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Tuesday, 4 September 2007

विकसित भारत के सपने को साकार करते नरेन्द्र मोदी

गरीब समृध्दि योजना के शुभारम्भ के अवसर पर गुजरात सरकार ने गुजरात के शहरों की प्रगति के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। दरअसल, पिछले सालों के दौरान शहरीकरण की प्रक्रिया काफी तेज हुई है और शहरी लोगों की आवश्कताओं व सुविधाओं की अनदेखी के कारण शहर गंदी बस्तिओं में तब्दील हो गए, लेकिन गुजरात में पिछले 68 महीनों में शहरों का विकास अगले 25 साल को ध्यान में रखते हुए योजनागत रूप में किया गया, जिस पर विश्व बैंक का भी ध्यान आकृष्ट हुआ। शहरी विकास वर्ष-2005 की सफलता को देखते हुए गुजरात सरकार ने शहरों के विकास के लिए अनोखी योजनाएं बनाईं, जिसके विकास मॉडल को देश के दूसरे शहरों में अपनाया गया तथा शहरी विकास वर्ष की सफलता को महामहिम राष्ट्रपति और देश के लोगों ने भी सराहा।

शहरी विकास वर्ष के दौरान 16,000 करोड़ रुपये की पब्लिक प्रापर्टी विकसित कर लोगों को समर्पित किया गया। पिछले साल की तुलना में कचरा निवारण 15 प्रतिशत ज्यादा हुआ। 4600 टन कचड़ा हटाया गया।

आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के निवेश पर शहरी सम्मेलन 2007 के दौरान 313 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

निर्माण गुजरात 2007 प्रोग्राम से 7 म्यूनिसिपल कारपोरेशन में रहने वालों लोगों के सोचने का अंदाज बदल देगा। 161 म्यनिसिपैलिटीज में सफाई के नए प्रोग्रामों व उसमें लोगों की भागीदारी देश के अन्य शहरों को नई दिशा देगी। इस कार्य के लिए 98 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

नगर नंदनवन योजना, पुनीतवन योजना, नक्षत्रवन योजना आदि के लिए प्राइवेट-पब्लिक भागीदारी के तहत 1610 लाख रूपये खर्च किए जाएंगे।

शहरी गरीबों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए 50 हजार से अधिक की आबादी पर 55 मेडिकल ऑफिसर नियुक्ति किए गए। 25 हजार से अधिक की आबादी वाले गंदी बस्तियों के लिए 67 नर्सें नियुक्ति की गईं।

विश्व बैंक की सहायता से देश में पहली बार कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग की शुरूआत हुई।

यूटीआई बैंक के सहयोग से देश में पहली बार पूल फाइनेंसियल डेवलपमेंट फंड शुरू किया गया।

यूएमएमईडी प्रोग्राम के तहत राज्य में पहली बार 1 लाख शहरी गरीब नौजवानों को रोजगार देने के उद्देश्य से ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे आत्मनिर्भर व अपने से नौकरी ढूंढ सकें। इसके लिए 10 करोड़ रुपये का सुझाव है।

पहली बार गुजरात ने शहरी विकास के लिए रिजनल प्लानिंग सिस्टम की शुरूआत की है, जिसके लिए बजट से 9 16 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

वर्ष 2006 में सूरत शहर को बाढ़ की विभिषिका से उबारने के लिए गुजरात सरकार ने आपदा प्रबंधन पर 78 करोड़ रुपये खर्च किए। आधारभूत व नागरिक सुविधाओं को बहाल करने के लिए 58 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसकी अहमदाबाद में संपन्न हुए शहरी सम्मेलन के दौरान भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने प्रशंसा की।

कुछ प्रशंसनीय उध्दरण

'देश में गुजरात के विकास में लोगों की भागीदारी सर्वश्रेष्ठ है।
- डा. एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के पूर्व राष्ट्रपति

गुजरात में कृषि क्षेत्र पूरे देश के लिए मार्गदर्शक का काम कर सकता है।
- श्री स्वामीनाथन, विश्व-विख्यात कृषि विशेषज्ञ

गुजरात में लोगों के सहयोग से किया गया विकास कार्य प्रशंसनीय है।
- मोंटेक सिंह अहलुवालिया उपाध्यक्ष, योजना आयोग

10वीं पंचवर्षीय योजना में उर्जा के क्षेत्र में देश के तीन राज्यों ने काम किया, जिनमें गुजरात एक है।
- पी. चिदम्बरम, केन्द्रीय वित्ता मंत्री

''गुजरात निवेश के लिए आदर्श है और जो यहां निवेश नहीं करता है, वह बेवकूफ है।''
- रतन टाटा, उद्योगपति

''उत्कृष्ट सड़कों के निर्माण में गुजरात का जवाब नहीं।''
- विश्व बैंक

''भ्रूण हत्या रोक कर समाज सुधार के कार्य में गुजरात ने पूरे देश को रास्ता दिखाया है।
- स्वास्थ्य विभाग, भारत सरकार

''गुजरात भारत के आर्थिक मानचित्र को बदलने में सबसे आगे रहा है।''
- श्री के.वी. कामथ, चेयरमैन व डायरेक्टर, आईसीआईसीआई बैंक

2 comments:

Nataraj said...

यह बात आपके ही पत्रकार साथियों के गले नहीं उतरेगी :)

बंगाल को यह सब करना था मगर क्रांति का सपना ऐसे सच होता है वे क्या जाने :)

drdhabhai said...

गुजरात ने पूरे देश के लिए एक मानक स्थापित किया है विकास के विषय में. और यह किसी को बताने की जरूरत नहीं गुजरात की जनता स्वयं इसे जानती है