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Wednesday, 5 September 2007

विकास की नई इबारत लिखते नरेन्द्र मोदी

जल संरक्षण के क्षेत्र में गुजरात ने अनुकरणीय कार्य किया है - नाबार्ड

गुजरात सरकार ने जल संरक्षण के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह 40-42 सालों में भी हासिल न हो सकी। 6237 करोड़ रुपये की सुजलाम सुफलाम योजना लागू की गई।

पर्यटन
-श्री नरेन्द्र मोदी ने नवरात्र महोत्सव को पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाया। वर्ष 2006 को पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया गया।
- 'पर्यटन वर्ष' को मुख्यमंत्री ने सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम के रूप में नहीं आयोजित किया बल्कि उसमें पूरे राज्य के प्रशासन और जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की।
- परिणाम स्वरूप वर्ष 2006 में 1.77 करोड़ पर्यटक गुजरात आये।

सरदार सरोवर परियोजना
- सरदार सरोवर परियोजना जैसी भारी भरकम परियोजना को मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समय पर योजना को पूरा किया और लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया।
- दस सूखे जिलों में पर्याप्त मात्रा में साफ पेयजल की आपूर्ति हो रही है।
- 1988 से 2003 तक यानि पहले 14 वर्ष के इस परियोजना पर 8437 करोड़ रूपये खर्च हुए। जबकि 2003-04 से 2007-8 के बीच पांच वर्षों में 10,213 करोड़ रूपये सरकार ने दिया।

शिक्षा
- शिक्षा के क्षेत्र में जहां प्राथमिक शिक्षा में 'ड्राप आऊट' की संख्या 49 फीसदी थी वहां पांच वर्ष के भीतर यह दर 3.24 प्रतिशत है।
- मुख्यमंत्री ने 'कन्या केलवाणी' योजना के अन्तर्गत शिक्षा के क्षेत्र में विशेषकर कन्या शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रयास किये हैं।
- गांव-गांव तक उन्होंने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सांसदों, विधायको, सचिवों, अधिकारियों को लगाया और उन्हें सघन दौरा करने के लिए निर्देशित किया।
- मुख्यमंत्री ने इस संबधं में एक उदाहरण प्रस्तुत किया जब उन्होंने अपने मुख्यमंत्रीत्वकाल में मिले उपहारों को एकत्रित करके उनके नीलामी से एकत्रित दस करोड़ रूपये की धनराशि से 'कन्या केलवाणी निधि' बनायी और उससे बालिकाओं की शिक्षा-दीक्षा का प्रबंध किया गया।

उर्जा
- राज्य सरकार ने राज्य के चौमुखा विकास के लिए 'पंचामृत शक्ति' विकसित करने की कल्पना दी जिसमें 'ज्ञानशक्ति' 'जल शक्ति', 'उर्जा शक्ति', 'जन शक्ति' और 'रक्षा शक्ति' का विकास प्रमुख है।
- उन्होंने एक अनूठी 'ज्योतिग्राम योजना' प्रारम्भ की जिसमें उन्होंने गांवों में शहरों के बराबर सुविधाये देने का विचार किया।
- इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार ने गुजरात के सभी 18,000 गांवों में 24 घंटों तीन फेस बिजली उपलब्ध कराने की उपलब्धि प्राप्त की।
- गुजरात की जल क्रांति में 'चेकडैम' की भूमिका महती है। जहां पहले चालीस वर्षों के गुजरात में मात्र 4000 चेकडैम बने वहां वर्तमान सरकार ने 68 महीने के अपने कार्यकाल में 1 लाख 8 हजार चेक डैम बनाये।

महिला कल्याण
- भारतीय संस्कृति में मंत्री 'शक्ति स्वरूपा' मानी जाती है।
- महिलाओं की स्थिति पर मुख्यमंत्री का विशेष ध्यान है। महिलाओं के कल्याण और उत्थान के लिए मुख्यमंत्री ने कई योजनायें प्रारम्भ की।
- सरकार द्वारा बनायी गई 'नारी युग नीति' में महिलाओं के प्रति सरकार एवं प्रशासन का क्या रवैया हो इसकी चर्चा प्रमुखता से की गई है।
- मातृवन्दना और चिरंजीवी योजना के माध्यम से सरकार ने मां और बच्चे की मृत्यु दर में काफी कमी लाने में सफलता प्राप्त की है।
- राज्य की 98,000 विधवाओं का बहुत कम प्रीमियम पर एक लाख रूपये की दुर्घटना बीमा कराया गया।
- नोराद योजना के अन्तर्गत साम्प्रदायिक दंगों से प्रभावित 5731 महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए 86 एजेंसियों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। इस मद में कुल 2,32,96,000 रूपये खर्च किये गये।
- दंगों से प्रभावित 460 महिलाओं को राहत शिविरों में 500 प्रतिमाह की सहायता दी गई।

