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Thursday, 20 September 2007

राम को नकारना आपराधिक कृत्य : अरुण जेटली



सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए इस सरकार ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अस्तित्व पर ही प्रश्न खड़े कर दिए है। मेरा मानना है कि रामसेतु तोड़ने पर आमादा सरकार ने देश के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को आहत करने का आपराधिक कृत्य किया है। देश की अस्मिता पर हुए इस प्रहार का जिस तरह विश्व हिन्दू परिषद् व बहुसंख्यक समुदाय ने प्रतिकार किया उससे भयभीत होकर सरकार को पीछे हटना पड़ा।

इस सरकार की कार्यशैली से तो ऐसा लगता है कि जैसे देश में हिन्दू मतदाता हैं ही नहीं। इससे पहले अगर संप्रग सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल पर नजर डालें तो संप्रदाय विशेष को तुष्ट करने वाले कदम उसने लगातार और निर्लज्जता के साथ उठाए। पोटा को खत्म करने और आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को आरक्षण के साथ इसकी शुरुआत हुई। बांग्लादेशी घुसपैठियों की मदद करने के लिए आईएमडीटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त करने के बावजूद उसे लागू करने के लिए सरकार ने सारी हदें तोड़ी। बनर्जी आयोग का गठन और फिर सच्चर समिति की विवादित रिपोर्ट।

करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य राम के अस्तित्व को नकारना संप्रग सरकार की मानसिकता का सबसे ज्वलंत उदाहरण है। रामसेतु के मुद्दे पर सरकार का रवैया कई कारणों से अवांछनीय है। पहली बात तो आस्था व मान्यताओं पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाए जाते। भारत की संस्कृति में राम ऐसे रचे बसे हैं कि उसके बगैर यहां के समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती, फिर सवाल यह भी उठता है कि दुनिया भर में रामसेतु या एडम ब्रिज जैसा कथित प्राकृतिक निर्माण कहीं और क्यों नहीं हुआ? दूसरा अहम सवाल है कि चार अन्य विकल्प मौजूद हैं, जिससे श्रीलंका तक जहाजों का मार्ग भी बन जाए और रामसेतु को क्षति न पहुंचे। इसके बावजूद सेतु को क्षति पहुंचाने वाला विकल्प ही सरकार ने क्यों चुना? वैसे भी यह परियोजना आर्थिक दृष्टि से भी कोई बहुत अधिक फायदेमंद नहीं है। जाहिर है कि यह सिर्फ सरकार की हिन्दूविरोधी मानसिकता ही है कि आर्थिक रूप से अपरिहार्य नहीं होने के बावजूद इस परियोजना के लिए वह राम को नकारने से भी नहीं घबराती? प्रस्तुति-राजकिशोर

2 comments:

शाश्वत said...

विदेशी दिमाग और विदेशी विचारधारा द्वारा संचालित यूपीए सरकार का हर कदम हिंदू, हिंदुत्व और भारतीयता पर प्रहार कर रहा हैं. यह शर्मनाक हैं. अरुण जेटली ने बहुत ही कम शब्दों में यूपीए सरकार की पोल खोल दी हैं.

Unknown said...

arun ji agar aapko ram ji ki itni chinta hai to fir is yojna ko NDA ke time me hi kyon nahi rukva diya balki is project ko hari jhandi dikhane ka sreya bhi to aapko aur aapki NDA sarkar ko hi jata hai......kya tab aapko ram ji ka khyal nahi aaya tha.............
aur aaj aap karodo hinduo ki aastha ki baat karte ho. jab aapki center me NDA ki sarkar thi tab aapne ayodhya me RAM MANDIR banane ke liye kaun-kaun se TEER apne tarksh me se nikal the.....
balki aap aur aapki sarkar to tan SHINE INDIA KE NAARE LAGA Rrahe the.........
tab aapko dhyan nahi aaya bhagwan RAM ka............
bhagwan RAM ke naam par jo aapne kiya vo bhi galat tha aur UPA ki sarkar jo kar rahi hai vo bhi galat hai. kyon ki ram to ek esa shabd hai jiske bina aaj bhartiya sanskriti ki kalpna hi nahi ki ja sakti hai..........jai sri RAM