप्रयुक्त कंडोम, माला डी की गोलियां और शक्तिबर्धक आयुर्वेदिक दवाएं जब्त कीं। इसके साथ ही यह रहस्योद्घाटन हुआ है कि बडी तेजी नक्सली एचआईवी/एड्स से पीड़ित हो रहे हैं और इसके चलते कई नक्सलियों की मौतें भी हुई हैं। नक्सलियों पर यौन शोषण का इतना भूत सवार हो रहा है कि वे नाबालिगों को भी नहीं बख्श रहे है। वास्तव में महिलाओं का यौन शोषण और निर्दोष लोगों की हत्या ही तो नक्सली क्रांति का असली रूप है।
हाल ही में एक छापे के दौरान जब्त किए गए नक्सलवादी साहित्य से यह रहस्योद्धाटन हुआ है। दुर्व्यवहार की शिकार महिलाएं प्रतिशोध के भय के चलते अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पा रही है। नक्सली कार्यकर्ताओं के यौन दुर्व्यवहार से नक्सली नेतृत्व चिंतित है।
एक नागपुर चिकित्सक के मुताबिक, रामकृष्ण, 35, और महालक्ष्मी, 30, दो नक्सलवादियों, जिनका दो महीने पहले खून का परीक्षण हुआ था, उनमें एचआईवी पॉजिटिव से ग्रसित पाया गया था।
वहीं चौबीस वर्षीय दलम (समूह) के नेता सोनु गावडे, जिन्होंने हाल ही में आत्मसमर्पण किया, वह अपने युवा दिनों में नक्सलवादी आंदोलन की ओर आकर्षित हुई थी। उनका कहना है कि gunpoint पर सेक्स की मांग की जाती है। यह सामान्य सी बात हो गयी है और यह कहना मुश्किल है कि जंगलों में कौन किसके साथ सो रही है। सुश्री गावडे, एक दलम कमांडर बुधु बेतलु मिले और उन्होंने शादी कर ली। 2006 में एक मुठभेड़ के दौरान अपने पति के मौत के बाद उसे कई नक्सली नेताओं के साथ यौन संबंध रखने के लिए मजबूर किया गया।
पुलिस अधिकारी का कहना है, ''2006 में नक्सलियों के बंगेतुड़ी शिविर में एक छापे के दौरान हमने एक ब्लू फिल्म सीडी, प्रयुक्त और अप्रयुक्त कंडोम, माला डी की गोलियां और शक्तिबर्धक आयुर्वेदिक दवाएं जब्त कीं।'' गढ़चिरौली के एसपी राजेश प्रधान कहते हैं कि अतिवादियों ने नाबालिगों को भी नहीं बख्शा।
कई महिला गुरिल्लाओं ने नक्सली आंदोलन को छोड़ दिया और आत्मसमर्पण कर दिया क्योंकि वहाँ हो रहे जबर्दस्ती यौन दुर्व्यवहार से उन्हें नफरत हो गई।
नक्सलियों की शौर्य-गाथा!
13 comments:
नक्सलवाद के नाम पर पल रहा है जुर्म। नक्सलवादियों का संगठन अपराधियों का गिरोह बनकर रह गया है। यह अलग-अलग क्षेत्र में एक ही काम वेष बदलकर कर रहा है।
नक्सलवाद aur नक्सलवादियों ko hitchintak jaise rastravadi yodda
ke sharan me ab aana chahia.
लोगों की आंखें तो अभी भी नहीं खुल रहीं.
आतंक और हिंसा के घोड़े पर सवार सभी आन्दोलनों का ऐसा ही हश्र होता है। विचारधारा प्रबल रहती है। यह आन्दोलन हमारे युवाओं को सुनहरे सपने दिखाकर खड़े किये गये थे जो अब ढहते दिख रहे हैं। यही हुआ साम्यवादी दलों के साथ जो आज किसी भी अन्य दल की तरह भ्रष्ट और दुराचारी साबित हो रहे हैं। नक्सलवाद ने साम्यवादियों से हट कर अपनी पहचान बनानी चाही थी और ऐसा आभास दिया कि वही सच्चे साम्यवादी हैं। आप द्वारा उद्धृत रिपोर्ट तो दर्शाती है कि अब तो नक्सलवादी भी आतंकवादियों से कम दरिन्दे नहीं हैं। इस रिपोर्ट का पढ़ कर तो कानू सान्याल और चारू मजूमदार का सिर भी झुक जायेगा कि उन्होंने ऐसे आन्दोलन को जन्म दिया था। अच्छा है अब नक्सलवादियों की कलई खुल रही है और सच्चाई सामने आ रही है। ये लोग नक्सलवाद के अन्तिम संस्कार की तैयारी में लगते हैं।
खूनी लोगो ने यह कमी भी पूरी कर ली. अच्छा इन वामपंथी आतंकियों के सफाए में आसानी रहेगी.
इन खुनी लोगों का अंत ऐसे ही होगा |
बुरे काम का बुरा नतिजा।यही तो होना है ऐसे लोगों के साथ।
हिन्दुस्तान में नक्सलवाद के नाम पर यही सब होता है अगर कही से मिले तो कानू सान्याल का अन्तिम इन्टरभ्यु पढियें जिसमें कानू सान्याल ने कहा है कि मेरे जीवन का खराब घटना है नक्सलवाद आतंकवाद फैलाना।
sanghiyon kangresiyon kee sarkari jansanhari sena SALWA JUDUM ke sipahi aur pracharak aur kya kahenge?lekin vichar ka uttar vichar hota hai, kuprachar nahi.
यह हर आंदोलन का अंत है। मै खलिस्तान के सिख आंदोलन के कवरेज में रखा हूं। तराई में खालिस़तान के नाम पर सिख आंतकवादियो ने यहीं किया। परिणम यह हुआ कि पहले जो सिख परिवार उन्हें बाबे देवदूत कहते थे। वे उनका एंकाउटर कराने में मददगार बने ! आज तराई ये यह आंदोलन पूरी तरह खत़्म हो गया।
ye smiley anam bhai ke liye..
:)
baki ham kya kahen? sab kuchh to aapka post hi kah raha hai..
देश आप के ही सहारे है.प्रदीप मैत्रा भी वामपंथी है यह जानकारी और ले .रायपुर में संघ परिवार की भी काफी सेवा की है.
मानव का इतिहास युद्धों से भरा इतिहास है. इतिहास साक्षी है जबसे मानव का जन्म हुआ है, धर्म और अधर्म को लेकर दोनों दिशा से युद्ध हुआ है! हम सभी जानते है की विजयी सत्य की हुई है! किंतु एक ऐसा समय आता है जब जन सामान्य को सत्य के प्रति अविश्वास पैदा शुरू होने लगता है! इसी स्थिति मैं धीरवान व्यक्ति अपने सुकर्मो मैं संलग्न रहता है तथा अपने लक्ष्य की और अग्रसर होता है! अपनी क्षणिक सफलता से अतिउत्साहित दुर्जन अपने ग़लत लक्षों की प्राप्ति के लिए Short Cut. अपनाते है! जिसमे वे मात खा जाते है! यह कंडोम, ब्लू फ़िल्म की सी डी इसी बहकावे का प्रतिक है ! अतः यह निश्चित है. की पापियों के अंत का समाये आ गया है.
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