स्वास्थ्य

गुजरात सरकार ने स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण मानते हुए, इस क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया है।

मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में 500 करोड़ का प्रावधान किया है, जिससे वंचित वर्ग के बच्चों के हृदय रोग जैसी लाइलाज बीमारियों का नि:शुल्क उपचार किया जाएगा। इसी प्रकार गुर्दे, कैंसर आदि से पीडित बच्चों पर भी ध्यान दिया गया है और यदि राज्य में उनके उपचार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है तो उन्हें राज्य से बाहर भी भेज कर हजारों बच्चों को मृत्यु होने से बचाया है।

चिरंजीवी तथा मातृवंदना योजना में भी 23.80 करोड़ का प्रावधान, जिसके लिए सिंगापुर ने एशिया इनोवेशन एवार्ड भी प्रदान किया।

कन्या भ्रूण हत्या अभियान चलाकर तथा कड़े कानून बना कर इस पाइलट परियोजना का पांच जिलों में चलाया गया, जहां 22163 माताओं ने 22163 शिशुओं को जन्म दिया, जिनमें से मात्र 87 शिशुओं की मृत्यु का समाचार मिला है, अन्यथा जिनकी संख्या 812 हो सकती थी। इस योजना के सफल होने के कारण अब इसे पूरे राज्य में लागू करने की घोषणा की है, जिसकी प्रशंसा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. रामदास ने भी की और इसे पूरे देश में कार्यान्वित करने को कहा है।

कृषि विभाग
योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह कहते हैं कि ''गुजरात में विकास कार्य लोगों के सहयोग से किए जाते हैं, जो प्रशंसनीय हैं।''

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि-प्रधान देश के महत्व को समझते हुए किसानों के दर्द को समझा और कृषि महोत्सव के माध्यम से तीन वर्ष के अंदर ही कृषि में चमत्कार कर दिखाया जिससे पूरे गुजरात के खेतों का स्वरूप और किसानों के जीवन स्तर में कायापलट हो गई।

कृषि महोत्सव के माध्यम से पिछले तीन वर्षों में 'कृषि रथ' ने एक महीने तक राज्य में घूम कर सभी 18600 गांवों के साथ सम्पर्क कर सीधे किसानों की गाइडेंस दी जिससे कृषि उत्पाद में जोरदार वृध्दि हुई एवं 28 हजार करोड़ रूपए का रिकार्ड उत्पादन हुआ।

इसी कारण नेशनल प्रोडक्टिविटी कौंसिल ने 2004-06 में गुजरात को 14 में से 11 एवार्ड प्राप्त हुए।

तीन कृषि महोत्सवों में 3.70 लाख किसानों की हार्टिकल्चर किट, 5.20 लाख पशु-पालकों को ब्रीडिंग किट और 3.27 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड मिले। किसानों की उत्पादन लागत कम हुई और उनकी आय बढ़ी।

पिछले तीन वर्षों में 1800 नई दुग्ध सहकारी समितियां खुली, जिनमें से 700 समितियां महिलाएं चलाती हैं।

ग्राम वाटिका योजना के अन्तर्गत 2000 ग्राम वाटिकाएं तथा पंचवटी योजना के अन्तर्गत 1000 से अधिक पंचवटी वैन के गठन से गुजरात में औषधीय पौधों की बुवाई के साथ-साथ कपास, मूंगफली, आलू, सरसों, मक्का केला आदि का रिकार्ड उत्पादन होने लगा है। वर्ष 2005-06 में कृषि और बागबानी उत्पादन 266.69 लाख एमटी तक पहुंच गया है।

प्रगतिशील गुजरात


गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी का एक और कारनामा राज्य की गरिमा बढ़ाता है और यह विश्व का सबसे बड़ा विकसित राज्य मना जाता है, जहां हर तरफ से निवेशक उद्योगों में धन लगाने में जुटे हैं, जिसका पता हमें ''प्रगतिशील गुजरात: सार्वभौमिक निवेशक शिखर सम्मेलन'' से लगता है। अभी तक दो वर्षों के अन्तराल के बाद 2003, 2005 और 2007 में तीन शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। 10 लाख करोड़ से अधिक के निवेश हो चुके हैं। अगर रोजगार की दृष्टि से देखें तो पाएंगे कि 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं।

आज गुजरात निवेशकों द्वारा निवेश करने में सबसे आगे है और गुजरात ने स्पेशल इकानामिक जोन तथा इंडस्ट्रियल पार्क बनाकर पूरे देश को रास्ता दिखाया है। गुजरात ने अपने सांस्कृतिक समारोहो के साथ-साथ व्यापार और उद्योग समारोहों द्वारा निवेशकों को आकर्षिक किया है। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का तो यहां तक कहना है कि जो लोग गुजरात में निवेश नहीं करते हैं, वे बेवकूफ हैं।

आज गुजरात का घरेलू उत्पादन 2,45,422 करोड़ तक जा पहुंचा है, जो यह भी अभिव्यक्त करता है कि यह राज्य औद्योगिक शांति और सद्भावना से परिपूर्ण है। 2007-08 में राजस्व अधिशेष 1651 करोड़ रूपए का है।

ग्राम विकास

हाल के दिनों में ग्रामीण विकास का जो दृश्य देखने को मिलता है वैसा इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला है क्योंकि अब सभी गांवों में अद्वितीय क्रांति फैल गई है, जहां 24 घंटे बिजली उपलब्ध रहती है।

2007-08 में 'निर्मल गुजरात' के रूप में अनेक कार्यक्रम शुरू हुए हैं। ग्राम सभाओं को सजीव बना दिया गया है। समरसता भाव को बनाए रखने के लिए गुजरात में समरस ग्राम पंचायतों के चुनाव की विचित्र योजना बनाई गई है, जिसमें 5000 से अधिक संख्या वाले सभी ग्रामों में, जहां प्रतिनिधियों का चुनाव सर्वसम्मत से किया जाएगा, वहां पहले 2001 में। लाख की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई थी, वहां अब इसमें 25 प्रतिशत की वृध्दि कर दी गई है। अप्रैल 2007 में ऐसे 2842 समरस ग्राम पंचायतों और 545 ग्राम पंचायतों को 55 करोड़ रूपए का प्रोत्साहन अनुदान दिया गया।

आज गुजरात ही एक ऐसा प्रदेश है जहां ग्राम पंचायतों को कम्प्यूटर के माध्यम से ई-सर्विसेज प्राप्त हैं।

गांवों में पारिवारिक भाव पैदा करने के लिए तीर्थ ग्राम और पवन ग्राम योजना शुरू की गई है, जिसमें जहां पिछले पांच वर्षों में असामाजिक कुरीतियों का कोई मामला दर्ज न हो, उसे 'तीर्थग्राम' घोषित किया जाएगा और जहां पिछले तीन वर्षों में कोई अपराध दर्ज न हुआ हो उसे पवन ग्राम घोषित किया जाएगा तथा साथ ही स्वच्छता, कन्याओं की शिक्षा, ग्राम समरसता को भी आधार माना जाएगा। प्रोत्साहन के रूप में तीर्थग्राम और पवनग्राम चुने गए गांवों को डेढ लाख की राशि दी जाएगी। 2004-05 से जनवरी 2007 तक 408 तीर्थ ग्राम घोषित हो चुके हैं।

ग्राम विकास की अन्य योजनाओं में ग्राम मित्र, सुखी मण्डल, श्रमज्योति, स्वच्छता कार्यक्रम, गुजरात गौरव ग्राम, ग्रामीण एकीकृत जलापूर्ति योजना आदि अनेक योजनाओं से पूरे गुजरात में गांवों का चहुंमुखी विकास हुआ है।

2 comments:

Nataraj said...

आप इसी तरह लिखते रहे तो, आपके मित्रों को फिर वही ले-दे कर गुजरात दंगो पर लिखते रहना पड़ेगा. :)

अनुनाद सिंह said...

ये तो होना ही था , क्योंकि नरेन्द्र मोदी काम मे विश्वास रखते हैं।

जो लोग "मुर्दाबाद! मुर्दाबाद!" करने के लिये रात-दिन कुछ मुद्दे ढ़ूढ़ते रहते हैं वो क्या काम करेंगे और क्या विकास? उनको तो यही डर सताता रहता है कि गरीबी चली जायेगी तो उनको कौन पूछेगा?